पितृपक्ष का हमारे पूर्वजों के प्रति आभार व्यक्त करना ही नही हमारे स्वास्थ की दृष्टि से जरुरी है।
हम अपने पूर्वजों को सच्चे मन से पिंडदान तर्पण और श्राद्ध करते हैं।
पितृपक्ष सोलह दिनों का होता है। पितृपक्ष पर हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं। उन्हें तर्पण, पिंडदान करते हैं ये आज से नही है हमारे ग्रंथों में भी है।
भारत के बिहार में गया शहर में फल्गु नदी में सीता महारानी ने दिया था राजा दशरथ को पिंडदान ये पुराणों में भी लिखा है तो हम सब तो इंसान हैं।
पिंडदान से हमें अपने पितारों का आशीर्वाद मिलता है।
आशीर्वाद ही नही हमारा स्वास्थ भी अच्छा होता है।
पिंडदान हमारे लिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी जरुरी है जानना और करना।
शहर हो या गाँव हो सब जगह
बड़े उत्साह के साथ करते हैं पिंडदान।ये हमारे पुरातन से है तो वैज्ञानिक दृष्टि से भी इसका महत्व है।
वैज्ञानिक हो या पुरातन हो दोनों का महत्व है पितृपक्ष का महत्व है क्यों की श्राद्ध में जो हम भोजन परोसते हैं वो कुत्ते कौओं गायों को खिलाया जाता है उनके विस्टा से जो बीज गिरता है उससे जहाँ तहाँ पेड़ उगते हैं जिससे हमें ऑक्सीजन मिलता है तो वैज्ञानिक दृष्टि से है न लाभदायक।
पितृपक्ष हमारे लिए स्वास्थ और धर्म दोनों के लिए फायदे मंद है तो हमें तो पितृपक्ष
से स्वास्थ लाभ और धर्म दोनों पहलू से देखने पर लाभ ही लाभ मिलता है।
पितृपक्ष धार्मिक आस्था का पर्व है अपने पूर्वजों का श्राद्ध करके हमें उनका आशीर्वाद मिलता है।
अपने पूर्वजों के श्राद्ध करते समय मन में कभी भी दुर्भावना नही लानी चाहिए हमें अपने पितरों का पिंडदान श्राद्ध हमें श्रद्धा के साथ करनी चाहिए और सबको बतानी भी चाहिए अपने नई पीढ़ीयों को तो खास कर पिंडदान के महत्व को तभी तो हमारे संस्कार हमें अपने पूर्वजों को मुक्ति मिलेगी और हम स्वस्थ रहेंगे उनके आशीर्वाद से।
श्वेता कुमारी 🙏🙏