*💐 श्री राधे कृपा हि सर्वस्वम 🌹*
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*जय श्रीमन्नारायण*
*जय श्री सीताराम*
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*जीवन के विविध रंग*
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जीवन और मृत्यु यह दोनों परस्पर मानव जीवन की अभिन्न अंग है दोनों का संबंध परस्पर जुड़ा हुआ है जीवन का उपभोग वैसे तो मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षी कीड़े मकोड़े जानवर आदि भी करते हैं परंतु सच्चा सुख विरले लोगों को प्राप्त होता है जीवन का अभिन्न प्रसंगों में भिन्न-भिन्न रूपों में इस प्रकार अभिव्यक्ति होता है आइए देखते हैं वर्षा की रिमझिम में आम की डाली पर फुदकती कोयल ऐसा लगता है जैसे मन ही मन कहती है जीवन कुछ नहीं बस आनंद ही आनंद है दूसरी ओर टूटे घोसले को पुनः बसाती जीवन तो बस संग्राम है वर्षा से सराबोर एक कुत्ता पिंजरे में बंद तोते को देखकर कहता है गुलामी मौत है और आजादी जीवन वर्षा की रात्रि में बहुत प्रयत्न करने पर भी जब निर्धन कृषक अपनी झोपड़ी का छप्पर ठीक नहीं कर पाता और अपनी पत्नी अपने बच्चों को आश्रय देने में असमर्थता महसूस करता है तो वह कहीं उठता है जीवन एक निष्फल परिश्रम है ऐसी ही तो खिड़की से आती हुई वर्षा की फुहारों से भीगे दामन कहता है जीवन फूलों की सेज है लेकिन प्यारे जीवन वास्तव में क्या है खाना पीना परिश्रम संघर्ष समाज परिवार जन्म मृत्यु यह सब तो पशु पक्षी कीड़े मकोड़े सभी का कार्य है सभी एक जीवन जीते हैं लेकिन वास्तविक जीवन क्या है यह जानने के लिए संतों की शरण में जाकर नारायण की सेवा में मन को लगाती हुई है उनके चरणों की वंदना करते हुए जो आनंद प्राप्त होता है उनके दर्शन करते हुए जो सुख होता है नैनो की प्राप्ति होती है आत्मिक शांति होती है यही तो जीवन है यही आनंद है इसीलिए ईश्वर को सच्चिदानंद कहा जाता है ध्यान दें हर चीज का विलोम है हर शब्द का विलोम है लेकिन आनंद का कोई विलोम नहीं है इसलिए माता कुंती ने भगवान से मांगने का नंबर आया तो दुख मांगे क्योंकि दुख ही एक ऐसा है जो बार-बार ईश्वर की याद दिलाता है जब दुख होता है तो व्यक्ति को यही याद आता है कि मैं ईश्वर नहीं हूं उसका अहम जाता रहता है अन्यथा वह अहंकार से भर कर अपने आप को ही ईश्वर मान लेता है तभी जीवन कंटक में बन जाता है अगर जीना है तो आनंद पूर्ण जीवन जीवन आनंद से रहो विविध रंगों के रूप में जीवन को जीते हुए आनंद स्वरूप बना लो नारायण स्वरूप बना लो प्रभु के चरणों में मन लगा लो यही निवेदन है
*जय जय श्रीमन्नारायण जय जय श्री सीताराम*
*आचार्य*
*हर्षित कृष्ण शुक्ला*
*प्रवक्ता*
*श्रीमद् भागवत कथा एवं संगीतमय श्रीराम कथा*
*लखीमपुर खीरी*
*( उत्तर प्रदेश)*