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दुर्गाष्टमी पूजा एवं कन्या पूजन विधान विशेष

22 अक्टूबर 2023

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दुर्गाष्टमी पूजा एवं कन्या पूजन विधान विशेष

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आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन माँ दुर्गा के भवानी स्वरूप का व्रत करने का विधान है। इस वर्ष 2023 में यह व्रत 22 अक्टूबर को किया जाएगा। इस दिन मां भवानी प्रकट हुई थी। इस दिन विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. दुर्गा अष्टमी के दिन माता दुर्गा के लिये व्रत किया जाता है।नवरात्रे में नौ रात्रि पूरी होने पर नौ व्रत पूरे होते है।इन दिनों में देवी की पूजा के अलावा दूर्गा पाठ, पुराण पाठ, रामायण, सुखसागर, गीता, दुर्गा सप्तशती की आदि पाठ श्रद्वा सहित करने चाहिए।


दूर्गा अष्टमी व्रत विधि

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इस व्रत को करने वाले उपवासक को इस दिन प्रात: सुबह उठना चाहिए।और नित्यक्रमों से निवृ्त होने के बाद सारे घर की सफाई कर, घर को शुद्ध करना चाहिए, इसके बाद साधारणत: इस दिन खीर, चूरमा, दाल, हलवा आदि बनाये जाते है. व्रत संकल्प लेने के बाद घर के किसी एकान्त कोने में किसी पवित्र स्थान पर देवी जी का फोटो तथा अपने ईष्ट देव का फोटो लगाया जाता है।


यदि संभव हो तो किसी योग्य ब्राह्मण द्वारा ही पूजन हवन का कार्य संपन्न कराया जाए परिस्तिथि वश ऐसा ना कर सके तो भाव से माँ का पूजन करना चाहिए।


सर्व प्रथम जिस स्थान पर यह पूजन किया जा रहा है, उसके दोनों और सिंदूर घोल कर, त्रिशुल व यम का चित्र बनाया जाता है. ठिक इसके नीचे चौकी बनावें. त्रिशुल व यम के चित्र के साथ ही एक और 52 व दूसरी और 64 लिखें। 52 से अभिप्राय 52 भैरव है, तथा 64 से अभिप्रात 64 योगिनियां है।साथ ही एक ओर सुर्य व दूसरी और चन्द्रमा बनायें।


किसी मिट्टी के बर्तन या जमीन को शुद्ध कर वेदी बनायें. उसमें जौ तथा गेंहूं बोया जाता है. कलश अपने सामर्थ्य के अनुसर सोना, चांदी, तांबा या मिट्टी का होना चाहिए। कलश पर नारियल रखा जाता है। नारियल रखने से पहले नीचे किनारे पर आम आदि के पत्ते भी लगाने चाहिए।


कलश में मोली लपेटकर सतिया बनाना चाहिए. पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करनी चाहिए।पूजा करने वाले का मुंह दक्षिण दिशा की ओर नहीं होना चाहिए। दीपक घी से जलाना चाहिए।नवरात्र व्रत का संकल्प हाथ में पानी, चावल, फूल तथा पैसे लेकर किया जाता है। इसके बाद श्री गणेश जी को चार बार चल के छींटे देकर अर्ध्य, आचमन और मोली चढाकर वस्त्र दिये जाते है. रोली से तिलक कर, चावल छोडे जाते है. पुष्प चढायें जाते है, धूप, दीप या अगरबत्ती जलाई जाती है।


भोग बनाने के लिये सबसे पहले चावल छोडे जाते है। इसके बाद नैवेद्ध भोग चढाया जाता है।जमीन पर थोडा पानी छोडकर आचमन करावें, पान-सुपारी एवं लौंग, इलायची भी चढायें।इसी प्रकर देवी जी का पूजन भी करें। और फूल छोडे, और सामर्थ्य के अनुसार नौ, सात, पांच,तीन या एक कन्या को भोजन करायें।इस व्रत में अपनी शक्ति के अनुसार उपवास किया जा सकता है। एक समय दोपहर के बाद अथवा रात को भोजन किया जा सकता है। पूरे नौ दिन तक व्रत न हों, तो सात, पांच या तीन करें, या फिर एक पहला और एक आखिरी भी किया जा सकता है।


व्रत की अवधि में धरती पर शुद्ध विछावन करके सोवें, शुद्धता से रहें, वैवाहिक जीवन में संयम का पालन करें, क्षमा, दया, उदारता और साहस बनाये रखें. साथ ही लोभ, मोह का त्याग करें. सायंकाल में दीपक जलाकर रखना चाहिए। नवरात्र व्रत कर कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए।


देवी जी को वस्त्र, सामान इत्यादि चढाने चाहिए जिसमें चूडी, आभूषण, ओढना या घाघरा, धोती, काजल, बिन्दी इत्यादि और जो भी सौभाग्य द्रव्य हो, वे सभी माता को दान करने चाहिए।


देवी की सहस्त्रनाम द्वारा आराधना

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देवी की प्रसन्नता के लिए पंचांग साधन का प्रयोग करना चाहिए। पंचांग साधन में पटल, पद्धति, कवच, सहस्त्रनाम और स्रोत हैं। पटल का शरीर, पद्धति को शिर, कवच को नेत्र, सहस्त्रनाम को मुख तथा स्रोत को जिह्वा कहा जाता है।


इन सब की साधना से साधक देव तुल्य हो जाता है। सहस्त्रनाम में देवी के एक हजार नामों की सूची है। इसमें उनके गुण हैं व कार्य के अनुसार नाम दिए गए हैं। सहस्त्रनाम के पाठ करने का फल भी महत्वपूर्ण है। इन नामों से हवन करने का भी विधान है। इसके अंतर्गत नाम के पश्चात नमः लगाकर स्वाहा लगाया जाता है।


हवन की सामग्री के अनुसार उस फल की प्राप्ति होती है। सर्व कल्याण व कामना पूर्ति हेतु इन नामों से अर्चन करने का प्रयोग अत्यधिक प्रभावशाली है। जिसे सहस्त्रार्चन के नाम से जाना जाता है। सहस्त्रार्चन के लिए देवी की सहस्त्र नामावली जो कि बाजार में आसानी से मिल जाती है कि आवश्यकता पड़ती है।


इस नामावली के एक-एक नाम का उच्चारण करके देवी की प्रतिमा पर, उनके चित्र पर, उनके यंत्र पर या देवी का आह्वान किसी सुपारी पर करके प्रत्येक नाम के उच्चारण के पश्चात नमः बोलकर भी देवी की प्रिय वस्तु चढ़ाना चाहिए। जिस वस्तु से अर्चन करना हो वह शुद्ध, पवित्र, दोष रहित व एक हजार होना चाहिए।


अर्चन में बिल्वपत्र, हल्दी, केसर या कुंकुम से रंग चावल, इलायची, लौंग, काजू, पिस्ता, बादाम, गुलाब के फूल की पंखुड़ी, मोगरे का फूल, चारौली, किसमिस, सिक्का आदि का प्रयोग शुभ व देवी को प्रिय है। यदि अर्चन एक से अधिक व्यक्ति एक साथ करें तो नाम का उच्चारण एक व्यक्ति को तथा अन्य व्यक्तियों को नमः का उच्चारण अवश्य करना चाहिए।


अर्चन की सामग्री प्रत्येक नाम के पश्चात, प्रत्येक व्यक्ति को अर्पित करना चाहिए। अर्चन के पूर्व पुष्प, धूप, दीपक व नैवेद्य लगाना चाहिए। दीपक इस तरह होना चाहिए कि पूरी अर्चन प्रक्रिया तक प्रज्वलित रहे। अर्चनकर्ता को स्नानादि आदि से शुद्ध होकर धुले कपड़े पहनकर मौन रहकर अर्चन करना चाहिए।


