धरती का दोहन ‘विश्व जल दिवस ‘डॉ शोभा भारद्वाज शीतल निर्मल मीठा जल मन एवं आत्मा दोनों को तृप्त कर देता है चार दिन तक पूर्वी दिल्ली ने पानी की भयंकर किल्लत देखी कारण अंडर ग्राउंड पाईप में लीकेज था आस पास के घरों के अंडरग्राउंड में सीलन आने लगी पाईप की मरम्मत का काम तेजी से चला इस बीच पानी का हा-ह
कब तक मौन रहोगे विदुरों? जब सर ही कट जायेगा तो….!रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी डायरी में लिखा है कि मुझे एक शालीन कवि होने के नाते रक्त पीने जैसी बात शायद नहीं लिखनी चाहिए थी पर मैंने इसलिए लिख दी है ताकि आने वाले कल में इतिहास याद रखें कि जब सब सरकारी सरोकारी लोग मौन थे तो इस देश के एक कवि को इतना गुस
भेदियों से देश को कितना नुकसान!अक्सर होता यह है कि किसी आपराधिक वारदात को रोकने पहले कोई एहतियाती कदम नहीं उठाये जाते किन्तु जब हो जाता है तो यह बवंडर बन जाता है तथा उसके पीछे जनता का पैसा इतना खर्च हो जाता है कि उसकी कोई सीमा नहीं रहती. उत्तर प्रदेश में भले ही छोटे मोटे अपराध को ज्यादा तबज्जो नहीं
*श्रीमते रामानुजाय नमः**श्री यतिराजाय नमः*💐💐💐💐💐💐💐💐 *गुरुपूर्णिमा विशेष*--- *द्वितीय भाग*🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕 गुरुदेव की असीम कृपा उनकी दया प्रेम वात्सल्य उसी के फलस्वरूप हमें परम आराध्य श्री लक्ष्मीनारायण जी के चरणों का आश्रय मिलता है और परमात्मा से मिलाने का पावन कार्य सिर्फ और सिर्फ श्
गर्भावस्था के नौ महीने किसी भी महिला के लिए जीवन के सबसे अनमोल पल होते हैं।
Hausale buland rakh aie pathik tu Zamane ki in chingariyon me Kahin jhulas na jana tuNam unhi ke hua karte hain sangemarmar ki deevaron par Jisane apne lahoo k katron ko Chhint kar sajai thi apne armano ki dunia koHatash ho ,nirash ho eisa jazba na rakh kabhiDil me apne.. Jab thaan hi li
💕💕 *इश्क* 💕💕इश्क कोई अज़ूबा 'रिश्ता' नहींइश्क कोई गहरी साज़िश नहींइश्क कोई बेहिसाब सज़ा नहींइश्क क़ुदरत का एक फ़रमान हैक़ायानात से उतरा हुआ,आशिकों की आन जान हैइश्क क़ायदा है हुश्न फ़रमाने काइश्क उल्फ़त का आइना हैइश्क "चाहत" हैइश्क नेह की डगर हैइश्क "ज़न्नत" का पैगाम हैइश्क हदों के पार दोस्तना है
इस लेख का ‘‘शीर्षक’’ देख कर बहुत से लोगों को हैरानी अवश्य होगी और आश्चर्य होना भी चाहिये। पर बहुत से लोग इस पर आखें भी तरेर सकते है। यदि वास्तव में ऐसा हो सका तो, मेरे लेख लिखने का उद्देश्य भी सफल हो जायेगा। एक नागरिक, बल्कि यह कहना ज्यादा उचित होगा एक भारतीय पैदाईशी ही स्वभावगतः देशप्रेमी होता है।
एड्स रोग की पहचान होने के बाद, दशकों में नैदानिक परीक्षण और उपचार में काफी सुधार हुआ है, जो जीवन की सीमा और गुणवत्ता को बढ़ाता है। हालांकि, कुछ समुदायों में उच्च जोखिम वाला व्यवहार अभी भी प्रचलित है और निरंतर परीक्षण, निदान और उपचार एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य उद्देश्य बना हुआ है।
एचआईवी / एड्स अधिनियम2017, जो प्रभावित लोगों केखिलाफ भेदभाव कोप्रतिबंधित करता है|सरकार ने अधिसूचनाजारी कर दी है|अधिसूचना में बतायागया है कि10 सितंबर से इसेपूरे देश मेंलागू कर दियागया है| अधिनियम,जिसे पिछले साल20 अप्रैल को राष्ट्रपतिकी सहमति मिलीथी, ह्यूमन इम्यूनोडेफि
" मेहनत इतनी ख़ामोशी से करो की सफलता शोर मचा दे | " ये लाइन उन पे बहुत सही लगती हैं जो मेहनत करना जानते है ना की उन पे जो मेहनत न करके v सिर्फ बातें बनाना जानते हैं | हमारे घर काकी आती थी खाना