सीन नंबर १ -
गीत ने अपने ऊपर झुक रहे राज को जल्दी से खींचा और चुंबन देते हुए कहा - राज कही वो न आ जाये | राज ने भी अपने झटके लगते हुए दो चुंबन देते हुए कहा - क्यों टेंशन ले रही हो अगर आजायेगा तो उसे भी दफना देंगे | गीत ने चिंतित होते हुए राज ऐसे कब तक करते रहेंगे ,
राज - टेंशन न लो सब हो जायेगा , और दोनों प्रेम प्रसंग में डूब गए , और ये कमरे की लाइट्स और देवजा दोनों ही बंद करना भूल गए साथ ही साथ ये भी भूल गए कि साथ बाले कमरे का रोशनदान भी इसी कमरे में खुलता है वहां से भी साफ साफ देखा जा सकता है , उनके रतिक्रिया की आवाजे इतनी तेज थी कि सामने आने वाले के पैरो को आवाज भी उन्हें न सुनाई दे | उनकी कामक्रीङा को कोई दरवाजे के सुराक से देख रहा था , लेकिन उन्हें भनक तक नहीं थी दोनों निर्बस्त्र एक दूसरे को बेतहासा चूमे जारहे थे और अपनी उत्तेजना के चरम पर थे | राज गीत के ऊपर से अपने शरीर को गति दे रहा था | गीत - राज प्लीज अब रहने दो , मैं थक चुकी हूँ मुझसे अब और नहीं होगा |
राज ने एक और तेज झटका देते हुए कहा - डार्लिंग अभी मन नहीं भरा है |
गीत - कराहते हुए बेबी किसी और दिन मन भर लेना , अब बुढया के आने का टाइम भी हो गया है न जाने कब आ टपकेगी |
राज -हम्म यार लेकिन मुझे और प्यार करना था |
गीत ने धक्का मारकर अलग करते हुए कहा चलो अब जाओ भी बाबा नहीं पकड़े जायेगे और लग जाएगी हम दोनों के |
राज ने अनमने ढंग से उठते हुए शर्ट पहनने लगा |
गीत - राज जाओ जाओ कोई आरहा है |
राज - ओह्ह तेरी अभी आना क्या किसी को , उसने जल्दबाजी में उलटा पाजामा पहना और दीवार के किनारे से जल्दी से कूद के निकला और गली में जाने लगा |
गली में बेढंगे ढंग से जाते हुए उसे उसके छोटे भाई बंटी ने देखा तो उसका शक सच्चाई में बदलता हुआ प्रतीत हुआ | और बो खड़ा खड़ा कुछ सोचता रहा |
सीन नंबर २ --
खांसते हुए मनप्रीत की माँ अमनदीप अंदर कमरे में पहुंची तो उन्होंने देखा गीत अपने सलवार का नाडा कस रही थी | उन्होंने पूछा क्या हुआ ? गीत - कुछ नहीं , शायद ज्यादा टाइट था इसलिए लग रहा था |
अमनदीप हस्ते हुए खासते हुए कहा - हाँ हो जाता है कभी कभी | मुझे खासी जोर कर रही है थोड़ा अदरक वाली चाय बना दो |
गीत - ठीक है तुम टीवी देखो लाती हूँ , कहती हुयी जाने लगी और सोचने लगी बुढ़िया सही टाइम पर आजाती है हर बार इसका इंतजाम करना पड़ेगा | ये सब सोचते सोचते उसने चाय बनाई | और जाकर चाय दे दी | अब बो अपने घर के काम में लग गई |
सीन नंबर ३--
मनप्रीत एक प्राइवेट कम्पनी में सेल्स डिपार्मेंट में काम करता था , सेल्स में होने की बजह से उसके ऊपर हमेशा एक प्रेसर रहता था उसका सीधा सीधा असर उसके निजी जिंदगी में भी पड़ रहा था | जिसकी बजह से बो खुद को और घरवालों को टाइम भी नहीं दे पा रहा था |
