आज रो रहा शमशान है ......
आज रो रहा शमशान है ...... दो पाठो की चक्की में पिस रहा इंसान है देख यह विपदा , आज रो रहा शमशान है ...... आपिस - कचहरी , रिश्ते - फरेव, घर लग रहा दूकान है , दो पाठो की चक्की में पिस रहा इंसान है | किससे मिले , कहा जाये , झूंठ का जंगल वियावान है धोंखो की आग दावानल में , पत्तों - सा जल रह इंसान है