shabd-logo

वो पुलिस वाला

5 सितम्बर 2022

23 बार देखा गया 23

आमतौर पर जब भी हम खाखी वर्दी वालो को याद करते है या फिर उन्हें देखते है तो उनके प्रति हमे दिल मे जो डर वाली छवि आती है वो एक कड़क व गुस्सेल रवैये की वजह से आती है , क्योकि उनका काम इसी मिजाज की वजह से चलता है .व कोई भी विभाग अपने लिए समाज मे गलत छवि कायम करना नही चाहेगा पर नरम मिजाज से सबको अगर ये मिलने लगे तो ये कभी भी अपना कार्य सही ढंग से कर नही पाएंगे. परन्तु इस कड़क मिजाज वाली छवि की मेरी अवधारणा को एक इंस्पेक्टर ने गलत साबित कर दिया था . कुछ दिनों पहले की बात है कुछ कारण वश मुझे अपनी माता जी के साथ अपने घर से बड़े भाई के यहाँ जाना हुआ . अगले दिन वापसी में हमने अपनी स्कूटी से करीब 1 किलोमीटर का सफर ही तय किया होगा कि मेरी स्कूटी बंद पड़ गयी व काफी मशक्कत के बाद भी वो शुरू नही हुई . सुबह 10 बजे का समय , चिलचिलाती धुप व बीच सड़क में में , माता जी व स्कूटी खड़े थे. आखिरकार मेने हार मान कर माता जी को टैक्सी में बैठा कर घर भेज दिया व खुद स्कूटी को धकेलना शुरू किया. अभी महज कुछ कदम ही धकेला था मैंने स्कूटी को की पीछे से इंस्पेक्टर साहब अपनी बाइक पर आए व मेरी समस्या को जाना .जब मैंने अपनी समस्या बताई तो उन्होंने मुझे कहा कि आप अपनी स्कूटी पर बैठिए में अपनी बाइक के फ़ोर्स से पीछे से आपकी स्कूटी को धकेलता हु . मैने सामान्य शिष्टाचार दिखाते हुए मना कर दिया तो उन्होंने गर्मी का हवाला देते हुए कहा कि आप कहा तक व कब तक इसको धकेलेंगे ,अतः आपसे निवेदन है कि आप अपनी स्कूटी पर बैठ जाइए में पिछेसे धकेलता हु .उनके इस विनम्रता पूर्वक निवेदन को में मना नही कर पाया व जैसा उन्होंने कहा वैसे मैने किया व महज 5 मिनट में में अपने गंतव्य स्थान पर पहुँच गया . और फिर साइड में स्कूटी लगा कर जब में उनको धन्यवाद कहने के लिए मुड़ा तो क्या देखता हूं कि वो बिना धन्यवाद लिए ही आगे अपने गंतव्य की तरफ बढ़ चुके है . मैने दिल से उनको मन ही मन धन्यवाद दिया व घर के अंदर चला गया . उस दिन में अपने घर के अंदर तो चला गया था पर मेरे मन के भीतर जो पुलिस वालों की छवि बनी हुई थी वो बाहर आ गयी . क्योकि पुलिस वाले भी आखिरकार इंसान होते है व उनके भी अपने अरमान होते है . पर उनकी ये नोकरी ही ऐसी होते है जो किसी के भी साथ उनको दोस्ताना रवैया नही रखने देती है . कड़ी धूप में , बारिश में , सर्दी में हर मौसम में अपना घर , परिवार छोड़ कर कार्य करते है :- क्योकि ये पुलिस वाले होते है जनाब.

