shabd-logo

कमरा नंबर 44

17 मई 2024

2 बार देखा गया 2

नीलम जी , पानी पिलाना कि आवाज लगा कर मे अपनी टेबल पर जाकर बैठ गया . क्योकि दिन कि
शुरुआत से ही धूप अपने पूर्ण रुप मे आ चुकी थीं व अभी तो पुरा दिन बाकी था. मुझे
इस विभाग मे कार्य करते हुए अभी कुछ दिन हि हुए थे व मेरी जान पहचान का दायरा न के
बराबर हि था. कहने को तो मेरे लिये ये विभाग नया था पर इसी विभाग पर मेरे बड़े भाई
बड़े अधिकारी के पद पर कार्य कर चुके थे . जिसकी वजह से मुझे वहा पर सहयोग व स्नेह
पूर्ण रुप से मिल रहा था. अनुभव जी जरा बारा जिले के आंगनवाड़ी केंद्रो कि सूची
देना की आवाज सुनकर मेरा ध्यान आवाज कि दिशा पर गया . रविश जी अपनी टेबल से फाईल
माँग रहे थे अतः मुझे उनकी टेबल पर जाकर फाईल देनी पड़ी . यहां कार्य करते हुए
मुझे भले हि कुछ दिन हुए थे पर यहां के सह -कर्मचारियों के आपसी सहयोग से ऐसा कभी
लगा हि नही की मे यहा पर नया हु . काम करते करते समय का पता ही नही चला कि कब
12.30 बज गये व काम भी पूर्ण हो गया . यहां आने से पुर्व मे सचिवालय कि कर्मचारी
संघ की कैंटीन मे कार्यरत था व पुरा दिन मुझे खड़े रहकर कार्य करना पड़ता था व यहा
पर कम्प्यूटर के सामने बैठकर काम करना होता है .

अभी हमारे कमरे के सभी साथी
कार्य कर ही रहे थे कि हमारे एक साथी अपने बेटे के साथ कमरे मे दाखिल हुए व उस
बच्चे को देखकर सभी के चहरों पर एक अलग सी मुस्कान आ गयी व सब उसके साथ सामान्य
बातचीत करने लगे. फिर थोड़ी देर मे वो बच्चा अपनी चित्रकारी मे लग गया व हम सब
अपने अपने कर्यो मे लग गये . हमारा कार्य " महिला व बाल विकास विभाग "
का था जहां पर सरकारी दिशा निर्देशों के आधार पर योजनये बनायी जाती व उसको जिला
स्तर पर करवाया जाता था . व हमारे कमरे मे हर एक विभाग के कर्मचारी है . जो अपनी
जिम्मेदरियो को व किरदार को बखूबी समझते है , व बिना कहे हि अपने अपने कार्यो को बडी़
ईमानदारी से करते है . कल ही की बात है काम को गंभीरता से लेते हुए मेरे साथियो ने
रात को 10 बजे तक कार्य किया व बचे हुए कार्य को पूर्ण किया . भगवान की कृपा से
मुझे कार्यालय मे साथी नेक दिल व सहयोग की भावना रखने वाले मिले . अभी लंच का समय
समाप्त ही हुआ था व हम सब पुन् अपनी जगह पर आ कर बैठ गए . और कुछ समय ही गुजरा था
की प्रथम मंजिल मे कमरा नंबर 30 से किसी सहयोगी ने अपने सहयोगी को हमारे कमरे मे
ये कहकर भेजा कि जाओ व वहा पर जाकर अनुभव से मिलो , वो अभी
नया नया ही लगा है उसकी मदद करो . अतः वो जनाब आये व मुझसे मिले व यहा आने का अपना
प्रयोजन बताया की वो मेरी कार्य मे मदद करने आये है . परंतु हमारे कमरे के वो 8
सहयोगी उन्होने ये कह्ते हुए साफ तौर पर मना कर दिया उन्हे  की अनुभव कि मदद करने के लिये हम ही काफी है
, व उन्हे वापस उनके कमरे मे भेज दिया.

