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नारी महिमा

16 अक्टूबर 2023

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।। माता हि जगतां सर्वासु स्त्रीष्वधिष्ठिता ।।


स्त्रियों का जीवन कितना त्याग और तपमय है इसे तो कोई भी वर्णित नहीं कर सकता। इसीलिए धर्मशास्त्रों ने भी स्त्री को एक उच्च स्तर पर स्थापित किया है। महिलाओं की महत्ता बताते हुए प्रथम धर्मशास्त्र मनुस्मृति में भगवान मनु कहते हैं कि, 'जहां नारी का सम्मान किया जाता है वहां देवता विचरण करते हैं। इसके विपरीत नारी का अवमान किया जाना सभी सुफलों को नष्ट करने वाला है।'


यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:।

यत्रैस्तास्तु न पूज्यान्ते सर्वास्त्राफला: क्रिया:।।


नारी सदैव और सर्वथा वंदनीय है। अभिनंदनीय है। उसे किसी भी स्थिति में पीड़ित नहीं किया जा सकता है। रामायण में प्रसंग मिलता है कि राम के वनवास के बाद जब ननिहाल से वापस आकर भरत और शत्रुघ्न को मंथरा की कुटिलता पता चलती है तो शत्रुघ्नजी सबसे पहले मंथरा को ढूंढ़कर उसे पीटने लगते हैं। तब वह भागती हुई भरतजी के समीप जाती है। तब भरत शत्रुघ्न को रोकते हुए कहते हैं जो हुआ सो हुआ। इसे मत मारो। क्षमा कर दो। सभी प्राणियों में स्त्री सदा अवध्या है।


अवध्या: सर्वभूतानां प्रमदा: क्षम्यतामिति।।


वायुमहापुराण में भी है कि जब भगवान विष्णु देवी ख्याति का मस्तक काट देते हैं तब महर्षि भृगु कुपित होकर शाप देते हैं कि नारायण! आपने स्त्री के महत्व को जानते हुए भी यह अपकर्म किया। अतः आप पृथ्वी पर बार-बार गर्भवास पाएंगे।


यस्मात्ते जानता धर्मानवध्या स्त्री निषूदिता।।


भृगु मुनि ने कहा कि आप जानते हैं  धर्मत: स्त्री अवध्या है। उसका वध नहीं किया जा सकता।


ब्रह्मांडपुराण में कथा आती है कि राजा पृथु के धरती को उलट-पुलट करने को उद्यत होने पर धरती देवी कहती हैं कि मुझे क्षमा करिए। पशु-पक्षियों में भी स्त्री जाति सदा अवध्या हैं। ऐसा विद्वानों का मत है। अतएव मुझे स्त्री समझकर अवध्या जानकर क्षमा करिए।


अवध्याश्च स्त्रिय: प्राहुस्तिर्यग्योनिगतेष्वपि।।


देवी की उपासना में तो स्त्री को और भी सम्मान दिया गया है। ब्रह्मवैवर्तपुराण में कहा गया कि, 'जो स्त्री के सम्मान की रक्षा करता है उसका सदैव शुभ ही शुभ होता है। परंतु जो अधम व्यक्ति महिला की अवमानना करते रहता है उसका भगवती पार्वती सदैव अमंगल ही अमंगल करती हैं।'


पदे पदे शुभं तस्य य: स्त्रीमानं च रक्षति।।

अवमन्य स्त्रियं मूढो यो याति पुरुषाधम:।

पदे पदे तदशुभं करोति पार्वती सती।।


नारदपुराण कहता है कि स्त्री को मारना, उसकी निंदा, उसके साथ छल अथवा उसे गाली आदि देना- ये कर्म भगवती काली के भक्तों को अपने कल्याण हेतु कभी नहीं करना चाहिए।


स्त्रीणां प्रहारं निन्दां च कौटिल्यं वाप्रियं वच:।

आत्मनो हितमन्विच्छन् कालीभक्तो विवर्जयेत्।।


देवीभागवत भी कहता है कि स्त्रियों के अपमान से प्रकृति देवी का ही अपमान समझना चाहिए। उत्तम, मध्यम और अधम सभी स्त्रियां प्रकृति का ही अंश हैं।


