उसका नाम अश्विनी था व दिखने मे वो जितनी खू़बसूरत है काम
करने मे उतनी ही पारंगत. उससे मेरी मुलाकात अकसर कार्यालय परिसर मे सुबह आते वक्त
व शाम को जाते समय हो जाया करती. हालाँकि ऊसे यहां काम करते हुए कुछ माह ही हुए थे
लेकिन मेरी मुलाकात कुछ दिनो से ही हुई थी . वो यहा पर समाचार ( राज्य सरकार
द्वारा संचालित योजनाओं कि जानकारी देना ) वाचक थी व मे यहा पर कर्मचारी संघ की
कैंटीन मे कार्यरत था. फिर एक दिन वो हमारी कैंटीन मे आयी चाय पीने के लिये व सन्योगवश
उस समय मे चाय के काउन्टर पर व्यवस्था करवाने मे लगा हुआ था . पहले हमारी नजरे
मिलि फिर एक दुसरे को एक सुंदर सी छोटी सी स्माइल दी उसके बाद उन्होने होले से दो
कम चीनी की चाय का ऑर्डर दिया , ऐसे मे मैंने उनकों बैठने
को कहा व अपने सहायक के हाथो दो चाय उनकी टेबल पर भिजवाया साथ ही गर्मागर्म समोसे
भिजवाये . उन्होंने चाय के साथ भेजे गये
समोसो के लिये मेरे पास आकर शुक्रिया अदा किया व उन समोसो का भुगतान किया . और फिर शुरु हुआ हमारे
मध्य एक अन-कहा सा रिश्ता जिसका कोई नाम तो नही था पर इस रिश्ते मे हमे दिन मे 2
बार अवश्य मिलना होता था. व एक बार कैंटीन मे भी मिलना होता था जहां हमारी कुछ समय
के लिये ही सही पर बात जरूर होती थी . देखते ही देखते समय अपनी रफ्तार से चलने लगा
व हमारी मुलाकात अब हमारी दिनचर्या का एक अभिन्न अंग बन गया था.
आज सुबह से ही पता नही क्यो मन ही नही लग रहा है , क्योकी पहले तो सुबह उठते
ही माँ ने जमकर मेरी क्लास लगा दी , अपनी पुरी बडास निकाल दी
. उसके बाद घर से निकला काम पर आने के लिये तो बिच रास्ते मे पोलिस वाले ने रोक कर
पूछताछ शुरु कर दि . उनसे फ्री होकर कैसे तैसे काम पर पहुँचा तो पता चला की आज आधा
स्टॉफ छुट्टी पर है. ऐसे मे काम का सारा लोड बाकी के कर्मचारियों पर आना लाजमी था.
और ऐसे मे अभी तक अश्विनी अभी तक नजर नहीं आयी थी. अतः मिजाज मे गर्मी होनी लाजमी
थी. पता नही क्यों मुझे रह रह कर उसकी याद आ रही थी , व मन बार बार काम से भटक
रहा था. हालाँकि ऐसी परिस्थिति हमारे लिये नयी नही थी काम का लोड पहले भी कयी बार
हमारे ऊपर आ चुका था व हमने उस हालात को बखूभी सम्भाला भी था. लेकिन इस बार पता
नही क्यो रह रह कर मालिक पर हम सभी स्टाफ को गुस्सा आ रहा था की कैसे उन्होंने
हमारी हालत जानवरों वाली कर दी है. काम करते रहो व बदले मे सवाल मत करो क्योकी तुम
तो हमारे गुलाम हो . ऐसे मे हम सभी कर्मचारियों
ने अपना अपना जोगाड बैठा रखा था . व उसी जोगाड कि सहायता से अपने आपको ऊर्जावान
बनाये रखते थे. ऐसे मे अगर किसी का जोगाड नही होता था तो उसके पास काम मे लगे रहने
के अलावा कोई दुसरा काम नही था. यहा जोगड से मतलब एक सुद्ध प्रेरणा से है.
