एक राजा था। उसका मंत्री बहुत ही होशियार और अड़ियल था। दरबार के कई सभासद मंत्री के खिलाफ षड्यंत्र रचते रहते थे। एक बार राज्य के एक नगर में सत्ता रोग फ़ैल गया। उस बीमारी से राजा बहुत परेशान हो गया। ना दिन को चैन, ना रात को आराम। वो राज्य को देखे या उस नगर को। राजा की परेशानी को देखते हुए, उसके मंत्री ने सभी सभासदों को उस असंभव रोग के लिए खात्मे के लिए काम पर लगा दिया और निश्चित समयसीमा में कोई भी उस रोग का इलाज नहीं खोज पाय। और सभी मुंह लटकाकर वापस लौट आये। इस बात से राजा और उसके मंत्री को कोई दिक्कत नहीं थी। लेकिन ख़ुशी इस बात की थी कि अब कोई सभासद मुंह नहीं खोलेगा। क्योंकि मंत्री ने सभी सभासदों को पर्याप्त संसाधनों के साथ ही पर्याप्त समय दिया था, खुद को साबित करने के लिए। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। राजा बेफिक्र हो गया क्योंकि उसके मंत्री की चाल ने अपने खिलाफ उठने वाली सभी आवाज़ों पर झाड़ू फेर दिया था। सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी। कभी-कभी बड़ी लड़ाई जीतने के लिए अपने दुश्मन को छोटी लड़ाई जितवा दी जाती है।