योषितामवमानेन प्रकृतेश्च पराभव:।।

सर्वा: प्रकृतिसम्भूता उत्तमाधममध्यमा:।।


जो दुराचारिणी स्त्रियां हैं वे भी प्रकृति का ही अंश हैं। अतः उनसे भी दुर्व्यवहार न करें। उनका जीवन है वे जानें। कर्मविपाक सारा निर्णय करेगा ही। परंतु अपने चरित्र के रक्षक आप हैं।


पृथिव्यां कुलटा याश्च स्वर्गे चाप्सरसां गणा:।

प्रकृतेस्तमसश्चांशा: पुंश्चल्य: परिकीर्तिता:।।


बृहद्धर्मपुराण में देवी कहती हैं कि सभी स्त्रियों में मेरा निवास है। उनमें भी कुमारी और युवती में विशेषकर।


सर्वासु खलु नारीषु ममाधिष्ठानमुत्तमम्।

कुमारीषु च सर्वासु युवतीषु विशेषतः।।


स्त्रियों को कड़वे वचन अथवा पीड़ा शाक्त, वैष्णव और शैवों को (विशेषतः आस्तिकों को संबोधित किया गया है।) नहीं देना चाहिए। यहां तक कि स्त्री को फूल से भी न मारे।


कटुवाक्यं तथा पीडां पुष्पेणापि च योषिति।।

शाक्तो वा वैष्णव: शैवो न कदापि समाचरेत्।।


स्त्रियों को पीड़ा देना मतलब देवताओं को अपने विपरीत करना। जगजननी भवानी सभी स्त्रियों में अधिष्ठित हैं।


स्त्रीषु पीडादिकर्ता हि देवान् वैमुख्यमाचरेत्।

अहं माता हि जगतां सर्वासु स्त्रीष्वधिष्ठिता।।


ब्राह्मण, स्त्री और गाय सर्वथा अवध्य हैं और इनका ताड़न किसी भी स्थिति में नहीं किया जा सकता। इनको तो फूल से भी न मारे। यदि इनको मारा तो समझो अपने इष्ट देव को ही मारा। इन्हें कटु वचन भी न कहें। यदि ये दंड के योग्य भी हों तब भी इनको न दंड दे और न ही किसी को दंड के लिए प्रेरित ही करें। स्त्री, गाय और ब्राह्मण ये तीनों पृथ्वी के मंगल स्वरूप हैं।


ब्राह्मणांश्च स्त्रियो गाश्च पुष्पेणापि न ताडयेत्।

यदि चैतांस्ताडयेत तदिष्टदेवताडनम्।।


न प्रेषयेन्नातिचरेद्दण्ड्या अपि न दण्डयेत्।

स्त्रियो गावो ब्राह्मणाश्च पृथिव्यां मङ्गलत्रयम्।।


स्त्री के समस्त अंगों को तीर्थ रूप कहा गया है।


स्त्रीणां सर्वाणि चाङ्गानि तीर्थान्युक्तानि सूरिभि:।।


महर्षि याज्ञवल्क्य आज्ञा करते हैं कि पति, भाई, पिता, बांधव, सास, ससुर, देवर आदि सब के द्वारा स्त्री को सम्मान मिलना चाहिए।


भर्तृभ्रातृपितृज्ञातिश्वश्रुश्वशुरदेवरै:।

बन्धुभिश्च स्त्रिय: पूज्या:।।


हमारे जीवन में स्त्री के चार रूप घटित होते हैं। माता, बहिन, पत्नी और पुत्री। इसमें माता का तो अपरिमित वैभववाला कहा गया है। माता तो गुरुओं की भी गुरु है। बहिन के समान कोई सम्माननीय नहीं है। पत्नी के समान कोई मित्र नहीं है और घर की शोभा तो पुत्री से ही है।


वर्णेषु ब्राह्मण: श्रेष्ठो गुरुर्माता गुरुष्वपि।।

नास्ति भगिनीसमा मान्या नास्ति मातृसमो गुरु:।।


नास्ति भार्यासमं मित्रम्।।

गृहेषु तनया भूषा भूषा सम्पत्सु पण्डिता:।।


स्त्री की पवित्रता के संबंध में कहा गया है कि वह सदा पवित्र है। रजस्वला होने के बाद तो वह सर्वथा शुद्ध ही है। ऐसा अत्रि संहिता का वचन है।