कमरा नंबर 44 जो कि कल तक मेरे
लिये सिर्फ एक कार्यालय कमरा था वो आज एक घर का कमरा लगने लगा व उस कमरे मे कार्य
करने वाले सहयोगी घर के सदस्य लगने लगे . हर एक सदस्य की अपनी एक आभा है अपना एक
स्तर है , जिसको व अच्छे से व्यवस्थित करके रखते थे . यहां काम कभी भी
काम नहीं लगा एक मस्ती का रिचार्ज लगा . यहा काम करते हुए मे कभी बोर नही हुआ व हर
एक पल कौ पूर्ण रुप से जिया . आज ही की बात है की रविश जी कल काम की वजह से यहा से
लेट गये थे तो उनकों आज आने मे जरा देरी हो गयी , जो कि
स्वभाविक सी बात है , पास वाली टेबल पर बैठने वाले सहयोगी ने
उनका कार्य शुरु कर दिया व बिना कहे हि उनके कार्य को व्यवस्थित कर दिया . ऐसा
सहयोगी स्टॉफ है कमरा नंबर 44 मे . जहां हम छोटी छोटी बातो मैं एक दुसरे पर नुक्श
निकालते है वही यहा बड़े से बड़ा काम भी मिल बाट कर कुछ इस तरह से करते है की काम
काम नही लगता है आनंद लगता है. हालाँकि काम तो कयी जगह किया , कुछ काम तो मन माफिक मिले व कुछ काम मजबूरन करने पड़े . कुछ कार्यों को
करते हुए परम आनंद कि अनुभूति हुई व कुछ कार्यों को बे-मन से करना पड़ा . पर जो
आनंद कमरा नंबर 44 मे प्राप्त हुआ वो कही नही मिला . कुछ कमरे सिर्फ कमरे होते पर
कमरा नंबर 44 सिर्फ कमरा नही एक सुखद एह्सास है , अपनेपन का
सुखद अनुभव है . इस कमरे ने काम के प्रति जिम्मेदरि हा एहसास करवाया व साथ ही मिल
-बाट कर काम करने का एक मीठा एहसास करवाया.

हमारे कमरे मे कुल मिलाकर 9 का
स्टॉफ है व मेरे अलावा 8 लोग और है . मुझे आये कुल मिला कर 9 दिन हि हुए थे , पर मुझे इन 9 दिनो के दौरान एक बार भी ऐसा नही लगा की मे यहा पर नया हु .
मेरे साथ ऐसा व्यवहार रखा जाता था जैसे की मे यहा पर काफी समय से कार्य कर रहा हु
. इस कमरे मे मुझे हर बार अपनेपन का एक सुखद एहसास दिया व यहा काम करने के दौरान
मुझे कभी भी घर की याद नही आयी . जब हमे अपने कार्य के प्रति जिम्मेदारियो का
एहसास होता व अपने किरदार के प्रति पूर्ण रुप से समर्पित होते है तो कार्य व
कार्यस्थल दोनों ही काम करने वाले को कभी भी बोर नही होने देते है. ऐसा माहौल यहा
इस कमरे मे हर समय मिलता है . क्योकि इस कमरे मे सभी को अपने अपने काम व समय की
कीमत पता है . और कहते है न की जिनको अपने काम व समय की कीमत पता होता है व सफलता
के चरम पर होता है , हालाँकि इस विभाग मे सभी काम करने वाले
इंसान मेहनती व खुले दिल व दिमाग वाले है.

सबको अपने होने का व अपने कार्य
के प्रति जिम्मेदरी का एहसास बखूबी है , व यहा कार्यरत समस्त कर्मचारी अपने
कार्यस्थल पर आकर अपने अपने कार्यो मे लग जाते , पर कमरा
नंबर 44 की बात ही कुछ और है.

