*श्रीमते रामानुजाय नमः*
*श्री यतिराजाय नमः*
💐💐💐💐💐💐💐💐
*गुरुपूर्णिमा विशेष*---
*द्वितीय भाग*
🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕
गुरुदेव की असीम कृपा उनकी दया प्रेम वात्सल्य उसी के फलस्वरूप हमें परम आराध्य श्री लक्ष्मीनारायण जी के चरणों का आश्रय मिलता है और परमात्मा से मिलाने का पावन कार्य सिर्फ और सिर्फ श्री सद्गुरु जीके द्वारा ही संभव है क्योंकि बताया गया है ( *बिनु गुरु भव निधि तरही न कोई जो बिरंचि संकर सम होई)* अर्थात बिना गुरु के कोई भी व्यक्ति इस भवसागर से मुक्त नहीं होता चाहे स्वयं ब्रह्मा या शिव ही क्यों ना हो इसलिए मानव जीवन में अगर कुछ प्राप्त करने योग्य है तो वह है श्री सद्गुरु की कृपा सद्गुरु की कृपा हमें तभी प्राप्त होती है जब हमारा समर्पण पूर्ण हो हम हर तरीके से गुरुदेव को समर्पित है फिर गुरु की असीम कृपा उनका वात्सल्य करुणा अनवरत बरसने लगती है गुरु के पास बिल्कुल ही रीता अर्थात बालक के समान अबोध बनकर उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती क्योंकि कोई भी वस्तु तभी पात्र में रखी जाती है जब पात्र खाली होता है अगर हम स्वयं ज्ञानी बन कर गुरु के पास जाएं तो गुरुदेव की कृपा सद्गुरु का ज्ञान हमें प्राप्त नहीं हो सकता और फिर भगवत मिलन भी असंभव हो जाता है गुरु ही वह शक्ति है जो एक मिट्टी के कच्चे घड़े को गढ़ कर सुंदर स्वरूप देता है और उसे सम्राट की महलों तक पहुंचा देता है शास्त्रों में कहा गया है
*तस्माद यतीन्द्र सामर्थ्य मीश्वरस्यापि नास्ति हि*।
*यतो यतीन्द्र सम्बन्धात्पापात्मा ह्यपि मुक्ति भाक्।*
अर्थात:- यतींद्र के समान सामर्थ्य ईश्वर का भी नहीं यतींद्र (श्री रामानुजाचार्य स्वामी जी )के संबंध से पाप आत्मा भी मुक्ति पद का भागी बन जाता है इसीलिए यह श्री रामानुजाचार्य साक्षात भगवान संकर्षण जगतगुरु महात्मा है इनके संबंध बल से सभी प्राणियों को मोक्ष सिद्ध है जो व्यक्ति अपने मस्तक पर ऊर्ध्व पुण्ड्र धारण करता है उसका शरीर भगवान का सुंदर मंदिर बन जाता है
*तस्माद यस्य शरीरे तु ऊर्ध्व पुण्ड्र धृतं भवेत*
*तस्य देहं भगवतो विमलं मन्दिरम शुभम*
(पद्म पुराण उत्तर खण्ड अध्याय 225)
अतः समस्त प्राणियों को गुरु का आशीर्वाद लेकर दीक्षा युक्त होकर श्री वैष्णव धर्म पालन करते हुए मोक्ष का गामी बनना चाहिए
*क्रमशः*---
*श्रीमहन्त*
*हर्षित कृष्णाचार्य*
*श्री जगदीश कृष्ण श्रीवैष्णव शरणागति आश्रम*
*लखीमपुर खीरी*
9648769089