ऋतुकाले उपासीत पुष्पकालेन शुध्यति।।


शिवपुराण में शिवाशिवविभूति- वर्णन में कहा गया है कि जितनी भी स्त्री जातियां हैं, उन सबको भगवती पार्वती ही धारण करती हैं।


स्त्रीलिङ्गं चाखिलं धत्ते देवी देवमनोरमा।।


इसीलिए सप्तशती में स्तुति भी आई कि माता! आप सभी विद्याओं का रूप-भेद हैं। सभी स्त्रियां भी आपका ही भेद-विस्तार हैं।


विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा:

स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।।


अतः स्त्री का अद्भुत माहात्म्य होने से वह सदा सम्मान योग्य है। वह किसी भी स्थिति में पीड़ित या वध योग्य नहीं है। तिर्यक योनि में भी स्त्री जाति के पशु-पक्षी अवध्य हैं। ये नियम बलिकर्म पर भी संचालित होता है। बात प्रायः ताटका आदि के वध की होती है तब रामायण में महर्षि विश्वामित्र कहते हैं कि, 'राम! राजा को चारों वर्णों की रक्षा के लिए दोषयुक्त कर्म भी करना पड़े तो करना चाहिए। इस दुष्टा ने बहुत से स्त्री, पुरुष आदि का वध किया है। अतः इसे मारो।


नृशंसमनृशंसं वा प्रजारक्षणकारणात्।

पातकं वा सदोषं वा कर्त्तव्यं रक्षता सदा।।


इसलिए भगवान राम ने दोष जानते हुए भी ताड़का को मारा। ऐसा ही पूतना के लिए भी समझना चाहिए। अन्यत्र स्त्री सदा अवध्या है। दोषरहिता है। शुद्ध है और सदा सम्माननीया है।


।। जगदम्बामयं पश्य स्त्रीमात्रमविशेषतः ।।


* श्री दुर्गायै नमः *

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रचनाएँ
शास्त्रों के झरोखों से
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नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय यह पुस्तक एक छोटा सा प्रयास है हमारे शास्त्रों में वर्णित तथा हमारे मनीषियों के द्वारा रचित प्रसंगों को संकलित करने का|अगर किसी को कोई त्रुटि नजर आती है तो सुझाव सादर आमंत्रित हैं|
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|| सर्वरोगनाशक श्रीसूर्यस्तवराजस्तोत्रम् ||   मित्रों, इसी स्तोत्र द्वारा सूर्य उपासना करने पर श्रीकृष्ण भगवान के पुत्र साम्ब ने कुष्ठ रोग से मुक्ति पायी थी। नित्य प्रातः सूर्य के सामने इस स्तोत्र क

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तृतीया तिथि का आध्यात्मिक एवं ज्योतिषीय महत्त्व 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ भारतीय ज्योतिषीय गणना के अनुसार  तृतीया तिथि आरोग्यदायिनी होती है एवं इसे सबला नाम से भी जाना जाता है। इसकी स्वामिनी मा

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*शास्त्रों के अनुसार पूजा अर्चना में वर्जित काम* *१) गणेश जी को तुलसी न चढ़ाएं* *२) देवी पर दुर्वा न चढ़ाएं* *३) शिव लिंग पर केतकी फूल न चढ़ाएं* *४) विष्णु को तिलक में अक्षत न चढ़ाएं* *५) दो शं

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श्रीराम-रक्षा स्तोत्र

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।। श्रीराम-रक्षा स्तोत्र ।।  (हिंदी भावार्थ सहित) श्रीरामरक्षा स्तोत्र सभी तरह की विपत्तियों से व्यक्ति की रक्षा करता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य भय रहित हो जाता है। एक कथा है कि भगवान श

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श्रीकाशीविश्वनाथाष्टकम्

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।। श्रीकाशीविश्वनाथाष्टकम् ।। गङ्गातरंगरमणीयजटाकलापं    गौरीनिरन्तरविभूषितवामभागम्। नारायणप्रियमनंगमदापहारं   वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्।। वाचामगोचरमनेकगुणस्वरूपं   वागीशविष्णुसुरसेवितप

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द्वादशज्योतिर्लिङ्गस्तोत्रम्