10
रचनाएँ
अनुभव
0.0
इस किताब के माध्यम से आपको मेरे अनुभवों के बारे में जानने के लिए मिलेगा , जिसको मेने कहानियों के रूप में प्रस्तुत किया है.
1

पेड़ गुलमोहर का

5 सितम्बर 2022
0
0
0

में जरूरी कार्य के चलते वन अधिकारी से मिलने वन विभाग गया .वन विभाग घर से 500 मीटर की दूरी पर स्थित होने के कारण मैने पैदल ही जाना उचित समझा. वन विभाग के स्वागत कक्ष पहुँच कर मेने अपना आने का उद्देश्य

2

वो रेड सिगनल

5 सितम्बर 2022
0
0
0

शाम को अपना काम खत्म करके ऑफिस सेनिकलने के लिये पार्किंग मे आया व अपनी बाइक स्टार्ट करके निकला .अभी मुश्किल से 100 मीटर हि चला होगा कि पहले चौराहे पर हि रेड सिगनल हो गया और नियमानुसार जैसे कि सभी कि ग

3

गुलाबी शहर का गुलाबी प्यार

15 जनवरी 2023
1
0
0

साल 2021 , ये वो साल था जब मैने जयपुर शहर में काम करना शुरू ही किया था . हालांकि में दिसम्बर 2019 में अपनी जन्मस्थली से यहाँ काम के सील सिले से शिफ्ट हो गया था , पर 2020 का पूरा साल कोरोना नामक महामार

4

वो पुलिस वाला

5 सितम्बर 2022
0
0
0

आमतौर पर जब भी हम खाखी वर्दी वालो को याद करते है या फिर उन्हें देखते है तो उनके प्रति हमे दिल मे जो डर वाली छवि आती है वो एक कड़क व गुस्सेल रवैये की वजह से आती है , क्योकि उनका काम इसी मिजाज की वजह से

5

कमरा नंबर 44

17 मई 2024
0
0
0

नीलम जी , पानी पिलाना कि आवाज लगा कर मे अपनी टेबल पर जाकर बैठ गया . क्योकि दिन कि शुरुआत से ही धूप अपने पूर्ण रुप मे आ चुकी थीं व अभी तो पुरा दिन बाकी था. मुझे इस विभाग मे कार्य करते हुए अभी कुछ द

6

अकेला लड़का व उसकी व्यथा

20 मई 2024
1
2
1

पिछले कुछ दिनो से जिस परेशानी का सामना मे कर रहा हु ऐसी परिस्थिति का सामना इससे पहले मेने कभी नही किया था. ये वो दिन है जब गर्मी अपने पुरे सबाब पर होती है व इन दिनो धुल मिट्टी पुरे दिन चलती है. ऐसे

7

उसका चेहरा

11 जून 2024
0
0
0

     उसका नाम अश्विनी था व दिखने मे वो जितनी खू़बसूरत है काम करने मे उतनी ही पारंगत. उससे मेरी मुलाकात अकसर कार्यालय परिसर मे सुबह आते वक्त व शाम को जाते समय हो जाया करती. हालाँकि ऊसे यहां काम करते

8

भाई साहब

19 जून 2024
0
0
0

भाई साहब , एक लीटर दूध देना. मेरी आवाज सुनकर संजय अपनी सीट से उठा व फ्रीज से दूध निकाल कर दिया व मेने दूध के पैसे दिये. शुरुआती दिनो मे तो सिर्फ यही क्रम चलता रहा फिर धीरे धीरे उनसे सभी घरेलू सामान

9

रोजगार का पीछा

21 जून 2024
0
0
0

उदय , परीक्षा की तैयारी कैसी चल रही है , मेरे इस सवाल से उदय का ध्यान भटका व उसने सिर्फ सहमती मे अपना सर हिला दिया. उसके ऐसे जवाब से मे समझ गया था की वो अभी भी पड़ाई मे व्यस्थ था . मेंने उसको पिछले 2

10

मित्रता

17 अक्टूबर 2024
0
0
0

 इस बार गर्मी ने तो पिछले सारे रिकॉर्ड ही तोड दिये है , ऐसा कहते हुए मे अपनी बात शुरु की . मेरी बात पर सहमती जता कर अमित ने गर्दन हिला दि.हम दोनो जब भी मिलते तो अक्सर अपने आस पास घटित होने वाली समस्

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए