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श्रीमंगल चंडिका स्त्रोत

17 अक्टूबर 2023

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श्रीमंगल चंडिका स्त्रोत
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श्रीमंगल चंडिका स्त्रोत के लाभ
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इस स्तोत्र का पाठ आप मंगलवार दिन आरंभ करें साथ ही भगवान शिव का पंचाक्षरी का एक माला जप करने से अधिक लाभ मिलेगा अत्यंत चमत्कारिक है यह स्तोत्र अवश्य लाभ लें...

श्री मंगल चंडिका स्तोत्रम् का वर्णन ब्रह्मवार्ता पुराण में देखने को मिल जायेगा ! श्री मंगल चंडिका स्तोत्रम् पूरी तरह संस्कृत भाषा में लिखा हुआ हैं ! श्री मंगल चंडिका स्तोत्रम् का जाप करने से उस व्यक्ति की सभी इच्छाये पूरी हो जाती हैं ! चंडीका देवी महात्म्य की सर्वोच्च देवी मानी जाती है दुर्गा सप्तशती में चंडीका देवी को चामुंडा या माँ दुर्गा कहा गया हैं ! चंडीका देवी महाकाली, महा लक्ष्मी और महा सरस्वती का एक संयोजन रूप हैं ! श्री मंगल चंडिका स्तोत्रम् का व्यक्ति नियमित रूप से जाप करता हैं उसे धन, व्यापार, गृह-कलेश आदि समस्या से परेशानी नही आती हैं ! जिस भी जातक का विवाह में परेशानी आ रही हो तो उसे श्री मंगल चंडिका स्तोत्रम् का नियमित जाप करने से शादी में आ रही परेशानी दूर हो जाती हैं ,

मंगल दोष के कुछ प्रभावी एवं लाभकारी उपाय..
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मंगल दोष की वजह से विवाह में देरी हो तो ये उपाय जरूर करने चाहिए। माना जाता है कि इन उपायों को करने से विवाह में आ रही बाधाएं जल्द दूर होती हैं और शीघ्र विवाह होता है।

👉 जिन जातकों की जन्म कुंडली के 1,4,7 और 12 वें भाव में मंगल होता है, उन्हें मांगलिक दोष होता है। इस दोष के कारण जातक को कई प्रकार की बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे उनके भूमि से संबंधित कार्यो में बाधा आती है। विवाह में विलंब होता है। ऋण से मुक्ति नहीं मिलती, वास्तुदोष उत्पन्न हो सकता है

👉 अगर किसी युवती के विवाह में मंगल की वजह से बाधा आ रही है तो शुक्ल पक्ष के मंगलवार को भगवान राम-सीता व हनुमानजी के चित्र की स्थापना करें और दीपक जलाकर सुंदरकांड का पाठ करें।

👉 बंदरों व कुत्तों को गुड व आटे से बनी मीठी रोटी खिलाएं

👉 मंगल चन्द्रिका स्तोत्र का पाठ करना भी लाभ देता है

👉 माँ मंगला गौरी की आराधना से भी मंगल दोष दूर होता है

👉 कार्तिकेय जी की पूजा से भी मंगल दोष के दुशप्रभाव में लाभ मिलता है

👉 मंगलवार को बताशे व गुड की रेवड़ियाँ बहते जल में प्रवाहित करें

👉 आटे की लोई में गुड़ रखकर गाय को खिला दें

👉 मंगली कन्यायें गौरी पूजन तथा श्रीमद्भागवत के 18 वें अध्याय के नवें श्लोक का जप अवश्य करें

👉 मांगलिक वर अथवा कन्या को अपनी विवाह बाधा को दूर करने के लिए मंगल यंत्र की नियमित पूजा अर्चना करनी चाहिए।

👉 मंगल दोष द्वारा यदि कन्या के विवाह में विलम्ब होता हो तो कन्या को शयनकाल में सर के नीचे हल्दी की गाठ रखकर सोना चाहिए और नियमित सोलह गुरूवार पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाना चाहिए

👉 मंगलवार के दिन व्रत रखकर हनुमान जी की पूजा करने एवं हनुमान चालीसा का पाठ करने से व हनुमान जी को सिन्दूर एवं चमेली का तेल अर्पित करने से मंगल दोष शांत होता है

👉 महामृत्युजय मंत्र का जप हर प्रकार की बाधा का नाश करने वाला होता है, महामृत्युजय मंत्र का जप करा कर मंगल ग्रह की शांति करने से भी वैवाहिक व दांपत्य जीवन में मंगल का कुप्रभाव दूर होता है

👉 यदि कन्या मांगलिक है तो मांगलिक दोष को प्रभावहीन करने के लिए विवाह से ठीक पूर्व कन्या का विवाह शास्त्रीय विधि द्वारा प्राण प्रतिष्ठित श्री विष्णु प्रतिमा से करे, तत्पश्चात विवाह करे

👉 यदि वर मांगलिक हो तो विवाह से ठीक पूर्व वर का विवाह तुलसी के पौधे के साथ या जल भरे घट (घड़ा) अर्थात कुम्भ से करवाएं।

👉 यदि मंगली दंपत्ति विवाहोपरांत लालवस्त्र धारण कर तांबे के पात्र में चावल भरकर एक रक्त पुष्प एवं एक रुपया पात्र पर रखकर पास के किसी भी हनुमान मन्दिर में रख आये तो मंगल के अधिपति देवता श्री हनुमान जी की कृपा से उनका वैवाहिक जीवन सदा सुखी बना रहता है

मांगलिक-दोष हेतु मंगल के इन 21 नाम नित्य पाठ करें
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1. ऊँ मंगलाय नम:
2. ऊँ भूमि पुत्राय नम:
3. ऊँ ऋण हर्वे नम:
4. ऊँ धनदाय नम:
5. ऊँ सिद्ध मंगलाय नम:
6. ऊँ महाकाय नम:
7. ऊँ सर्वकर्म विरोधकाय नम:
8. ऊँ लोहिताय नम:
9. ऊँ लोहितगाय नम:
10. ऊँ सुहागानां कृपा कराय नम:
11. ऊँ धरात्मजाय नम:
12. ऊँ कुजाय नम:
13. ऊँ रक्ताय नम:
14. ऊँ भूमि पुत्राय नम:
15. ऊँ भूमिदाय नम:
16. ऊँ अंगारकाय नम:
17. ऊँ यमाय नम:
18. ऊँ सर्वरोग्य प्रहारिण नम:
19. ऊँ सृष्टिकर्त्रे नम:
20. ऊँ प्रहर्त्रे नम:
21. ऊँ सर्वकाम फलदाय नम:

अथश्री मंगलचंडिकास्तोत्रम् .
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ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वपूज्ये देवी मङ्गलचण्डिके I
ऐं क्रूं फट् स्वाहेत्येवं चाप्येकविन्शाक्षरो मनुः II
पूज्यः कल्पतरुश्चैव भक्तानां सर्वकामदः I
दशलक्षजपेनैव मन्त्रसिद्धिर्भवेन्नृणाम् II
मन्त्रसिद्धिर्भवेद् यस्य स विष्णुः सर्वकामदः I
ध्यानं च श्रूयतां ब्रह्मन् वेदोक्तं सर्व सम्मतम् II
देवीं षोडशवर्षीयां शश्वत्सुस्थिरयौवनाम् I
सर्वरूपगुणाढ्यां च कोमलाङ्गीं मनोहराम् II
श्वेतचम्पकवर्णाभां चन्द्रकोटिसमप्रभाम् I
वन्हिशुद्धांशुकाधानां रत्नभूषणभूषिताम् II
बिभ्रतीं कबरीभारं मल्लिकामाल्यभूषितम् I
बिम्बोष्टिं सुदतीं शुद्धां शरत्पद्मनिभाननाम् II
ईषद्धास्यप्रसन्नास्यां सुनीलोल्पललोचनाम् I
जगद्धात्रीं च दात्रीं च सर्वेभ्यः सर्वसंपदाम् II
संसारसागरे घोरे पोतरुपां वरां भजे II
देव्याश्च ध्यानमित्येवं स्तवनं श्रूयतां मुने I
प्रयतः संकटग्रस्तो येन तुष्टाव शंकरः II
शंकर उवाच रक्ष रक्ष जगन्मातर्देवि मङ्गलचण्डिके I
हारिके विपदां राशेर्हर्षमङ्गलकारिके II
हर्षमङ्गलदक्षे च हर्षमङ्गलचण्डिके I
शुभे मङ्गलदक्षे च शुभमङ्गलचण्डिके II
मङ्गले मङ्गलार्हे च सर्व मङ्गलमङ्गले I
सतां मन्गलदे देवि सर्वेषां मन्गलालये II
पूज्या मङ्गलवारे च मङ्गलाभीष्टदैवते I
पूज्ये मङ्गलभूपस्य मनुवंशस्य संततम् II
मङ्गलाधिष्टातृदेवि मङ्गलानां च मङ्गले I
संसार मङ्गलाधारे मोक्षमङ्गलदायिनि II
सारे च मङ्गलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम् I
प्रतिमङ्गलवारे च पूज्ये च मङ्गलप्रदे II
स्तोत्रेणानेन शम्भुश्च स्तुत्वा मङ्गलचण्डिकाम् I
प्रतिमङ्गलवारे च पूजां कृत्वा गतः शिवः II
देव्याश्च मङ्गलस्तोत्रं यः श्रुणोति समाहितः I
तन्मङ्गलं भवेच्छश्वन्न भवेत् तदमङ्गलम् II

II इति श्री ब्रह्मवैवर्ते मङ्गलचण्डिका स्तोत्रं संपूर्णम् II

श्री मङ्गलचण्डिका स्तोत्र (हिंदी अनुवाद)
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' ॐ हृीं श्रीं क्लीं सर्वपूज्ये देवि मङ्गलचण्डिके ऐं क्रूं फट् स्वाहा ॥ '
इक्कीस अक्षरका यह मन्त्र सुपूजित होनेपर भक्तोंकी संपूर्ण कामना प्रदान करनेके लिये कल्पवृक्षस्वरुप है ।
ब्रह्मन् ! अब ध्यान सुनो । सर्वसम्मत ध्यान वेदप्रणित है ।
" सुस्थिर यौवना भगवती मङ्गलचण्डिका सदा सोलह
वर्षकी ही जान पडती हैं । ये सम्पूर्ण रुप-गुणसे सम्पन्न,
कोमलाङ्गी एवं मनोहारिणी हैं । श्र्वेत चम्पाके समान इनका गौरवर्ण तथा करोडों चन्द्रमाओंके तुल्य इनकी
मनोहर कान्ति हैं । वे अग्निशुद्ध दिव्य वस्त्र धारण किये
रत्नमय आभूषणोंसे विभूषित हैं । मल्लिका पुष्पोंसे समलंकृत केशपाश धारण करती हैं । बिम्बसदृश लाल ओठ, सुन्दर दन्त पक्तिं तथा शरत्कालके प्रफुल्ल कमलकी भाँति शोभायमान मुखवाली मङ्गलचण्डिकाके प्रसन्न  अरविंद जैसे वदनपर मन्द मुस्कानकी छटा छा रही हैं । इनके दोनों नेत्र सुन्दर खिले
हुए नीलकमलके समान मनोहर जान पडते हैं । सबको
सम्पूर्ण सम्पदा प्रदान करनेवाली ये जगदम्बा घोर संसार
सागरसे उबारनेमें जहाजका काम करती हैं । मैं सदा इनका भजन करता हूँ । "
मुने ! यह तो भगवती मङ्गलचण्डिकाका ध्यान हुआ ।
ऐसे ही स्तवन भी है, सुनो !
महादेवजीने कहा-----
" जगन्माता भगवती मङ्गलचण्डिके ! आप सम्पूर्ण विपत्तियोंका विध्वंस करनेवाली हो एवं हर्ष तथा मङ्गल
प्रदान करनेको सदा प्रस्तुत रहती हो । मेरी रक्षा करो, रक्षा करो । खुले हाथ हर्ष और मङ्गल देनेवाली हर्ष मङ्गलचण्डिके ! आप शुभा, मङ्गलदक्षा, शुभमङ्गलचण्डिका, मङ्गला, मङ्गलार्हा तथा सर्वमङ्गलमङ्गला कहलाती हो ।
देवि ! साधुपुरुषोंको मङ्गल प्रदान करना तुम्हारा स्वाभाविक गुण हैं । तुम सबके लिये मङ्गलका आश्रय हो । देवि ! तुम मङ्गलग्रहकी इष्टदेवी हो । मङ्गलके दिन तुम्हारी पूजा होनी चाहिये । मनुवंशमें उत्पन्न राजा मङ्गलकी पूजनीया देवी  यहो । मङ्गलाधिष्ठात्री देवी !
तुम मङ्गलोंके लिये भी मङ्गल हो । जगत्के समस्त
मङ्गल तुमपर आश्रित हैं । तुम सबको मोक्षमय मङ्गल प्रदान करती हो । मङ्गलको सुपूजित होनेपर मङ्गलमय
सुख प्रदान करनेवाली देवि ! तुम संसारकी सारभूता मङ्गलाधारा तथा समस्त कर्मोंसे परे हो । "
इस स्तोत्रसे स्तुति करके भगवान् शंकरने देवी मङ्गचण्डिकाकी उपासना की । वे प्रति मङ्गलवारको उनका पूजन करते चले जाते हैं । यों ये भगवती सर्वमङ्गला सर्वप्रथम भगवान् शंकरसे पूजित हुई ।
उनके दूसरे उपासक मङ्गल ग्रह हैं । तीसरी बार राजा
मङ्गलने तथा चौथी बार मङ्गलके दिन कुछ सुन्दरी स्त्रियोंने इन देवीकी पूजा की । पाँचवीं बार मङ्गलकी कामना रखनेवाले बहुसंख्यक मनुष्योंने मङ्गलचण्डिकाका पूजन किया । फिर तो विश्वेश शंकरसे सुपूजित ये देवी प्रत्येक विश्र्वमें सदा पूजित होने
लगीं । मुने ! इसके बाद देवता, मुनि, मनु और मानव सभी
सर्वत्र इन परमेश्र्वरीकी पूजा करने लगे ।
फलश्रुति :--
जो पुरुष मनको एकाग्र करके भगवती मङ्गलचण्डिकाके इस स्तोत्रका श्रवण करता है, उसे सदा मङ्गल प्राप्त होता है । अमङ्गल उसके पास नहीं आ
सकता । उसके पुत्र और पौत्रोंमें वृद्धि होती है तथा उसे प्रतिदिन मङ्गलही दृष्टिगोचर होता है ।          

यह अनुवाद गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित संक्षिप्त ब्रह्मवैवर्तपुराणमे किये गये हिंदी अनुवादपर आधारित है तथा उनके प्रति नम्रतापूर्वक कृतज्ञता 

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रचनाएँ
शास्त्रों के झरोखों से
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नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय यह पुस्तक एक छोटा सा प्रयास है हमारे शास्त्रों में वर्णित तथा हमारे मनीषियों के द्वारा रचित प्रसंगों को संकलित करने का|अगर किसी को कोई त्रुटि नजर आती है तो सुझाव सादर आमंत्रित हैं|
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नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय   भूतभावन भगवान भोलेनाथ को कोटिशः प्रणाम करते हुए और देवाधिदेव महादेव की कृपा के सहारे मैं हमारे हिंदू वैदिक सनातन धर्म के शास्त्रों में आये हुए प्रसंगों को संकलित करने

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|| सर्वरोगनाशक श्रीसूर्यस्तवराजस्तोत्रम् ||

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|| सर्वरोगनाशक श्रीसूर्यस्तवराजस्तोत्रम् ||   मित्रों, इसी स्तोत्र द्वारा सूर्य उपासना करने पर श्रीकृष्ण भगवान के पुत्र साम्ब ने कुष्ठ रोग से मुक्ति पायी थी। नित्य प्रातः सूर्य के सामने इस स्तोत्र क

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पूर्णिमा तिथि का आध्यात्म एवं ज्योतिष में महत्त्व 〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️ पूर्णिमा तिथि जिसमें चंद्रमा पूर्णरुप में मौजूद होता है। पूर्णिमा तिथि को सौम्य और बलिष्ठ तिथि कहा जाता है। इस तिथि को

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तृतीया तिथि का आध्यात्मिक एवं ज्योतिषीय महत्त्व 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ भारतीय ज्योतिषीय गणना के अनुसार  तृतीया तिथि आरोग्यदायिनी होती है एवं इसे सबला नाम से भी जाना जाता है। इसकी स्वामिनी मा

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*शास्त्रों के अनुसार पूजा अर्चना में वर्जित काम* *१) गणेश जी को तुलसी न चढ़ाएं* *२) देवी पर दुर्वा न चढ़ाएं* *३) शिव लिंग पर केतकी फूल न चढ़ाएं* *४) विष्णु को तिलक में अक्षत न चढ़ाएं* *५) दो शं

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।। श्रीराम-रक्षा स्तोत्र ।।  (हिंदी भावार्थ सहित) श्रीरामरक्षा स्तोत्र सभी तरह की विपत्तियों से व्यक्ति की रक्षा करता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य भय रहित हो जाता है। एक कथा है कि भगवान श

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द्वादशज्योतिर्लिङ्गस्तोत्रम्

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श्रीरामद्वादशनामस्तोत्रम्

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।। श्रीरामद्वादशनामस्तोत्रम् ।। इसका नित्य ७ बार पाठ करने से सभी अरिष्ट का निवारण हो जाता है। द्वादशी अर्धरात्रि में पाठ करने से दरिद्रता समाप्त हो जाती है। ग्रहण में नदी में खड़े होकर पाठ करने से

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हनूमत्कृत- सीतारामस्तोत्र

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।। हनूमत्कृत- सीतारामस्तोत्र ।। अयोध्यापुरनेतारं मिथिलापुरनायिकाम्। राघवाणामलंकारं वैदेहानामलंक्रियाम्।।१।। रघूणां कुलदीपं च निमीनां कुलदीपिकाम्। सूर्यवंशसमुद्भूतं सोमवंशसमुद्भवाम्।।२।। पुत

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स्रुवा धारण व प्रकार

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🔥 स्रुवा धारण व प्रकार 🔥 " मूले हानिकरं  प्रोक्तं  मध्ये  शोककरं  तथा ।  अग्रे व्याधिकरं प्रोक्तं  स्रुवं धारयते  कथम् ।।  कनिष्ठाङ्गुलिमाने   चतुर्विशतिकाङ्गुलम् ।  चतुरङ्गुलं परित्यज्य अग

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हनुमानजी के द्वादश नाम

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।। हनुमानजी के द्वादश नाम ।। हनुमानञ्जनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।                      रामेष्ट:फाल्गुनसख:पिङ्गाक्षोऽमितविक्रम।। उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।                                     

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विवाह संबंध में जरूर ध्यान दें

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•मीन, वृश्चिक, कर्क ब्राह्मण वर्ण, मेष, सिंह, धनु क्षत्रिय वर्ण, मिथुन, तुला, कुंभ शुद्र वर्ण, कन्या, मकर और वृष वैश्य वर्ण है. नोत्तमामुद्धहेतु कन्यां ब्राह्मणीं च विशेषतः । म्रियते हीनवर्णश्च ब्

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शिवलिंग के प्रकार एवं महत्त्व

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शिवलिंग_के_प्रकार_एवं_महत्त्व 🔱 मिश्री(चीनी) से बने शिव लिंग कि पूजा से रोगो का नाश होकर सभी प्रकार से सुखप्रद होती हैं। 🔱 सोंठ, मिर्च, पीपल के चूर्ण में नमक मिलाकर बने शिवलिंग कि पूजा से वश

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सर्वदोष नाश के लिये रुद्राभिषेक विधि

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सर्वदोष नाश के लिये रुद्राभिषेक विधि 〰️〰️🔸〰️〰️🔸🔸〰️〰️🔸〰️〰️ रुद्राभिषेक अर्थात रूद्र का अभिषेक करना यानि कि शिवलिंग पर रुद्रमंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। जैसा की वेदों में वर्णित है शिव और रुद्र

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नदी स्तोत्रं एवं नदीतारतम्यस्तोत्रम्

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*नदी स्तोत्रं एवं नदीतारतम्यस्तोत्रम्* नदी स्तोत्रं  प्रवक्ष्यामि सर्वपापप्रणाशनम् । भागीरथी वारणासी यमुना च सरस्वती ॥ १॥ फल्गुनी शोणभद्रा च नर्मदा गण्डकी तथा । मणिकर्णिका गोमती प्रयागी च प

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श्रावण सोमवार पर कैसे करे शिव पूजा

29 सितम्बर 2023
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श्रावण सोमवार पर कैसे करे शिव पूजा 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ सामान्य मंत्रो से सम्पूर्ण शिवपूजन प्रकार और पद्धति 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ देवों के देव भगवान भोले नाथ के भक्तों के लिये श्रावण सोम

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पेट के रोग और ग्रह

29 सितम्बर 2023
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1.जन्म कुंडली के अनुसार पेट दर्द के लिए सबसे अधिक शनि ग्रह जिम्मेदार होता है। शनि एक ऐसा ग्रह है जो जातक की कुंडली में अशुभ होते ही, भिन्न-भिन्न प्रकार की परेशानियां देता है।यह ग्रह कुंडली के जिस भाव

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घर के प्रेत या पितर रुष्ट होने के लक्षण और उपाय

30 सितम्बर 2023
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घर के प्रेत या पितर रुष्ट होने के लक्षण और उपाय 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ बहुत जिज्ञासा होती है आखिर ये पितृदोष है क्या? पितृ -दोष शांति के सरल उपाय पितृ या पितृ गण कौन हैं ?आपकी जिज्ञासा को शांत

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श्राद्ध विशेष

30 सितम्बर 2023
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ध्यान पूर्वक जानकारी लें - क्या श्राद्ध में सन्यासियों को भोजन करा सकते हैं?? नहीं श्राद्धमें सन्यासियोंको निमंत्रित नहीं करना चाहिए।। *#प्रमाण— *#मुण्डान्_जटिलकाषायान्_श्राद्धे_यत्नेन_वर्

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तर्पणविधि

30 सितम्बर 2023
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*तर्पणविधि* (देव, ऋषि और पितृ तर्पण विधि) सर्वप्रथम पूर्व दिशाकी और मुँह करके, दाहिना घुटना जमीन पर लगाकर,सव्य होकर(जनेऊ व अंगोछेको बांया कंधे पर रखें) गायत्री मंत्रसे शिखा बांध कर, तिलक लगाकर,

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पितरों को भोजन कैसे मिलता है?

30 सितम्बर 2023
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पितरों को भोजन कैसे मिलता है ?         प्राय: कुछ लोग यह शंका करते हैं कि श्राद्ध में समर्पित की गईं वस्तुएं पितरों को कैसे मिलती है?   कर्मों की भिन्नता के कारण मरने के बाद गतियां भी भिन्न-

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ग्रहों से रोग और उपाय -परिचय

5 अक्टूबर 2023
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ग्रहों से रोग और उपाय -परिचय   हर बीमारी का समबन्ध किसी न किसी ग्रह से है जो आपकी कुंडली में या तो कमजोर है या फिर दुसरे ग्रहों से बुरी तरह प्रभावित है | यहाँ सभी बीमारियों का जिक्र नहीं करूंगा केव

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18 वास्तुशास्त्र के प्रवर्तक आचार्य

10 अक्टूबर 2023
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18 वास्तुशास्त्र के प्रवर्तक आचार्य 18 वास्तुशास्त्र के प्रवर्तक आचार्य  *भृगुरत्रिवसिष्ठश्च विश्वकर्मा मयस्तथा।* *नारदो नग्नजिच्चैव विशालाक्षः पुरन्दर:।।* *ब्रह्माकुमारो नंदीश: शौनको गर्ग एव च।*

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अयोनिज पुत्र देने में कौन से देव समर्थ हैं ?

10 अक्टूबर 2023
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🌀अयोनिज पुत्र देने में कौन से देव समर्थ हैं ?🌀 " किन्तु  देवेश्वरो  रूद्रः  प्रसीदति  यदिश्वरः।  न दुर्लभो  मृत्युहीनस्तव  पुत्रो ह्ययोनिजः।।  मया च विष्णुना चैव ब्रह्मणा च महात्मना ।  अयो

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पूजा करते समय ध्यान रखें

12 अक्टूबर 2023
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!!अति महत्वपूर्ण बातें पूजा से जुड़ी हुई!! 1= जप करते समय जीभ या होंठ को नहीं हिलाना चाहिए। मन में चलना चाहिए। इसे उपांशु जप कहते हैं। इसका फल सौगुणा फलदायक होता हैं। 2=  जप करते समय दाहिने हाथ

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शनैश्चरी सर्वपितृ अमावस्या विशेष

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शनैश्चरी सर्वपितृ अमावस्या विशेष 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ शनिवार, 14 अक्टूबर को आश्विम मास की अमावस्या तिथि है। इस दिन पितृ पक्ष समाप्त हो जाएगा। इसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहा जाता है। अगले दिन यानी