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।। द्वादशज्योतिर्लिङ्गस्तोत्रम् ।। सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकला वतंसम्। भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये।।१।। श्रीशैलश‍ृङ्गे विबुधातिसङ्गे तुलाद्रितुङ्

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द्वादशज्योतिर्लिङ्गस्तोत्रम्

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।। द्वादशज्योतिर्लिङ्गस्तोत्रम् ।। सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकला वतंसम्। भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये।।१।। श्रीशैलश‍ृङ्गे विबुधातिसङ्गे तुलाद्रितुङ्

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श्रीरामद्वादशनामस्तोत्रम्

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।। श्रीरामद्वादशनामस्तोत्रम् ।। इसका नित्य ७ बार पाठ करने से सभी अरिष्ट का निवारण हो जाता है। द्वादशी अर्धरात्रि में पाठ करने से दरिद्रता समाप्त हो जाती है। ग्रहण में नदी में खड़े होकर पाठ करने से

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हनूमत्कृत- सीतारामस्तोत्र

29 सितम्बर 2023
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।। हनूमत्कृत- सीतारामस्तोत्र ।। अयोध्यापुरनेतारं मिथिलापुरनायिकाम्। राघवाणामलंकारं वैदेहानामलंक्रियाम्।।१।। रघूणां कुलदीपं च निमीनां कुलदीपिकाम्। सूर्यवंशसमुद्भूतं सोमवंशसमुद्भवाम्।।२।। पुत

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स्रुवा धारण व प्रकार

29 सितम्बर 2023
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🔥 स्रुवा धारण व प्रकार 🔥 " मूले हानिकरं  प्रोक्तं  मध्ये  शोककरं  तथा ।  अग्रे व्याधिकरं प्रोक्तं  स्रुवं धारयते  कथम् ।।  कनिष्ठाङ्गुलिमाने   चतुर्विशतिकाङ्गुलम् ।  चतुरङ्गुलं परित्यज्य अग

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हनुमानजी के द्वादश नाम

29 सितम्बर 2023
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।। हनुमानजी के द्वादश नाम ।। हनुमानञ्जनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।                      रामेष्ट:फाल्गुनसख:पिङ्गाक्षोऽमितविक्रम।। उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।                                     

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विवाह संबंध में जरूर ध्यान दें

29 सितम्बर 2023
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•मीन, वृश्चिक, कर्क ब्राह्मण वर्ण, मेष, सिंह, धनु क्षत्रिय वर्ण, मिथुन, तुला, कुंभ शुद्र वर्ण, कन्या, मकर और वृष वैश्य वर्ण है. नोत्तमामुद्धहेतु कन्यां ब्राह्मणीं च विशेषतः । म्रियते हीनवर्णश्च ब्

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शिवलिंग के प्रकार एवं महत्त्व

29 सितम्बर 2023
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शिवलिंग_के_प्रकार_एवं_महत्त्व 🔱 मिश्री(चीनी) से बने शिव लिंग कि पूजा से रोगो का नाश होकर सभी प्रकार से सुखप्रद होती हैं। 🔱 सोंठ, मिर्च, पीपल के चूर्ण में नमक मिलाकर बने शिवलिंग कि पूजा से वश

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सर्वदोष नाश के लिये रुद्राभिषेक विधि

29 सितम्बर 2023
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सर्वदोष नाश के लिये रुद्राभिषेक विधि 〰️〰️🔸〰️〰️🔸🔸〰️〰️🔸〰️〰️ रुद्राभिषेक अर्थात रूद्र का अभिषेक करना यानि कि शिवलिंग पर रुद्रमंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। जैसा की वेदों में वर्णित है शिव और रुद्र

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नदी स्तोत्रं एवं नदीतारतम्यस्तोत्रम्

29 सितम्बर 2023
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*नदी स्तोत्रं एवं नदीतारतम्यस्तोत्रम्* नदी स्तोत्रं  प्रवक्ष्यामि सर्वपापप्रणाशनम् । भागीरथी वारणासी यमुना च सरस्वती ॥ १॥ फल्गुनी शोणभद्रा च नर्मदा गण्डकी तथा । मणिकर्णिका गोमती प्रयागी च प

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श्रावण सोमवार पर कैसे करे शिव पूजा

