कुंडलियाँ -- बाबा गुरु घासीदास
सन्देशा गुरुदेव का,
मानव सभी समान।
सत्य ज्ञान जो पा सके ,
वह ही है इंसान ।।
वह ही है इंसान,
ज्ञान को जिसने जाना ।
मानव सेवा धर्म,
ज्ञान को सबकुछ माना ।।
कह डिजेंद्र करजोरि,
नहीं हो अब अन्देशा।
सदा बढ़ाये मान ,
अमर है गुरु सन्देशा।।
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रचनाकार- डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”