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वो रेड सिगनल

5 सितम्बर 2022

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शाम को अपना काम खत्म करके ऑफिस सेनिकलने के लिये पार्किंग मे आया व अपनी बाइक स्टार्ट करके निकला .अभी मुश्किल से 100 मीटर हि चला होगा कि पहले चौराहे पर हि रेड सिगनल हो गया और नियमानुसार जैसे कि सभी कि गाड़िया रुकी उनके पीछे मैं भी रुक गया. अभी मुझे रुके मुश्किल से 15 सेकंड ही हुए थे कि पीछे से एक गाड़ी आकर मेरे पास आकर रुकी व उसकी पिछे कि सीट पर वो(पारुल)  बैठी थीं जिसको मे अपने कॉलेज के समय से पसंद करता था. उसके पास उसका 2 साल का बेटा बैठा था . पारुल को देख कर वो कॉलेज वाले कैंटीन व गॉर्डन वाले सभी द्र्श्य एक चल चित्र कि तरह मेरी आँखों के सामने घूम गये . कैसे हम फ्री क्लास मे एक दूसरे हाथ पकड़े पकड़े कभी कैंटीन मे समोसा खाते तो कभी गॉर्डन मे पेड़ के नीचे एक दुसरे कि आँखों मे आँखे डाल कर भविष्य कि कल्पना करते . उस समय के दौरान हमारे काफी सारे दोस्त हमे मजाक मे छेड़ते ,कोई लैला मजनूं बोलता तो कोई हीर राँझा , पर हम उनकी किसी भी बात का बुरा नहीं मानते व अपनी एक अलग हि दुनियाँ मैं खोये रहते . देखते देखते कब कॉलेज खत्म हो गया पता ही नहीं चला  व अब हमे अपने भविष्य की चिंता सताने लगी . पारुल को कॉलेज से हि प्लेसमेंट मिल गया व वो एक अच्छी सैलेरी के साथ बॉम्बे चली गयी व मैं उसी कॉलेज कैंटीन का कॉन्ट्रेक्ट लेकर कैंटीन चलाने लग गया. दिन बीते  , महीने बीते  और ऐसे ही देखते देखते साल बीतने लगे . परिवार कि जिम्मेदरियो ने मुझे समय से पहले ही बड़ा बना दीया था.मां पिताजी कि सेवा भाई बहनों कि शादी व सामाजिक जिम्मेदरिया ये सब निभाते निभातेपता ही नहीं चला की कब धीरे से सर पर सफेद बालों ने दस्तक दे दि . मे अपनी दैनिक दिनचर्या मे हि लगा रह गया व समय अपनी निर्बाध गति से चलता रहा . मैं वही सुबह नित्य कर्म से निवृत होकर अपनी कैंटीन चला जाता व दिन भर वहा आने वाले लड़के लड़कियों को देखकर अपने समय को याद कर लिया करता . कब मैं कॉलेज स्टूडेन्ट से भाई व भाई से अंकल वाले किरदार मे आ गया पता हि नहीं चला . सब कुछ समय के साथ बदलता चला गया , पर एक चीज है जो नहीं बदलीं वो थीं मेरी व उसकी यादें , आज भी जब मे कैंटीन मैं उस टेबल को देखता जिस पर हम कभी बैठा करते थे. दिन भर कि थकान व मानसिक वेदना जब ज्यादा होती तो मे उस टेबल कि तरफ देख लिया करता व पल भर मे सारी समस्या दुर हो जाया करती . अब अपने गल्ले के पास बैठ कर उस जगह को देख कर याद करके अपनी दिनभर कि थकान व समस्याओं को दुर क्र लिया करता हु . अभी कुछ दिन पहले कि हि बात है लड़के लड़कियों का एक ग्रुप सुबह सुबह कैंटीन मे आया और उस ग्रुप मे पारुल नाम कि लडकी भी थी जो ठीक मेरी पारुल कि हि तरह हि चंचल व हँसमुख थीं . उस ग्रुप के आते हि मेरी कैंटीन मे कुछ समय के लिये रोनक आ गयी व पुरा माहौल खुशनुमा हो गया . वो ग्रुप करीब 1 घंटे कैंटीन मे रहा व उस समय मे पूरी तन्मयता व उमंग के साथ अपना काम करता रहा .  गाड़ियों के हॉर्न व तेज कोलहल कि वजह से मेरी तंद्रा टूटी तो पता चला की रेड सिग्नल कब ग्रीन सिग्नल मे तब्दिल हो गया व मेरी वजह से पिछे काफी लंबी गाड़ियों कि लाइन लग गयी . जिसकी वजह से ट्रैफिक जाम कि स्थिति बन गयी थी . और इस दौरान पारुल कि गाड़ी कब आगे निकल गयी पता हि नही चला . में अपने चहरे पर एक हल्की सी स्माइल ले कर अपनी बाइक को स्टार्ट करता हु व अपने ग़ंतव्य की तरफ चल देता हु .    

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रचनाएँ
अनुभव
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इस किताब के माध्यम से आपको मेरे अनुभवों के बारे में जानने के लिए मिलेगा , जिसको मेने कहानियों के रूप में प्रस्तुत किया है.
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सुहाना सफर

5 सितम्बर 2022
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दोपहर का वक्त था , में वे मेरी माँ तय समय पर रेलवे स्टेशन पर पहुँच गए व अपना सामान लेकर प्लेटफार्म नम्बर 2 पर पहुँच कर बैंच पर बैठ गए. बस अब हमें बड़ी बेशब्री से इंतजार था ट्रैन के आने का . हम अभी चहल

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पेड़ गुलमोहर का

5 सितम्बर 2022
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में जरूरी कार्य के चलते वन अधिकारी से मिलने वन विभाग गया .वन विभाग घर से 500 मीटर की दूरी पर स्थित होने के कारण मैने पैदल ही जाना उचित समझा. वन विभाग के स्वागत कक्ष पहुँच कर मेने अपना आने का उद्देश्य

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5 सितम्बर 2022
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गुलाबी शहर का गुलाबी प्यार

15 जनवरी 2023
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साल 2021 , ये वो साल था जब मैने जयपुर शहर में काम करना शुरू ही किया था . हालांकि में दिसम्बर 2019 में अपनी जन्मस्थली से यहाँ काम के सील सिले से शिफ्ट हो गया था , पर 2020 का पूरा साल कोरोना नामक महामार

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वो पुलिस वाला

5 सितम्बर 2022
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आमतौर पर जब भी हम खाखी वर्दी वालो को याद करते है या फिर उन्हें देखते है तो उनके प्रति हमे दिल मे जो डर वाली छवि आती है वो एक कड़क व गुस्सेल रवैये की वजह से आती है , क्योकि उनका काम इसी मिजाज की वजह से

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