ओ खुदा, ओ खुदा, ओ खुदा...
घर की खातिर जो घर से निकल जाते है
डगर पे अकेले ही चल जाते है
शौंक अचानक बदल जाते है
फिज़ा में जहर है घुला
तितलिया हो रही गुम-सुदा...
ओ खुदा, ओ खुदा, ओ खुदा...
लहज़ा, लहंगा से सहन जाती है
लड़कियां महंदी सी महक जाती है
कंगन से चूड़ी पहन जाती है
अब उतरने लगी है हिना
घर से रौनक रही हो विदा...
ओ खुदा, ओ खुदा, ओ खुदा...