29 सितम्बर 2023
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श्रावण सोमवार पर कैसे करे शिव पूजा 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ सामान्य मंत्रो से सम्पूर्ण शिवपूजन प्रकार और पद्धति 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ देवों के देव भगवान भोले नाथ के भक्तों के लिये श्रावण सोम

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पेट के रोग और ग्रह

29 सितम्बर 2023
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1.जन्म कुंडली के अनुसार पेट दर्द के लिए सबसे अधिक शनि ग्रह जिम्मेदार होता है। शनि एक ऐसा ग्रह है जो जातक की कुंडली में अशुभ होते ही, भिन्न-भिन्न प्रकार की परेशानियां देता है।यह ग्रह कुंडली के जिस भाव

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घर के प्रेत या पितर रुष्ट होने के लक्षण और उपाय

30 सितम्बर 2023
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घर के प्रेत या पितर रुष्ट होने के लक्षण और उपाय 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ बहुत जिज्ञासा होती है आखिर ये पितृदोष है क्या? पितृ -दोष शांति के सरल उपाय पितृ या पितृ गण कौन हैं ?आपकी जिज्ञासा को शांत

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श्राद्ध विशेष

30 सितम्बर 2023
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ध्यान पूर्वक जानकारी लें - क्या श्राद्ध में सन्यासियों को भोजन करा सकते हैं?? नहीं श्राद्धमें सन्यासियोंको निमंत्रित नहीं करना चाहिए।। *#प्रमाण— *#मुण्डान्_जटिलकाषायान्_श्राद्धे_यत्नेन_वर्

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तर्पणविधि

30 सितम्बर 2023
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*तर्पणविधि* (देव, ऋषि और पितृ तर्पण विधि) सर्वप्रथम पूर्व दिशाकी और मुँह करके, दाहिना घुटना जमीन पर लगाकर,सव्य होकर(जनेऊ व अंगोछेको बांया कंधे पर रखें) गायत्री मंत्रसे शिखा बांध कर, तिलक लगाकर,

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पितरों को भोजन कैसे मिलता है?

30 सितम्बर 2023
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पितरों को भोजन कैसे मिलता है ?         प्राय: कुछ लोग यह शंका करते हैं कि श्राद्ध में समर्पित की गईं वस्तुएं पितरों को कैसे मिलती है?   कर्मों की भिन्नता के कारण मरने के बाद गतियां भी भिन्न-

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ग्रहों से रोग और उपाय -परिचय

5 अक्टूबर 2023
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ग्रहों से रोग और उपाय -परिचय   हर बीमारी का समबन्ध किसी न किसी ग्रह से है जो आपकी कुंडली में या तो कमजोर है या फिर दुसरे ग्रहों से बुरी तरह प्रभावित है | यहाँ सभी बीमारियों का जिक्र नहीं करूंगा केव

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18 वास्तुशास्त्र के प्रवर्तक आचार्य

10 अक्टूबर 2023
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18 वास्तुशास्त्र के प्रवर्तक आचार्य 18 वास्तुशास्त्र के प्रवर्तक आचार्य  *भृगुरत्रिवसिष्ठश्च विश्वकर्मा मयस्तथा।* *नारदो नग्नजिच्चैव विशालाक्षः पुरन्दर:।।* *ब्रह्माकुमारो नंदीश: शौनको गर्ग एव च।*

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अयोनिज पुत्र देने में कौन से देव समर्थ हैं ?

10 अक्टूबर 2023
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🌀अयोनिज पुत्र देने में कौन से देव समर्थ हैं ?🌀 " किन्तु  देवेश्वरो  रूद्रः  प्रसीदति  यदिश्वरः।  न दुर्लभो  मृत्युहीनस्तव  पुत्रो ह्ययोनिजः।।  मया च विष्णुना चैव ब्रह्मणा च महात्मना ।  अयो

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पूजा करते समय ध्यान रखें

12 अक्टूबर 2023
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!!अति महत्वपूर्ण बातें पूजा से जुड़ी हुई!! 1= जप करते समय जीभ या होंठ को नहीं हिलाना चाहिए। मन में चलना चाहिए। इसे उपांशु जप कहते हैं। इसका फल सौगुणा फलदायक होता हैं। 2=  जप करते समय दाहिने हाथ

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शनैश्चरी सर्वपितृ अमावस्या विशेष

