ओ खुदा ओ खुदा ओ खुदा...
मैं अपने ही घर का टूटा हुआ साज हूं
दूर होते हुए भी तेरे पास हूं
तू ही मंजिल मेरी, तू ही इक आश है
तू ही नाम मेरा, तू ही अहसास है
फिर मुझको तू क्यों न मिला
हमसे होने लगी, शायरी ए खता...
ओ खुदा ओ खुदा ओ खुदा...
मैंने देखा तुझे तू सफ़ में खड़ा
मेरे महबूब की आंखों में पड़ा
मां। के आंचल में, तू ही मिला
रोटी की खुशबू में, तू ही सिला
लगता है शायद बदल मैं चुका
सब तू ही मेरी, ओ दिल-रुबा...
ओ खुदा ओ खुदा ओ खुदा...
मैं ठहरा हुआ बेगवान है तू
मैं लकड़ी हूं, भगवान है तू
मैं रेत, तू पानी अथार है
थामा तूने जो वो पार है
ओ मेरे खुदा, तू मुझको बता
मैं होते हुए भी तो खोया हुआ...
ओ खुदा ओ खुदा ओ खुदा...