दो साल पहले उसकी शादी गीत से हुयी थी | तब से लेकर आज तक घर की आर्थिक स्थिति वैसी ही बनी हुयी है उसके सर पर दो बहनो की पढ़ाई से लेकर उनकी शादी तक का खर्चे का प्रेसर था ऊपर से माँ की भी तबियत गड़बड़ रहती थी | वैसे तो मनप्रीत लम्बा ऊँचा कद काठी का मालिक था लेकिन जिम्मेदारी के बोझ से दवा हुआ था | इस सब का असर गीत पर बिलकुल नहीं था बल्कि इसके बिलकुल उल्टा वो अपने मत में रहने वाली लड़की थी , उसकी अपनी सास और ननदो से बिलकुल नहीं बनती थी | वो हमेश उनके विपरीत खड़ी दिखती थी | गीत का कॉलेज टाइम से ही कई लड़को से शारीरक संबंध थे , उसके इसी सब को लेकर उसके घर वाले परेशान रहते थे इसीलिए उन्होंने इसकी जल्दबाजी में मनप्रीत से शादी कर दी थी ताकि इसके आचरण में सुधर आ जाये |
कुछ दिन तो ठीक रहने के बाद गीत फिर से अपने पुराने दिनों के टटोलने लगी थी | उसे लगता था की मनप्रीत उसके बदन की गर्मी शांत नहीं कर पता है और न ही उसे संतुस्ट कर पाता है | इस लिए उसने अपनी सन्तुस्टि दूसरे मर्दो में दिखने लगी , वो अलग अलग मर्दो को अलग तरीको से अपने आस पास घूमने लगी थी | सब्जी बाले अलग , दूध वाले अलग , टीवी केबल बाला इन सब में उसे अपनी सन्तुस्टि दिखने लगी | गीत पर कामदेव कुछ ज्यादा ही प्रसन्न थे उन्होंने उसे गजब का हुस्न प्रदान किया था , काले घने लम्बे बाल , चौड़े कंधे स्तनों का उभर सामान्य से कुछ ज्यादा और सुडोल दिखने में गोल और आकर्षक थे , उसके कमर बाला हिस्सा किसी हिरणी से कम न था , नितम्ब भी स्तनों की भाती उभरे हुए , मसल छरछरी काया की मालिकिन थी , जवानी भी उसकी पूरे जोरो पर थी | बो खुद को रति की देवी मानती थी , उसे ऐसा लगता था की मनप्रीत उसके हुस्न का सही इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है | इसलिए उसे किसी अन्य मर्द की सहायता लेनी चाहिए; इसलिए उसने अपना पहला शिकार राज टीवी केबल ऑपरेटर को बनाया | उसे अक्सर टीवी ख़राब होने का बहाना बनाकर बुला लेती थी |
सीन नंबर ४-
राज यादराम का लड़का था , उनका परिवार भी कोई खास नहीं था , आर्थिक स्थिति उनकी भी पतली थी , घर में दो बेटे और एक बेटी थी , घर का दाना पानी दोनों बेटो के भरोशे थे क्यों की यादराम तो बीमार रहने लगा था , घरवाली चल बसी थी , इसलिए घर का माहौल भी गड़बड़ा गया था | कुछ दिनों से राज भी घर में पैसा नहीं दे रहा था , कारण पूछने पर बोलता था के काम नहीं चल रहा है | इस कारण घर की लड़की को भी काम पर जाना पड़ा , लड़की दिव्या उसे शिलायी का काम आता था , इसलिए उसे विल्लू की शॉप पर दरजी का काम मिल गया था | विल्लू के यहां श्याम , भुवन और शेरा पहले से ही काम करते थे | शेरा राशिक प्रवर्ति का लड़का था , उसने जल्दी ही दिव्या से दोस्ती करली| ये दोस्ती श्याम को खटकने लगी | एक दिन काम के बाद दिव्या और शेरा पार्क में गए