शीर्षक ---"जिंदगी के सबक "
जिंदगी के अनुभव से मिले सबक से ही
कुछ सीखने की कोशिश करना ही तो जिंदगी कहलाती है।
इसमें उलझने की जरुरत नही होती है।
सबक से सीख कर तो अपने सपनों को फैलाने की कोशिश करना है।
जिंदगी के सबक से सीख कर खुद को घुटने न देना है।
अनुभवों के सबक से सीख कर खुद को निखारना है।
वो जिंदगी ही जिंदगी क्या होगी जो हमेशा छाँव की चाहत रखे।
वो पाँव ही क्या जो अपने छालों को देख कर चलना छोड़ दे।
वो जिंदगी भी क्या जिंदगी होगी,
जो खुद पे भरोसा न करे।
जो खुद से लड़कर सबक से सीख कर।
खुद के सुकून को न बेच दे।
अनुभवों के सफर में सफर का,
लुफ्त उठा कर।
जिंदगी के हर लम्हों को बस,
यादगार बना कर जिएँ।
बीते लम्हों के सबक जो जिंदगी,
जीना सीखा गए।
जिंदगी को हम खुद से निखार,
लिए अनुभवों से सीख कर।
खुद को सिमटने नही दिए,
अनुभव के सबक से सीख
कर।
हमनें जीना जो सीख लिए।
श्वेता कुमारी (बिहार )
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