वो लम्हें जिंदगी के तितलियों
से कम नही लगते हैं।
जितना याद करोगे उतना ही,
याद आता है।
तितलियों के तरह,
जितना पकड़ोगे उतना ही उडाता,
जाता है खुद के संग।
वो लम्हें भी कभी यादें बनकर,
कभी ख्वाब बनकर।
हमें वो खूबसूरत लम्हें याद,
आ ही जाते हैं।
चाह कर भी उन लम्हों से खुद,
को कोई कहाँ आजाद कर,
पाता है।
कोई उन लम्हों से,
जो गुजर जाते हैं जिंदगी से,
तितलियों की तरह,
उड़ उड़ कर।
बस उन लम्हों को कैद करके,
खुद में रखा है।
हमने उन्हें याद किया हर पल पल,
जिंदगी में।
जिंदगी लम्हों की तितलियों के तरह,
बस बंधनों से आजाद हो कर,
हर पल बस खुल के जिया वो,
लम्हों की तितलियों के संग संग।
खुद के साथ साथ,
हर पल जिंदगी में,
वो लम्हें थे ही इतने,
खूबसूरत तितलियों के,
तरह जिंदगी में।।
वो लम्हें जिंदगी की कहानी बन गए,
जो खुद को बस सुननी पड़ गई,
कुछ सुने अनसुने फ़साने कह गए,
यही तो जिंदगी की अब जिंदगानी बन गए।।