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गुलाबी शहर का गुलाबी प्यार

15 जनवरी 2023

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साल 2021 , ये वो साल था जब मैने जयपुर शहर में काम करना शुरू ही किया था . हालांकि में दिसम्बर 2019 में अपनी जन्मस्थली से यहाँ काम के सील सिले से शिफ्ट हो गया था , पर 2020 का पूरा साल कोरोना नामक महामारी की चपेट में था , जिसकी वजह से पूरी दुनिया लॉक डाउन नामक एक अनचाहे दौर से गुजर रहा था , व इस दौर में सब कुछ बंद था यातायात , काम धन्दे , सामान्य दिनचर्या व वे समस्त कार्य बंद थे जिसकी वजह से एक आम आदमी अपनी जिंदगी को सहज व सरल बनाता था . ऐसे में सभी लोगो ने अपनी जिंदगी को एक छोटे से कमरे में सीमित करके रख दिया था. पर ऐसे समय मे गुलाबी शहर के लोगो ने अपनी बाहें खोल कर हम बाहरी लोगों को गले लगाया प्यार से वे प्यार भी किया क्योकि बीमारी ने लोगो के स्वास्थ्य पर जरूर असर डाला था पर उनके दिल पर आज भी वही गुलाबी प्यार जिंदा था . ऐसे समय मे भी आस पास के लोगो ने हर कार्य मे हमारी उपस्थिति को जरूरी समझा व हमे अपने परिवार व इस शहर का ही हिस्सा समझा .लोगो पर धीरे धीरे महामारी का असर कम हुआ , इसी के साथ लॉक डाउन में भी धीरे धीरे छूट मिलने लगी व फिर एक समय के बाद सम्पूर्ण रूप से सब कुछ पहले की तरह खुल गया था .पर बाजारों में वो पहले की तरह न तो ग्राहक थे वे न ही वो पहले की तरह कोई रौनक नही थी . क्योकी लॉक डाउन के दौरान लोगो को ऑन लाइन खरीदारी की आदत लग गयी थी जिसकी वजह से बाजारों में ग्राहक दूर दूर तक दिखायी नही देते थे . ऐसे में बाजारो की रौनक लौटना बड़ा ही मुश्किल दिखाई दे रहा था . पर हम भारतीयों में जो आशावादी सोच व मानसिकता का वास है उसने बाजारों को जुझारू बना कर पुनः खड़ा करना शुरू कर दिया था . और उसी आशावादी सोच व मानसिकता ने मुझे भी काम ढूंढने में मदद की व मुझे अपने घर से 6 किलोमीटर दूर एक कैंटीन में काम मिल गया , हालांकि ये काम मेरे लिए नया था.  पर यहाँ भी लोगो ने मुझे दिल से स्वीकार किया व मेरी हर कदम पर मेरी मदद की . कहते है न काम काम होता है छोटा या बड़ा नही होता है , व मानसिकता को स्वीकार करके मेने कार्य को शुरू किया व काम ने व समय ने रफ्तार पकड़ी व समय गुजरने लगा . और इसी समय के दौरान मुझे अलग अलग लोगो से मिलना जुलना शुरू हुआ साथ ही काम मे मन लगना शुरू हुआ , क्योकि ये कैंटीन वाला कार्य मेरे लिए नया था पर इस नए कार्य के होने के बावजूद मुझे कभी कुछ भी अलग नही लगा . फिर काम मे मै ऐसा मशगूल हुआ कि पता ही नही चला कि कब 2021 से 2022 वे इसके बाद 2023 का साल आ गया व में काम मे मशगूल रहा ,पर कहते है न कि अगर साथ वाले अच्छे व प्यारे हो तो काम , काम नही लगता व नई जगह भी नई नही लगती . गुलाबी शहर जयपुर ने धीरे धीरे मुझे व मेरे परिवार को अपने गुलाबी प्यार में ढालना शुरू कर दिया था व हम भी इस गुलाबी प्यार में ढलने लगे थे . क्योकी ये शहर जरूर मेरे लिए नया था पर समय के साथ साथ जब इस शहर के लोगो ने हमे अपने गुलाबी प्यार के आगोश में लेना शुरू कर दिया था

