आज मेने उस की तरफ देखा......और ,
वो मुझे बुलाने लगी ,
मानो मुझसे कह रही हो .....
अब मुझे आराम चाहिए ,
घोर पहर की निकली हु ,
लालिमा साथ लिए ,
यौवन में हर गीत गाये है ,
अब मौन चाहिए .....परन्तु ...
इस इंसान को मुझ से प्यार नहीं है ..
ये सोचता है में हर दम इस के पास रहू
पर मेरा भी उसी की तरह वजूद है ,
मै हर दिन नया जीवन जीती हूँ ...
सुबह बड़ी शांति थी मुझ में ..
सांझ को में शोर करती हु
मै भी अब हेरान हो चुकी हूँ
अब आराम करती हूँ ...
मै समझ गया ,
आज फिर साँझ पूरी तरह से ...
थक चुकी है .......और .....
अलविदा कह कर जा रही है ...........
-हरीश मलैया