10
रचनाएँ
अनुभव
0.0
इस किताब के माध्यम से आपको मेरे अनुभवों के बारे में जानने के लिए मिलेगा , जिसको मेने कहानियों के रूप में प्रस्तुत किया है.
1

पेड़ गुलमोहर का

5 सितम्बर 2022
0
0
0

में जरूरी कार्य के चलते वन अधिकारी से मिलने वन विभाग गया .वन विभाग घर से 500 मीटर की दूरी पर स्थित होने के कारण मैने पैदल ही जाना उचित समझा. वन विभाग के स्वागत कक्ष पहुँच कर मेने अपना आने का उद्देश्य

2

वो रेड सिगनल

5 सितम्बर 2022
0
0
0

शाम को अपना काम खत्म करके ऑफिस सेनिकलने के लिये पार्किंग मे आया व अपनी बाइक स्टार्ट करके निकला .अभी मुश्किल से 100 मीटर हि चला होगा कि पहले चौराहे पर हि रेड सिगनल हो गया और नियमानुसार जैसे कि सभी कि ग

3

गुलाबी शहर का गुलाबी प्यार

15 जनवरी 2023
1
0
0

साल 2021 , ये वो साल था जब मैने जयपुर शहर में काम करना शुरू ही किया था . हालांकि में दिसम्बर 2019 में अपनी जन्मस्थली से यहाँ काम के सील सिले से शिफ्ट हो गया था , पर 2020 का पूरा साल कोरोना नामक महामार

4

वो पुलिस वाला

5 सितम्बर 2022
0
0
0

आमतौर पर जब भी हम खाखी वर्दी वालो को याद करते है या फिर उन्हें देखते है तो उनके प्रति हमे दिल मे जो डर वाली छवि आती है वो एक कड़क व गुस्सेल रवैये की वजह से आती है , क्योकि उनका काम इसी मिजाज की वजह से

5

कमरा नंबर 44

17 मई 2024
0
0
0

नीलम जी , पानी पिलाना कि आवाज लगा कर मे अपनी टेबल पर जाकर बैठ गया . क्योकि दिन कि शुरुआत से ही धूप अपने पूर्ण रुप मे आ चुकी थीं व अभी तो पुरा दिन बाकी था. मुझे इस विभाग मे कार्य करते हुए अभी कुछ द

6

अकेला लड़का व उसकी व्यथा

20 मई 2024
1
2
1

पिछले कुछ दिनो से जिस परेशानी का सामना मे कर रहा हु ऐसी परिस्थिति का सामना इससे पहले मेने कभी नही किया था. ये वो दिन है जब गर्मी अपने पुरे सबाब पर होती है व इन दिनो धुल मिट्टी पुरे दिन चलती है. ऐसे

7

उसका चेहरा

11 जून 2024
0
0
0

     उसका नाम अश्विनी था व दिखने मे वो जितनी खू़बसूरत है काम करने मे उतनी ही पारंगत. उससे मेरी मुलाकात अकसर कार्यालय परिसर मे सुबह आते वक्त व शाम को जाते समय हो जाया करती. हालाँकि ऊसे यहां काम करते

8

भाई साहब

19 जून 2024
0
0
0

भाई साहब , एक लीटर दूध देना. मेरी आवाज सुनकर संजय अपनी सीट से उठा व फ्रीज से दूध निकाल कर दिया व मेने दूध के पैसे दिये. शुरुआती दिनो मे तो सिर्फ यही क्रम चलता रहा फिर धीरे धीरे उनसे सभी घरेलू सामान

9

रोजगार का पीछा

21 जून 2024
0
0
0

उदय , परीक्षा की तैयारी कैसी चल रही है , मेरे इस सवाल से उदय का ध्यान भटका व उसने सिर्फ सहमती मे अपना सर हिला दिया. उसके ऐसे जवाब से मे समझ गया था की वो अभी भी पड़ाई मे व्यस्थ था . मेंने उसको पिछले 2

10

मित्रता

17 अक्टूबर 2024
0
0
0

 इस बार गर्मी ने तो पिछले सारे रिकॉर्ड ही तोड दिये है , ऐसा कहते हुए मे अपनी बात शुरु की . मेरी बात पर सहमती जता कर अमित ने गर्दन हिला दि.हम दोनो जब भी मिलते तो अक्सर अपने आस पास घटित होने वाली समस्

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए