कहाँ पता था वो आखरी मुलाक़ात होगी,
दिल की बातें यूँ ही दिल में कैद रह जाएगी।
तुझे याद करके दिल बड़ा ही तड़पता है,
वो आखिरी मुलाक़ात को याद करके,
दिल आज भी खो जाता है तेरी वो,
आखिरी मुलाक़ात की याद के घेरे में।
आँखों से बुँदे बरस कर सुख जाती है
तुझे याद करके दिल बस मचल जाता है।
तेरी यादों के संग संग,
बोलो न कहाँ चली गई तुम,
अपनी यादों को देकर,
एक दर्द भरा नाम,
आखिरी मुलाक़ात।
बोलो न आ कर क्यों तस्वीरों,,
में खुद को कैद करके,
मुझे चुपके चुपके रुलाती हो।
बोलो न अपनी ख़ामोशी तोड़ दो
एक बार ही सही आ जाओ न।
मुझे सताने मुझे मनाने,
मुझे हँसाने मुझे गुदगुदाने,
बोलो न आओगी मुझसे,
मिलने।
अब इतनी भी नारजगी अच्छी,
नही लगती है।
मुझे तेरी ख़ामोशी चुभती है,
एक बार काश अपने दिल की,
बात तुझे सुनाता तो कितना,
अच्छा होता न।
वो रात,
तेरी मेरी जिंदगी को एक,
दर्द भरा नाम दे दिया,
आखरी मुलाक़ात।।
काश उस पल को
रोक पाते।