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*श्री राधे कृपा हि सर्वस्वम*
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*जय श्रीमन्नारायण*
सभी मित्रों को की श्री सीताराम --------------
आज जीवन में ना जाने कितने उतार-चढ़ाव आते रहते हैं और अक्सर देखा जाता है की एकता अत्यधिक चिंता ग्रस्त होकर अपने जीवन को समाप्त करने तक की योजना बना डालता है ना जाने कितने परिवार ऐसे हैं जो इन कारणों से आज जूझ रहे हैं ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह भाव व्यक्ति के मन में क्यों उत्पन्न होते हैं खुद मैं हीनता लज्जा अपने आप को कमजोर व छोटा महसूस करना जरा जरा सी बात में घबराहट होना अनेक प्रकार की काल्पनिक फिजूल की बातों को सोच कर मिथ्या भय में डूबे रहना यही सब जीवन को अस्त व्यस्त कर रहे हैं देखिए मैं"- आचार्य हर्षित कृष्ण शुक्ल" जहां तक मेरा मानना है जीवन के हर क्षेत्र में घबराहट हानिकारक है घबराना भी एक प्रकार की मानसिक कमजोरी है अतः मनुष्य को अच्छी तरह से उससे बचने का प्रयास करना चाहिए अन्यथा समाज में भयानक परिस्थितियां उत्पन्न होती है अस्थिरता असंतोष रोग चंचलता इत्यादि वाही जगत पर निर्भर ना होकर अस्वस्थ वातावरण पर निर्भर है ध्यान देंगे जब बचपन में किसी बच्चे को अधिक डराया जाए दबाया जाए धमकाया जाए मारा जाए तो आगे चलकर उसके सामने इस प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती हैं समाज में उसकी बात का मजाक बनाना आने वाले समय में उसको समाज में लज्जा महसूस होने लगती है वह अपनी बात ठीक तरीके से नहीं रख पाता उसके मन में गुप्त भय बना रहता है कि मेरा मजाक बनाया जाएगा प्रसिद्ध मनोविज्ञान के शास्त्री श्री लालजी राम जी शुक्ल ने लिखा है कि छोटे बच्चे को किसी काम के लिए लज्जित कर देना उसमें घबराने की मनोवृति पैदा कर देना अपने मन का विश्लेषण करें विचार करें की गुप्त मन में जो भय है वह हमारे आत्मविश्वास के टूट जाने के कारण पैदा हुआ है और अगर ऐसा है तो हमारा आत्मविश्वास कैसे टूटा बचपन में हमारे साथ क्या हुआ किसने कैसे डराया इन सब चीजों को ध्यान दें और मित्र साथी परिवार के लोग उसका उत्साहवर्धन करें जिससे कि उसका आत्मबल पुनः अपनी स्थिति में वापस आ सके सबल हो सके जिससे उस व्यक्ति के मन में अपने जीवन में आने वाली परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करने की क्षमता बने संघर्ष का सामना कर सके आइए संकल्प लें कि हम किसी को निर उत्साहित नहीं करेंगे मजाक नहीं बनाएंगे और हर संभव मदद करेंगे
*जय जय श्री राधे जय जय श्रीमन्नारायण*
*आचार्य*
*हर्षित कृष्ण शुक्ल*
*प्रवक्ता*
*श्रीमद् भागवत कथा एवं संगीतमय श्री राम कथा*
*लखीमपुर खीरी*
*(उत्तर प्रदेश*