इस साधना काल में लाल ऊनी आसन पर बैठना चाहिए तथा पूर्ण होने के पूर्व उसका त्याग किसी भी स्थिति में नहीं करना चाहिए। अर्चन के उपयोग में प्रयुक्त सामग्री अर्चन उपरांत किसी साधन, ब्राह्मण, मंदिर में देना चाहिए। कुंकुम से भी अर्चन किए जा सकते हैं। इसमें नमः के पश्चात बहुत थोड़ा कुंकुम देवी पर अनामिका-मध्यमा व अंगूठे का उपयोग करके चुटकी से चढ़ाना चाहिए।


बाद में उस कुंकुम से स्वयं को या मित्र भक्तों को तिलक के लिए प्रसाद के रूप में दे सकते हैं। सहस्त्रार्चन नवरात्र काल में एक बार कम से कम अवश्य करना चाहिए। इस अर्चन में आपकी आराध्य देवी का अर्चन अधिक लाभकारी है। अर्चन प्रयोग बहुत प्रभावशाली, सात्विक व सिद्धिदायक होने से इसे पूर्ण श्रद्धा व विश्वास से करना चाहिए।


कन्यापूजन विधि निर्देश

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नवरात्र पर्व  के दौरान कन्या पूजन का बडा महत्व है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिविंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्त का नवरात्र व्रत पूरा होता है। अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों को उनका मनचाहा वरदान देती हैं।


कन्या पूजन के लिए निर्दिष्ट दिन

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कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं लेकिन अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ रहता है। कन्याओं की संख्या 9 हो तो अति उत्तम नहीं तो दो कन्याओं से भी काम चल सकता है।


इस वर्ष अष्टमी तिथि को लेकर लोगो के मन मे कई भ्रांतियां है इसके समाधान हेतु दोबारा अष्टमी तिथी का शात्रोक्त निर्णय प्रेषित कर रहे है 


"चैत्र शुक्लाष्टमयां भावान्या उत्पत्ति:,

तत्र नावमीयुता अष्टमी ग्राह्या।"


यदि दूसरे दिन अष्टमी नवमीविधा ना मिले, यानी यह वहां त्रिमुहूर्ताल्प हो तो दुर्गाष्टमी पहले दिन होगी। इस वर्ष दुर्गाष्टमी 9 अप्रैल तथा दुर्गानवमी 10 अप्रैल के दिन मनाई जाएगी अतः अष्टमी के दिन कन्या पूजन करने वाले 9 एवं नवमी के दिन करने वाले 10 अप्रैल के दिन निसंकोच होकर अपने कर्म कर सकते है मन से किसी भी प्रकार के संशय भय की हटा दें माता केवल अपनी संतानों का कल्याण ही करती है। पूजा पाठ में शुद्धि के साथ भाव को प्रधान माना गया है। 


कन्या पूजन विधि

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सबसे पहले कन्याओं के दूध से पैर पूजने चाहिए. पैरों पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए। इसके बाद भगवती का ध्यान करते हुए सबको भोग अर्पित करना चाहिए अर्थात सबको खाने के लिए प्रसाद देना चाहिए। अधिकतर लोग इस दिन प्रसाद के रूप में हलवा-पूरी देते हैं। जब सभी कन्याएं खाना खा लें तो उन्हें दक्षिणा अर्थात उपहार स्वरूप कुछ देना चाहिए फिर सभी के पैर को छूकर आशीर्वाद ले। इसके बाद इन्हें ससम्मान विदा करना चाहिए।


कितनी हो कन्याओं की उम्र

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ऐसा माना जाता है कि दो से दस वर्ष तक की कन्या देवी के शक्ति स्वरूप की प्रतीक होती हैं. कन्याओं की आयु 2 वर्ष से ऊपर तथा 10 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।  दो वर्ष की कन्या कुमारी , तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति , चार वर्ष की कन्या कल्याणी , पांच वर्ष की कन्या रोहिणी, छह वर्ष की कन्या कालिका , सात वर्ष की चंडिका , आठ वर्ष की कन्या शांभवी , नौ वर्ष की कन्या दुर्गा तथा दस वर्ष की कन्या सुभद्रा मानी जाती है।  इनको नमस्कार करने के मंत्र निम्नलिखित हैं।


