जीवन की अबुझ पहेली✒️जीवन की अबुझ पहेलीहल करने में खोया हूँ,प्रतिक्षण शत-सहस जनम कीपीड़ा ख़ुद ही बोया हूँ।हर साँस व्यथा की गाथाधूमिल स्वप्नों की थाती,अपने ही सुख की शूलीअंतर में धँसती जाती।बोझिल जीवन की रातेंदिन की निर्मम सी पीड़ा,निष्ठुर विकराल वेदनासंसृति परचम की बीड़ा।संधान किये पुष्पों केमैं तुमको पु
पक्षियों की एक बड़ी दुकान के बाहर लगे बोर्ड पे लिखा था- “100 रूपये में 100 देसी पक्षी खरीदने का सुनहरा अवसर।”लेकिन जब रोहन ने ऐसा सुनहरा अवसर देखा तब उसने पक्षियों को खरीदने का फैसला किया। जब उसने दुक