14 अक्टूबर 2023
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शनैश्चरी सर्वपितृ अमावस्या विशेष 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ शनिवार, 14 अक्टूबर को आश्विम मास की अमावस्या तिथि है। इस दिन पितृ पक्ष समाप्त हो जाएगा। इसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहा जाता है। अगले दिन यानी

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श्राद्ध_में_किस_किस_को_निमन्त्रित_करें

14 अक्टूबर 2023
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#श्राद्ध_में_किस_किस_को_निमन्त्रित_करें?? मातामहं मातुलं च स्वस्रीयं श्वशुरं गुरुम् ! दौहित्रं बिट्पति बन्धु ऋत्विज याज्यौ च भोजयेत !! नाना , मामा , भानजा , गुरु , श्वसुर ,  दौहित्र , जामाता , बान्

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महाकष्ट व महाबाधा निवारक मन्त्र

14 अक्टूबर 2023
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।। महाकष्ट व महाबाधा निवारक मन्त्र ।। कष्ट के अनुसार किसी भी एक या तीनों मन्त्रों की नित्य एक या अधिक माला जप करें, अवश्य ही शांति का अनुभव होगा।  यह मंत्र आपतकाल में कहीं भी, किसी भी समय, सतत ज

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नवरात्री के नौ दिन माँ के अलग-अलग भोग

15 अक्टूबर 2023
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नवरात्री के नौ दिन माँ के अलग-अलग भोग 🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸 १👉 प्रथम नवरात्रि पर मां को गाय का शुद्ध घी या फिर सफेद मिठाई अर्पित की जाती है। २👉 दूसरे नवरात्रि के दिन मां को शक्कर का भोग

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इन ९ औषधियों में विराजती है माँ नवदुर्गा

15 अक्टूबर 2023
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👆🏼👆🏼👆🏼 *इन ९ औषधियों में विराजती है माँ नवदुर्गा*  माँ दुर्गा नौ रूपों में अपने भक्तों का कल्याण कर उनके सारे संकट हर लेती हैं। इस बात का जीता जागता प्रमाण है, संसार में उपलब्ध वे औषधियां,

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नारी महिमा

16 अक्टूबर 2023
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श्रीमंगल चंडिका स्त्रोत

17 अक्टूबर 2023
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श्रीमंगल चंडिका स्त्रोत 〰️〰️🌼〰️🌼〰️〰️ श्रीमंगल चंडिका स्त्रोत के लाभ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ इस स्तोत्र का पाठ आप मंगलवार दिन आरंभ करें साथ ही भगवान शिव का पंचाक्षरी का एक माला जप करने से अधिक लाभ मिल

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नवरात्र में नवग्रह शांति की विधि

18 अक्टूबर 2023
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नवरात्र में नवग्रह शांति की विधि 〰️〰️🌼〰️🌼🌼〰️🌼〰️〰️ प्रतिपदा के दिन मंगल ग्रह की शांति करानी चाहिए। द्वितीय के दिन राहु ग्रह की शान्ति करने संबन्धी कार्य करने चाहिए। तृतीया के दिन बृहस्पति ग

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51 शक्तिपीठ पौराणिक कथा एवं विवरण

18 अक्टूबर 2023
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51 शक्तिपीठ पौराणिक कथा एवं विवरण 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️            हालांकि देवी भागवत में जहां 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का ज़िक्र मिलता है, वहीं तन्त्रचूडामणि में 52 शक्तिपीठ बताए ग

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दुर्गाष्टमी पूजा एवं कन्या पूजन विधान विशेष

22 अक्टूबर 2023
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दुर्गाष्टमी पूजा एवं कन्या पूजन विधान विशेष 〰〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️ आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन माँ दुर्गा के भवानी स्वरूप का व्रत करने का विधान है। इस वर्ष 2023 में यह व्रत 22 अक्टूबर को क

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मनसा देवी की कथा एवं स्तोत्र

23 अक्टूबर 2023
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मनसा देवी की कथा एवं स्तोत्र  इनके नाम-स्मरण से सर्पभय और सर्पविष से मिलती है मुक्ति प्राचीनकाल में जब सृष्टि में नागों का भय हो गया तो उस समय नागों से रक्षा करने के लिए ब्रह्माजी ने अपने मन से

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