ओ खुदा ओ खुदा ओ खुदा...
बदन रोज एक लहू-लुहान है
नफ़रत, देखो कैंसी महान है
खूबसूरत चिड़िया जो महमान है
कैंसे थमे जुल्म का शिलशिला
कब थमेगा दिलो का धुआं...
ओ खुदा ओ खुदा ओ खुदा...
आंखों से बहते हुए नीर है
शरहद पे खड़े वो वीर है
देशमुखड़े के वो शेर है
समसीर मैं भी, लूं क्या उठा
फिर बचेगा प्यारा चमन ये कहां...
ओ खुदा ओ खुदा ओ खुद...