तो वहां प्रेम बस उनकी नजदीकियां बढ़ी तो दोनों ने एक दूसरे को चुंबन दिया ये सब उनका पीछा कर रहे श्याम ने अपने फ़ोन के कमरे में उतार लिया | फिर दिव्या और शेरा अपने अपने घर चले जाते है | घर पर पहुंचने पर दिव्या के पास श्याम का फ़ोन आया और उसे मिलने के लिए बोला तो उसने अपने घर पर अकेला बताया और वहां आने को कहा थोड़ी देर में श्याम वहाँ पहुंच गया | तो देखा दिव्या अकेली है | उसने दिव्या को शेरा के बारे में बताया के बो मावली है पहले ही ऐसा कई लड़कियों के साथ शारीरिक संबंध बना चुका है| मुसीबत आने पर छोड़ देता है | दिव्या डर गयी और उससे न मिलने का बोला | और फिर घर बाहर निकल गया | बाहर जाते वक्त गली में गुजर रही भुवन ने उसे देखा उसने सोचा दिव्या तो शेरा के साथ है ,,, लेकिन ये श्याम इसके घर ,, कुछ समझ न आया सोचते हुए आगे चला गया | दूसरे दिन जब दिव्या और बाकी लोग काम पर पहुंचे तो दिव्या शेरा से बात नहीं कर रही थी | इस पर शेरा ने दिव्या से पूछा क्या हुआ ? दिव्या बिना कुछ कहे अपना काम निपटाती रही |
शेरा - दिव्या क्या हुआ ?
दिव्या - प्लीज मुझे मेरा काम करने दो |
शेरा - ठीक है लेकिन बजह तो बताओ |
दिव्या - देखो ज्यादा करोगे तो मै मास्टर से कह दूंगी |
शेरा गुस्साया और बोला जिससे बोलना है बोल लेकिन बजह बता |
श्याम के इशारे पर दिव्या उठी चली गयी और विल्लू से बोल दिया शेरा उसे तंग करता है और काम नहीं करने दे रहा है |
विल्लू ने शेरा को शॉप से भगा दिया |
श्याम को अपना काम आसान होता दिखा | और अब बो खुल के दिव्या से बात कर सकता था | तब तक भुवन ने शेरा को फोन करके बताया की कल उसने श्याम को दिव्या के घर से निकलते हुए देखा था | शेरा को अब स्थिति साफ हो गयी थी ये सब श्याम का करा धरा है |
शाम को श्याम और दिव्या एक साथ शॉप से निकले तो श्याम ने दिव्या को समोसा खानो कहा | दिव्या को समोसे पसंद थे , दोनों ने समोसे खाये , वहां से दोनों एक साथ चले गए | धीरे धीरे अब श्याम ने शेरा वाली जगह लेली थी | शेरा के चले जाने की बजह से काम भी दोनों पर बढ़ गया था तो दोनों देर तक बैठ कर करने लगे थे और दोनों के संबंध प्रगाढ़ होने लगे थे |
सीन नंबर ५--
एक दिन शादी के कुछ ज्यादा ही आर्डर थे तो काम पूरा न होने पर दोनों को अधिक देर तक शाप पर रुक कर काम करने को कहा गया | ये बात शेरा को भी पता चल चुकी थी | अब शाम को दोनों ही काफी देर तक काम करते रहे ,रात भी हो चुकी थी , जब काम ख़त्म हुआ तो दोनों ने आराम की साँस ली और दोनों कुछ बाते करने लगे , दोनों शाप में अकेले थे तो दोनों की नजदीकियां एक दूसरे की जरूरत पूरा करने के लिए रज़ामंदी देने लगी | और दोनों आपस में आलिंगन से शुरुआत करते हुए अब संबंध बनाने लगे थे दोनों एक दूसरे में खो चुके थे | और न जाने कब उनकी आंख लग गई |||
क्रमश