में जरूरी कार्य के चलते वन अधिकारी से मिलने वन विभाग गया .वन विभाग घर से 500 मीटर की दूरी पर स्थित होने के कारण मैने पैदल ही जाना उचित समझा. वन विभाग के स्वागत कक्ष पहुँच कर मेने अपना आने का उद्देश्य बताया तो वहाँ बैठे कर्मचारी ने बताया कि साहब अभी तो मीटिंग में गए है अतः आप यहाँ थोड़ा रुकिए .रुकने के अलावा मेरे पास दूसरा कोई विकल्प नही होने के कारण में वही स्वागत कक्ष में अखबार लेकर बैठ गया. में खिड़की के समीप बैठा था तो बाहर चलने वाली ठंडी ठंडी हवा मुझे छूकर गुजर रही थी मानो जैसे मुझे अपने होने का एहसास करवा रही हो .में अखबार पढ़ते पढ़ते ऊब चुका था तो खड़ा होकर खिड़की के पास खड़ा हो गया व सड़क के दूसरी तरफ बने पार्क को देखने लगा. मैने देखा कि वहाँ ठीक मेरे सामने एक गुलमोहर का पेड़ लगा हुआ है , जिसके नीचे एक बुजुर्ग लोगो की टोली बैठी है जी हँसी मजाक में व्यस्त है व उसी पेड़ के आस पास कुछ बच्चे खेल रहे है , पशू पक्षी उस पेस के आस पास उछल कूद कर रहे है .ये सब देख कर में यादों के गलियारे में खो गया व सीधे ही 27 साल पीछे चला गया .जब में वे मेरे दादा जी गर्मियों की छुट्टीयो में इसी पार्क में घूमने आया करते थे वे उस समय ये पार्क इतना विकसीत नही था.व एक दिन मैने व मेरे दादा जी ने मिलकर पौधे लगाने का निर्णय लिया व सावन के महीने में करीब दर्जन भर पौधे लगा दिए.कब तो जैसे मेरा व दादाजी का ये रोजमरा की दिनचर्या बन गयी कि हममें से जो भी पार्क में जाएगा वो उन पौधों को जरूरत के आधार पर पानी , खाद व अन्य जरूरी सामग्री देगा. समय निकलते निकलते कब मेरी गर्मियों की छुट्टियां खत्म हो गयी मुझे पता ही नही चला . अब में अपनी पढ़ाई की तरफ ध्यान लगाने लगा , सुबह स्कूल शाम को ट्यूशन , फिर घर आकर एक्स्ट्रा पढ़ाई . मेरा पूरा दिन इसी तरह गुजरने लगा व मेरी व्यस्त दिनचर्या को देखते हुए मेरे दादा जी ने भी मुझे कभी पार्क व वहाँ हमारे द्वारा लगाए गए पौधों के बारे में याद नही दिलाया .समय ने ऐसी रफ्तार पकड़ी की सीधे ही आज 27 साल बाद उस पौधे को पेड़ के रूप में देख रहा हु , पेड़ भी कैसा एक घना पेड़ जिसकी छाव काफी दूर तक फहली है व उसके आस पास कितने ही बच्चे खेल रहे है तो बुजुर्ग बैठे है व छोटे छोटे पशू पक्षियों का आसरा है उस पेड़ पर.ये सब देख कर व अपनी पुरानी यादों को पुनः जीकर अनायास ही आंखों से आंसू निकल आए . तभी पीछे से एक आवाज आई कि मिस्टर अनुभव जिन वन अधिकारी से मिलने आप आए थे वो आ गए है अतः आप उनसे मिल लीजिए . अपने आंसू पोछबकर में वन अधिकारी के केबिन में चला गया व 15 मिनट कीसामान्य शिष्टाचार भेंट के बाद में बाहर आया व सामने वाले पार्क में उस गुलमोहर के पेड़ के पास गया . उस पेड़ को छूकर महसूस करने की कोशिश की अपनी पुरानी यादों को व ठंडी ठंडी हवा व पेड़ झूम झूम कर मुझे धन्यवाद बोल रहे हो कि आपका बहुत बहुत आभार की आपने हमे एक नया साथी दे दिया है.