1. कौमाटर्यै नम: 2. त्रिमूर्त्यै नम: 3. कल्याण्यै नम: 4. रोहिर्ण्य नम: 5. कालिकायै नम: 6. चण्डिकार्य नम: 7. शम्भव्यै नम: 8. दुर्गायै नम: 9. सुभद्रायै नम:।


नौ देवियों का रूप और महत्व 

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1.  हिंदू धर्म में दो वर्ष की कन्या को कुमारी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसके पूजन से दुख और दरिद्रता समाप्त हो जाती है।


2.  तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है. त्रिमूर्ति के पूजन से धन-धान्य का आगमन और संपूर्ण परिवार का कल्याण होता है।


3.  चार वर्ष की कन्या कल्याणी के नाम से संबोधित की जाती है. कल्याणी की पूजा से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।


4.  पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कही जाती है, रोहिणी के पूजन से व्यक्ति रोग-मुक्त होता है।


5.  छ:वर्ष की कन्या कालिका की अर्चना से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है।


6.  सात वर्ष की कन्या चण्डिका के पूजन से ऐश्वर्य मिलता है।


7.  आठ वर्ष की कन्या शाम्भवी की पूजा से वाद-विवाद में विजय होती है।


8.  नौ वर्ष की कन्या को दुर्गा कहा जाता है. किसी कठिन कार्य को सिद्धि करने तथा दुष्ट का दमन करने के उद्देश्य से दुर्गा की पूजा की जाती है।


9.  दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा कहते हैं. इनकी पूजा से लोक-परलोक दोनों में सुख प्राप्त होता है।


नवरात्र पर्व पर कन्या पूजन के लिए कन्याओं की 7, 9 या 11 की संख्या मन्नत के मुताबिक पूरी करने में ही पसीना आ जाता है. सीधी सी बात है जब तक समाज कन्या को इस संसार में आने ही नहीं देगा तो फिर पूजन करने के लिये वे कहां से मिलेंगी।


जिस भारतवर्ष में कन्या को देवी के रूप में पूजा जाता है, वहां आज सर्वाधिक अपराध कन्याओं के प्रति ही हो रहे हैं. यूं तो जिस समाज में कन्याओं को संरक्षण, समुचित सम्मान और पुत्रों के बराबर स्थान नहीं हो उसे कन्या पूजन का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. लेकिन यह हमारी पुरानी परंपरा है जिसे हम निभा रहे हैं और कुछ लोग शायद ढो रहे हैं. जब तक हम कन्याओं को यथार्थ में महाशक्ति, यानि देवी का प्रसाद नहीं मानेंगे, तब तक कन्या-पूजन नितान्त ढोंग ही रहेगा. सच तो यह है कि शास्त्रों में कन्या-पूजन का विधान समाज में उसकी महत्ता को स्थापित करने के लिये ही बनाया गया है।


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प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत बेहतरीन लिखा है आपने 👍🙏🙏🙏

23 अक्टूबर 2023

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रचनाएँ
शास्त्रों के झरोखों से
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नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय यह पुस्तक एक छोटा सा प्रयास है हमारे शास्त्रों में वर्णित तथा हमारे मनीषियों के द्वारा रचित प्रसंगों को संकलित करने का|अगर किसी को कोई त्रुटि नजर आती है तो सुझाव सादर आमंत्रित हैं|
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।। श्रीरामद्वादशनामस्तोत्रम् ।। इसका नित्य ७ बार पाठ करने से सभी अरिष्ट का निवारण हो जाता है। द्वादशी अर्धरात्रि में पाठ करने से दरिद्रता समाप्त हो जाती है। ग्रहण में नदी में खड़े होकर पाठ करने से

