shabd-logo

हत्या

20 जून 2016

86 बार देखा गया 86

 

मेरी एक - एक भावनाएं
मेरी संताने हैं 
मैं नहीं देख सकता 
इनमें से एक की भी 
मेरे समक्ष होती हुई 
निर्मम हत्या।

संजय कुमार मौर्य की अन्य किताबें

1

संदेह

9 जून 2016
0
2
2

तल से क्षितिज तक अगाध जल लिएनदी अनवरत अपने पथ बह रही हैसरिता की मद्धिम मधुर ध्वनि मेंजाने किस भाषा में कुछ कह रही हैपर क्या उस पर इस कारण से ही मन में तनिक संदेह न करे कोई कि- वह कभी बॉधों को न तोड़ेगी वह कभी किसी और पथ पर न दौड़ेगी जबकि

2

बूंदे

20 जून 2016
0
1
0

 बूंदे बस रही हैं मन में तन को छूकर, पीड़ा छलक रही हैबनकर बूंदे ऑखों में, बूंदे सरक रही है पत्तों से पत्तों में अटक - अटक कर, बूंदे घुल रही हैं धरती में अंबर से गिरकर, बूंदे जा रही हैं जड़ में जड़ से पत्तों तकऔर पत्तों से पुनः अंबर की गोदी में।

3

जिंदा लोग

20 जून 2016
0
1
1

 मैं ही मुझसे प्रश्न करता हूॅअक्सर किये सड़कों पर चलते हुए लोगउपर से शीतल भीतर से जलते हुए लोग पग - पग पर ही स्वयं को छलते हुए लोग क्या जिंदा हैं ये लोग?

4

हत्या

20 जून 2016
0
1
0

 मेरी एक - एक भावनाएंमेरी संताने हैं मैं नहीं देख सकता इनमें से एक की भी मेरे समक्ष होती हुई निर्मम हत्या।

5

पदचिन्ह

20 जून 2016
0
2
0

 मैं देखकर झुठला जाता थानहीं भाता थारास नहीं आता थाउस दृश्य उस नक्शे का ज्ञानजानबूझ कर हो जाता थामार्गदर्शन से अनजान।अबोधावस्था से होते हुएअंततः बोधावस्था की ओर गयाफिर भी तनिक न आई हयासो भटकता रहाठोकरें खाकर सर पटकटा रहा।जब जीवन ने बहुत रुलायाकदम - कदम पे अड़चनों ने सतायातब जाकर कहीं अकल आयाऔर ऑखों क

6

चरागों में ढूढ़ता है

11 अगस्त 2016
0
2
0

चरागों में ढूढ़ता है रोशनी यारों।ख़ुद से कितना दूर है आदमी यारों।।  क्यूं ख़याल इतना क्यूं तड़प इतना है।बस चार दिन की है जिंदगी यारों।। तेरा खुदा अलग है मेरा खुदा अलग। ये किस तरह की है हमारी बंदगी यारों।। चल मिलके एक दुनियां बनाते चलें। जहॉ हो न हरगिज दुश्मनी यारों।। मेरे मुख़ालिफ मेरे होने लगे हैं सब।

7

सरसो का फूल

12 अगस्त 2016
0
1
0

  कितना प्यार से तुम्हें, पुलकित हो सहलाती है बलखाती है मुस्काती है लहराती खेतों में सोलह साल की युवती। कितना स्नेह से तुम्हें, निहारता है जैसे अपलक ऑखों से निशब्द खड़े-खड़े पुकारता है तुम्हारे सौंदर्य में तल्लीन खेत घूमता किशोर युवक। तितलियॉ घूमती-घूमती आकर बैठ जाती हैं तुम्हारे नाजुक देह के किसी एक

---

किताब पढ़िए