काम के अत्यधिक लोड की वजह से आज उपस्थित किसी भी कर्मचारी
को इतना भी वक्त नही मिला की खाना खा पाये. और समय भी तेजी से निकल रहा था, थोड़ी देर बाद समय देखने
के लिये घड़ी की तरफ देखा तो पता चला की 3 बज चुके है. ऐसे मे मेने एक एक करके
लड्को को खाना खाने के लिये भेजना शुरु किया व खुद काउन्टर पर खडा होकर काम
सम्भालना शुरु किया. काम करते करते कब अश्विनी कें ख्यालो मे खो गया पता ही नही
चला . अनुभव ओ अनुभव , अपने नाम की आवाज लगते
देख अचानक खयालो से निकला तो अश्विनी को खुद के सामने खडा पाया. उनकों अपने सामने
खडा पाकर पुरे दिन की थकान व मालिक के प्रति गुस्सा दोनो ही फुर्र हो गये. साथ ही
मे अपनी भुख प्यास दोनो ही भुल चुका था एवम् मेरे पास ग्राहक खडे खडे सामान की
माँग कर रहे है उस तरफ भी ध्यान नही गया . क्योकी उनका मेरे ऊपर प्रभाव हि कुछ ऐसा
था की उनकी उपस्थिति मात्र ही मुझे शुन्य कर देता है. पिछले महीने की ही बात है
सुबह काम पर आते ही उनके प्रमुख दरवाजे पर ही उनके दर्शन हो गये जिसकी वजह से मेरा
पुरा दिन शानदार गुजरा. इस बात को हम कुछ इस तरह से समझ सकते है की कोई इंसान से
हम अगर नेक व साफ दिल से जुड़ते है तो उसका प्रभाव भी हमारे जीवन मे सकारात्मक ही
पड़ता है. पिछले आधे घंटे से उनसे बात किये जा रहा हू व काम भी किये जा रहा हु
परंतु इस दौरान मुझे न तो थकान महसूस हो रही है व न ही गुस्सा आ रहा है . क्योकी
मेरी ऊर्जा का स्रोत व प्रेरणा का एकमात्र भंडार यही है. इनकी उपस्थिति मे , मे अपने आपको एक नवीन
ऊर्जा से संचारित पाता हु व मुझे सदैव आगे चलते रहने का साहस मिलता रहता है.
जीवन मे किस मोड पर कौन आपके लिये आदर्शत्मक रुप से आपको
आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करे उसके लिये आपको सदैव आशान्वित रहना पड़ेगा . क्योकि
जब तक हम खुद को सकारात्मक नजरिये से नही आँकेंगे तब तक कोई दूसरा हमको प्रेरित
नही कर सकता है. और इस मामले मे खुद को काफी हद तक किस्मत वाला मानता हु की मुझे
समय समय पर प्रेरित करने के लिये नेक दिल इंसान उपस्थित रहते है. जैसे अब अश्विनी
जी को हि ले लिजिये कुच महीनों पहले तक हम एक दूसरे को जानते तक नही थे ,व बाद मे जानने लगे तो
ऐसी जान पहचान हुई की जैसे एक दूसरे को काफि लम्बे समय से जानते है. उनका मेरे
मिजाज व कार्य पर कुछ ऐसा प्रभाव था की मे चाहे कितना भी थका हुआ हु , कितना भी उखडा हुआ हू
उनकों देखकर मिजाज व थकान एक दम से सही हो जाता था. अब आज कि बात को ही ले लो सुबह
9 बजे से लेकर दोपहर 3 बजे तक एकदम भयंकर तरीके से थका हुआ था. पर जैसे ही उनकों
देखा पुरे दिन की थकान व गुस्सा एकदम से ही गायब हो गया. हालाँकि मे भी काफि हद तक
विनम्र व्यवहार के साथ ही उनसे मिलता हु , ताकि दोनो के मध्य एक
अच्छा व सुमधुर संबंध बना रहे. कयी बार तो दुर से ही उनका चेहरा दिखायी देता था व
वो दिन काफी हद तक शानदार गुजरता था क्योकी कयी चेहरे अच्छे होते है.
उनकी एक झलक पाने के लिये हर संभव प्रयाश करता था . जिन जिन
जगहो पर उनके दर्शन हो सकते थे उन जगहो पर चक्कर लगाने लगा , उनके रास्ते को इस्त्माल
करने लगा . क्योकि मेरा इरादा सिर्फ इतना ही था की उनके दिदार हो जाए ताकी आगे का
बचा हुआ दिन बेहतरिन गुजरे. और उनका हँसता हुआ चेहरा कुछ ऐसा था जैसे खिलता गुलाब , रजनीगन्धा के खिलते हुए
फूल .