हवा का झोका आता कुछ इस तरह से ,
बचपन की याद दिला जाता कुछ इस तरह से .
वृक्ष की डालियनों का लचीला पन
बचपन की याद दिलाता
वो सड़को पर पहिया घुमाना
और पेड़ो पर चढ़ जाना ,सारे दोस्तों के साथ ,
अंडडओरी का वह खेल , खेल खूब खिलाना . फिर अचानक बारिश का तूफ़ान आ जाना ,
फिर वहीं कंही गलियनो मे डंडे पानी से नहाना ,
फिर साम को घर बापस आना ,
आग के घेरे के पास बैठ कर दांत किट किटाना,
फिर एक दो रोटी खा कर माँ के पास सो जाना ,
यही तो था मेरे बचपन का खजाना ..
अभी भूला नहीं में अपने बचपन का खजाना
-हरीश मलैया