ओ खुदा ओ खुदा ओ खुदा...
लड़की जो मुझसे वो अंजान है
जाने नही क्यों मेरी जान है
मधु मेरे दिल की वो महमान है
पलक झपकते ही तसव्ववुर नखशिखा
अज़ीज दिल को तेरी हर इक अदा...
ओ खुदा ओ खुदा ओ खुदा...
दिल के मंदिर की पहली मूरत है वो
दिल के सफ़ की पहली इबादत है वो
खुदा मेरी पहली मोहब्बत है वो
पनपने लगी जो नई है लता
हमसे होने लगी, शायरी ए खता...
ओ खुदा ओ खुदा ओ खुदा...
कस्दन वो मुझको रुलाती है क्यों
जान कर बे-खबर वो होती है क्यों
मुझको ख्वाबों में आखिर जगाती है क्यों
रात को करवटें मैं बदलने लगा
कैसी मोहब्बत, है ये खुदा...
ओ खुदा ओ खुदा ओ खुदा...
चरागों को रौशन करती है जो
चांद को चांदनी देती है जो
अधूरे सपन पूर्ण करती है जो
आजकल की मोहब्बत हुस्न ए बयां
किसने मोहब्बत, की है अदा...
ओ खुदा ओ खुदा ओ खुदा...