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🔥 स्रुवा धारण व प्रकार 🔥 " मूले हानिकरं  प्रोक्तं  मध्ये  शोककरं  तथा ।  अग्रे व्याधिकरं प्रोक्तं  स्रुवं धारयते  कथम् ।।  कनिष्ठाङ्गुलिमाने   चतुर्विशतिकाङ्गुलम् ।  चतुरङ्गुलं परित्यज्य अग

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हनुमानजी के द्वादश नाम

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।। हनुमानजी के द्वादश नाम ।। हनुमानञ्जनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।                      रामेष्ट:फाल्गुनसख:पिङ्गाक्षोऽमितविक्रम।। उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।                                     

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विवाह संबंध में जरूर ध्यान दें

29 सितम्बर 2023
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•मीन, वृश्चिक, कर्क ब्राह्मण वर्ण, मेष, सिंह, धनु क्षत्रिय वर्ण, मिथुन, तुला, कुंभ शुद्र वर्ण, कन्या, मकर और वृष वैश्य वर्ण है. नोत्तमामुद्धहेतु कन्यां ब्राह्मणीं च विशेषतः । म्रियते हीनवर्णश्च ब्

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शिवलिंग के प्रकार एवं महत्त्व

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शिवलिंग_के_प्रकार_एवं_महत्त्व 🔱 मिश्री(चीनी) से बने शिव लिंग कि पूजा से रोगो का नाश होकर सभी प्रकार से सुखप्रद होती हैं। 🔱 सोंठ, मिर्च, पीपल के चूर्ण में नमक मिलाकर बने शिवलिंग कि पूजा से वश

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सर्वदोष नाश के लिये रुद्राभिषेक विधि

29 सितम्बर 2023
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सर्वदोष नाश के लिये रुद्राभिषेक विधि 〰️〰️🔸〰️〰️🔸🔸〰️〰️🔸〰️〰️ रुद्राभिषेक अर्थात रूद्र का अभिषेक करना यानि कि शिवलिंग पर रुद्रमंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। जैसा की वेदों में वर्णित है शिव और रुद्र

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नदी स्तोत्रं एवं नदीतारतम्यस्तोत्रम्

29 सितम्बर 2023
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*नदी स्तोत्रं एवं नदीतारतम्यस्तोत्रम्* नदी स्तोत्रं  प्रवक्ष्यामि सर्वपापप्रणाशनम् । भागीरथी वारणासी यमुना च सरस्वती ॥ १॥ फल्गुनी शोणभद्रा च नर्मदा गण्डकी तथा । मणिकर्णिका गोमती प्रयागी च प

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श्रावण सोमवार पर कैसे करे शिव पूजा

29 सितम्बर 2023
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श्रावण सोमवार पर कैसे करे शिव पूजा 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ सामान्य मंत्रो से सम्पूर्ण शिवपूजन प्रकार और पद्धति 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ देवों के देव भगवान भोले नाथ के भक्तों के लिये श्रावण सोम

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1.जन्म कुंडली के अनुसार पेट दर्द के लिए सबसे अधिक शनि ग्रह जिम्मेदार होता है। शनि एक ऐसा ग्रह है जो जातक की कुंडली में अशुभ होते ही, भिन्न-भिन्न प्रकार की परेशानियां देता है।यह ग्रह कुंडली के जिस भाव

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घर के प्रेत या पितर रुष्ट होने के लक्षण और उपाय

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घर के प्रेत या पितर रुष्ट होने के लक्षण और उपाय 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ बहुत जिज्ञासा होती है आखिर ये पितृदोष है क्या? पितृ -दोष शांति के सरल उपाय पितृ या पितृ गण कौन हैं ?आपकी जिज्ञासा को शांत

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*तर्पणविधि* (देव, ऋषि और पितृ तर्पण विधि) सर्वप्रथम पूर्व दिशाकी और मुँह करके, दाहिना घुटना जमीन पर लगाकर,सव्य होकर(जनेऊ व अंगोछेको बांया कंधे पर रखें) गायत्री मंत्रसे शिखा बांध कर, तिलक लगाकर,