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रचनाएँ
अनुभव
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इस किताब के माध्यम से आपको मेरे अनुभवों के बारे में जानने के लिए मिलेगा , जिसको मेने कहानियों के रूप में प्रस्तुत किया है.
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पेड़ गुलमोहर का

5 सितम्बर 2022
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में जरूरी कार्य के चलते वन अधिकारी से मिलने वन विभाग गया .वन विभाग घर से 500 मीटर की दूरी पर स्थित होने के कारण मैने पैदल ही जाना उचित समझा. वन विभाग के स्वागत कक्ष पहुँच कर मेने अपना आने का उद्देश्य

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वो रेड सिगनल

5 सितम्बर 2022
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शाम को अपना काम खत्म करके ऑफिस सेनिकलने के लिये पार्किंग मे आया व अपनी बाइक स्टार्ट करके निकला .अभी मुश्किल से 100 मीटर हि चला होगा कि पहले चौराहे पर हि रेड सिगनल हो गया और नियमानुसार जैसे कि सभी कि ग

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गुलाबी शहर का गुलाबी प्यार

15 जनवरी 2023
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साल 2021 , ये वो साल था जब मैने जयपुर शहर में काम करना शुरू ही किया था . हालांकि में दिसम्बर 2019 में अपनी जन्मस्थली से यहाँ काम के सील सिले से शिफ्ट हो गया था , पर 2020 का पूरा साल कोरोना नामक महामार

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आमतौर पर जब भी हम खाखी वर्दी वालो को याद करते है या फिर उन्हें देखते है तो उनके प्रति हमे दिल मे जो डर वाली छवि आती है वो एक कड़क व गुस्सेल रवैये की वजह से आती है , क्योकि उनका काम इसी मिजाज की वजह से

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कमरा नंबर 44

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नीलम जी , पानी पिलाना कि आवाज लगा कर मे अपनी टेबल पर जाकर बैठ गया . क्योकि दिन कि शुरुआत से ही धूप अपने पूर्ण रुप मे आ चुकी थीं व अभी तो पुरा दिन बाकी था. मुझे इस विभाग मे कार्य करते हुए अभी कुछ द

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अकेला लड़का व उसकी व्यथा

20 मई 2024
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पिछले कुछ दिनो से जिस परेशानी का सामना मे कर रहा हु ऐसी परिस्थिति का सामना इससे पहले मेने कभी नही किया था. ये वो दिन है जब गर्मी अपने पुरे सबाब पर होती है व इन दिनो धुल मिट्टी पुरे दिन चलती है. ऐसे

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उसका चेहरा

11 जून 2024
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     उसका नाम अश्विनी था व दिखने मे वो जितनी खू़बसूरत है काम करने मे उतनी ही पारंगत. उससे मेरी मुलाकात अकसर कार्यालय परिसर मे सुबह आते वक्त व शाम को जाते समय हो जाया करती. हालाँकि ऊसे यहां काम करते

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भाई साहब

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भाई साहब , एक लीटर दूध देना. मेरी आवाज सुनकर संजय अपनी सीट से उठा व फ्रीज से दूध निकाल कर दिया व मेने दूध के पैसे दिये. शुरुआती दिनो मे तो सिर्फ यही क्रम चलता रहा फिर धीरे धीरे उनसे सभी घरेलू सामान

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रोजगार का पीछा

21 जून 2024
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उदय , परीक्षा की तैयारी कैसी चल रही है , मेरे इस सवाल से उदय का ध्यान भटका व उसने सिर्फ सहमती मे अपना सर हिला दिया. उसके ऐसे जवाब से मे समझ गया था की वो अभी भी पड़ाई मे व्यस्थ था . मेंने उसको पिछले 2

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मित्रता

17 अक्टूबर 2024
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