shabd-logo

common.aboutWriter

रंगकर्मी और युवा कवि

no-certificate
common.noAwardFound

common.books_of

wwwharishmalaiya

wwwharishmalaiya

हमें दुनिया से क्या मतलब मदरशा है वतन अपना किताबो में दफ्न् हो जायेगे वरक होगा कफन् अपना । (्वरक् - पेज मदरशा - स्कूल )

निःशुल्क

wwwharishmalaiya

wwwharishmalaiya

हमें दुनिया से क्या मतलब मदरशा है वतन अपना किताबो में दफ्न् हो जायेगे वरक होगा कफन् अपना । (्वरक् - पेज मदरशा - स्कूल )

निःशुल्क

common.kelekh

अफ़सोस

28 जनवरी 2016
2
1

अलविदा कह कर जा रही है .............

18 दिसम्बर 2015
1
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKerning/> <w:ValidateAgainstSchemas/> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXMLInvalid> <w:IgnoreMixedContent>false</w:IgnoreMixedContent> <w:AlwaysShowPlaceh

अजब सी सहेली हूँ ……

16 दिसम्बर 2015
6
3

यही तो था मेरे बचपन का खजाना

16 दिसम्बर 2015
4
5

<!--[if gte mso 9]><xml> <o:DocumentProperties> <o:Version>12.00</o:Version> </o:DocumentProperties></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:DoNotShowComments/> <w:DoNotShowPropertyChanges/>

कजरी और भोला

12 दिसम्बर 2015
3
0

ये रात यु थम ना जाय

12 दिसम्बर 2015
4
0

माँ

12 दिसम्बर 2015
6
0

आज रो रहा शमशान है ......

12 दिसम्बर 2015
5
0

आज रो रहा शमशान है ...... दो पाठो की चक्की में पिस रहा इंसान है देख यह विपदा , आज रो रहा शमशान है ...... आपिस - कचहरी , रिश्ते - फरेव, घर लग रहा दूकान है , दो पाठो की चक्की में पिस रहा इंसान है | किससे मिले , कहा जाये , झूंठ का जंगल वियावान है धोंखो की आग दावानल में , पत्तों - सा जल रह इंसान है

एक परिंदा

12 दिसम्बर 2015
8
3

एक परिंदा उड़ कंही से , घर की खिड़की पर आ बैठा | वह बहुत खुश नहीं , हारा हुआ सा लग रहा था | उसकी आँखे बता रही थी , आज फिर उसे किसी ने | बहुत गहरी छोट दी है , खंजर की नहीं , प्यार का मारा हुआ सा लग रहा था | बड़ी सिद्धत्तो से बनाया था आशियाना , वो किसी और घोसले के हो लिए | बार बार वह खिड़की के शीशे में

---

किताब पढ़िए