साल 2021 , ये वो साल था जब मैने जयपुर शहर में काम करना शुरू ही किया था . हालांकि में दिसम्बर 2019 में अपनी जन्मस्थली से यहाँ काम के सील सिले से शिफ्ट हो गया था , पर 2020 का पूरा साल कोरोना नामक महामारी की चपेट में था , जिसकी वजह से पूरी दुनिया लॉक डाउन नामक एक अनचाहे दौर से गुजर रहा था , व इस दौर में सब कुछ बंद था यातायात , काम धन्दे , सामान्य दिनचर्या व वे समस्त कार्य बंद थे जिसकी वजह से एक आम आदमी अपनी जिंदगी को सहज व सरल बनाता था . ऐसे में सभी लोगो ने अपनी जिंदगी को एक छोटे से कमरे में सीमित करके रख दिया था. पर ऐसे समय मे गुलाबी शहर के लोगो ने अपनी बाहें खोल कर हम बाहरी लोगों को गले लगाया प्यार से वे प्यार भी किया क्योकि बीमारी ने लोगो के स्वास्थ्य पर जरूर असर डाला था पर उनके दिल पर आज भी वही गुलाबी प्यार जिंदा था . ऐसे समय मे भी आस पास के लोगो ने हर कार्य मे हमारी उपस्थिति को जरूरी समझा व हमे अपने परिवार व इस शहर का ही हिस्सा समझा .लोगो पर धीरे धीरे महामारी का असर कम हुआ , इसी के साथ लॉक डाउन में भी धीरे धीरे छूट मिलने लगी व फिर एक समय के बाद सम्पूर्ण रूप से सब कुछ पहले की तरह खुल गया था .पर बाजारों में वो पहले की तरह न तो ग्राहक थे वे न ही वो पहले की तरह कोई रौनक नही थी . क्योकी लॉक डाउन के दौरान लोगो को ऑन लाइन खरीदारी की आदत लग गयी थी जिसकी वजह से बाजारों में ग्राहक दूर दूर तक दिखायी नही देते थे . ऐसे में बाजारो की रौनक लौटना बड़ा ही मुश्किल दिखाई दे रहा था . पर हम भारतीयों में जो आशावादी सोच व मानसिकता का वास है उसने बाजारों को जुझारू बना कर पुनः खड़ा करना शुरू कर दिया था . और उसी आशावादी सोच व मानसिकता ने मुझे भी काम ढूंढने में मदद की व मुझे अपने घर से 6 किलोमीटर दूर एक कैंटीन में काम मिल गया , हालांकि ये काम मेरे लिए नया था. पर यहाँ भी लोगो ने मुझे दिल से स्वीकार किया व मेरी हर कदम पर मेरी मदद की . कहते है न काम काम होता है छोटा या बड़ा नही होता है , व मानसिकता को स्वीकार करके मेने कार्य को शुरू किया व काम ने व समय ने रफ्तार पकड़ी व समय गुजरने लगा . और इसी समय के दौरान मुझे अलग अलग लोगो से मिलना जुलना शुरू हुआ साथ ही काम मे मन लगना शुरू हुआ , क्योकि ये कैंटीन वाला कार्य मेरे लिए नया था पर इस नए कार्य के होने के बावजूद मुझे कभी कुछ भी अलग नही लगा . फिर काम मे मै ऐसा मशगूल हुआ कि पता ही नही चला कि कब 2021 से 2022 वे इसके बाद 2023 का साल आ गया व में काम मे मशगूल रहा ,पर कहते है न कि अगर साथ वाले अच्छे व प्यारे हो तो काम , काम नही लगता व नई जगह भी नई नही लगती . गुलाबी शहर जयपुर ने धीरे धीरे मुझे व मेरे परिवार को अपने गुलाबी प्यार में ढालना शुरू कर दिया था व हम भी इस गुलाबी प्यार में ढलने लगे थे . क्योकी ये शहर जरूर मेरे लिए नया था पर समय के साथ साथ जब इस शहर के लोगो ने हमे अपने गुलाबी प्यार के आगोश में लेना शुरू कर दिया था