।। हनुमानजी के द्वादश नाम ।।
हनुमानञ्जनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:। रामेष्ट:फाल्गुनसख:पिङ्गाक्षोऽमितविक्रम।।
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।
स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भेवत्।।
अर्थ-
पहला नाम हनुमान है, दूसरा अंजनीसूनु, तीसरा वायुपुत्र, चौथा महाबल, पांचवां रामेष्ट यानी श्रीराम के प्रिय, छठा फाल्गुनसख यानी अर्जुन के मित्र, सातवां पिंगाक्ष यानी भूरे नेत्रवाले, आठवां अमितविक्रम, नवां उदधिक्रमण यानी समुद्र का अतिक्रमण करने वाले, दसवां सीताशोकविनाशन यानी सीताजी के शोक का नाश करने वाले, ग्याहरवां लक्ष्मणप्राणदाता यानी लक्ष्मण को संजीवनी बूटी द्वारा जीवित करने वाले और बाहरवां नाम है दशग्रीवदर्पहा यानी रावण के घमंड को दूर करने वाले। इन बारह नामों को सोने के समय, सुबह जगने पर और यात्रा के समय जो पढ़ता है , उसको भय नहीं रहता और युद्ध में विजयी होता है।