कितना प्यार से
तुम्हें,
पुलकित हो सहलाती है
बलखाती है मुस्काती है
लहराती खेतों में
सोलह साल की युवती।
कितना स्नेह से
तुम्हें,
निहारता है
जैसे अपलक ऑखों से
निशब्द खड़े-खड़े पुकारता है
तुम्हारे सौंदर्य में तल्लीन
खेत घूमता
किशोर युवक।
तितलियॉ घूमती-घूमती
आकर बैठ जाती हैं
तुम्हारे नाजुक देह के
किसी एक अंग पर,
कैसा महसूस होता होगा तुम्हे ?
प्यारी तितलियों का स्पर्श
और तितलियों को तुम्हारा।