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श्राद्ध_में_किस_किस_को_निमन्त्रित_करें

14 अक्टूबर 2023
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#श्राद्ध_में_किस_किस_को_निमन्त्रित_करें?? मातामहं मातुलं च स्वस्रीयं श्वशुरं गुरुम् ! दौहित्रं बिट्पति बन्धु ऋत्विज याज्यौ च भोजयेत !! नाना , मामा , भानजा , गुरु , श्वसुर ,  दौहित्र , जामाता , बान्

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महाकष्ट व महाबाधा निवारक मन्त्र

14 अक्टूबर 2023
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।। महाकष्ट व महाबाधा निवारक मन्त्र ।। कष्ट के अनुसार किसी भी एक या तीनों मन्त्रों की नित्य एक या अधिक माला जप करें, अवश्य ही शांति का अनुभव होगा।  यह मंत्र आपतकाल में कहीं भी, किसी भी समय, सतत ज

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नवरात्री के नौ दिन माँ के अलग-अलग भोग

15 अक्टूबर 2023
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नवरात्री के नौ दिन माँ के अलग-अलग भोग 🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸 १👉 प्रथम नवरात्रि पर मां को गाय का शुद्ध घी या फिर सफेद मिठाई अर्पित की जाती है। २👉 दूसरे नवरात्रि के दिन मां को शक्कर का भोग

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इन ९ औषधियों में विराजती है माँ नवदुर्गा

15 अक्टूबर 2023
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👆🏼👆🏼👆🏼 *इन ९ औषधियों में विराजती है माँ नवदुर्गा*  माँ दुर्गा नौ रूपों में अपने भक्तों का कल्याण कर उनके सारे संकट हर लेती हैं। इस बात का जीता जागता प्रमाण है, संसार में उपलब्ध वे औषधियां,

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नारी महिमा

16 अक्टूबर 2023
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।। माता हि जगतां सर्वासु स्त्रीष्वधिष्ठिता ।। स्त्रियों का जीवन कितना त्याग और तपमय है इसे तो कोई भी वर्णित नहीं कर सकता। इसीलिए धर्मशास्त्रों ने भी स्त्री को एक उच्च स्तर पर स्थापित किया है। महिला

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श्रीमंगल चंडिका स्त्रोत

17 अक्टूबर 2023
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श्रीमंगल चंडिका स्त्रोत 〰️〰️🌼〰️🌼〰️〰️ श्रीमंगल चंडिका स्त्रोत के लाभ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ इस स्तोत्र का पाठ आप मंगलवार दिन आरंभ करें साथ ही भगवान शिव का पंचाक्षरी का एक माला जप करने से अधिक लाभ मिल

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नवरात्र में नवग्रह शांति की विधि

18 अक्टूबर 2023
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नवरात्र में नवग्रह शांति की विधि 〰️〰️🌼〰️🌼🌼〰️🌼〰️〰️ प्रतिपदा के दिन मंगल ग्रह की शांति करानी चाहिए। द्वितीय के दिन राहु ग्रह की शान्ति करने संबन्धी कार्य करने चाहिए। तृतीया के दिन बृहस्पति ग

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51 शक्तिपीठ पौराणिक कथा एवं विवरण

18 अक्टूबर 2023
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51 शक्तिपीठ पौराणिक कथा एवं विवरण 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️            हालांकि देवी भागवत में जहां 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का ज़िक्र मिलता है, वहीं तन्त्रचूडामणि में 52 शक्तिपीठ बताए ग

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दुर्गाष्टमी पूजा एवं कन्या पूजन विधान विशेष

22 अक्टूबर 2023
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दुर्गाष्टमी पूजा एवं कन्या पूजन विधान विशेष 〰〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️ आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन माँ दुर्गा के भवानी स्वरूप का व्रत करने का विधान है। इस वर्ष 2023 में यह व्रत 22 अक्टूबर को क

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मनसा देवी की कथा एवं स्तोत्र

23 अक्टूबर 2023
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मनसा देवी की कथा एवं स्तोत्र  इनके नाम-स्मरण से सर्पभय और सर्पविष से मिलती है मुक्ति प्राचीनकाल में जब सृष्टि में नागों का भय हो गया तो उस समय नागों से रक्षा करने के लिए ब्रह्माजी ने अपने मन से

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