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पितरों को भोजन कैसे मिलता है ?         प्राय: कुछ लोग यह शंका करते हैं कि श्राद्ध में समर्पित की गईं वस्तुएं पितरों को कैसे मिलती है?   कर्मों की भिन्नता के कारण मरने के बाद गतियां भी भिन्न-

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ग्रहों से रोग और उपाय -परिचय   हर बीमारी का समबन्ध किसी न किसी ग्रह से है जो आपकी कुंडली में या तो कमजोर है या फिर दुसरे ग्रहों से बुरी तरह प्रभावित है | यहाँ सभी बीमारियों का जिक्र नहीं करूंगा केव

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18 वास्तुशास्त्र के प्रवर्तक आचार्य

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18 वास्तुशास्त्र के प्रवर्तक आचार्य 18 वास्तुशास्त्र के प्रवर्तक आचार्य  *भृगुरत्रिवसिष्ठश्च विश्वकर्मा मयस्तथा।* *नारदो नग्नजिच्चैव विशालाक्षः पुरन्दर:।।* *ब्रह्माकुमारो नंदीश: शौनको गर्ग एव च।*

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12 अक्टूबर 2023
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शनैश्चरी सर्वपितृ अमावस्या विशेष

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शनैश्चरी सर्वपितृ अमावस्या विशेष 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ शनिवार, 14 अक्टूबर को आश्विम मास की अमावस्या तिथि है। इस दिन पितृ पक्ष समाप्त हो जाएगा। इसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहा जाता है। अगले दिन यानी

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श्राद्ध_में_किस_किस_को_निमन्त्रित_करें

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#श्राद्ध_में_किस_किस_को_निमन्त्रित_करें?? मातामहं मातुलं च स्वस्रीयं श्वशुरं गुरुम् ! दौहित्रं बिट्पति बन्धु ऋत्विज याज्यौ च भोजयेत !! नाना , मामा , भानजा , गुरु , श्वसुर ,  दौहित्र , जामाता , बान्

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महाकष्ट व महाबाधा निवारक मन्त्र

14 अक्टूबर 2023
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।। महाकष्ट व महाबाधा निवारक मन्त्र ।। कष्ट के अनुसार किसी भी एक या तीनों मन्त्रों की नित्य एक या अधिक माला जप करें, अवश्य ही शांति का अनुभव होगा।  यह मंत्र आपतकाल में कहीं भी, किसी भी समय, सतत ज

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नवरात्री के नौ दिन माँ के अलग-अलग भोग

15 अक्टूबर 2023
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नवरात्री के नौ दिन माँ के अलग-अलग भोग 🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸 १👉 प्रथम नवरात्रि पर मां को गाय का शुद्ध घी या फिर सफेद मिठाई अर्पित की जाती है। २👉 दूसरे नवरात्रि के दिन मां को शक्कर का भोग

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इन ९ औषधियों में विराजती है माँ नवदुर्गा

15 अक्टूबर 2023
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👆🏼👆🏼👆🏼 *इन ९ औषधियों में विराजती है माँ नवदुर्गा*  माँ दुर्गा नौ रूपों में अपने भक्तों का कल्याण कर उनके सारे संकट हर लेती हैं। इस बात का जीता जागता प्रमाण है, संसार में उपलब्ध वे औषधियां,

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नारी महिमा

16 अक्टूबर 2023
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।। माता हि जगतां सर्वासु स्त्रीष्वधिष्ठिता ।। स्त्रियों का जीवन कितना त्याग और तपमय है इसे तो कोई भी वर्णित नहीं कर सकता। इसीलिए धर्मशास्त्रों ने भी स्त्री को एक उच्च स्तर पर स्थापित किया है। महिला

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श्रीमंगल चंडिका स्त्रोत

17 अक्टूबर 2023
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श्रीमंगल चंडिका स्त्रोत 〰️〰️🌼〰️🌼〰️〰️ श्रीमंगल चंडिका स्त्रोत के लाभ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ इस स्तोत्र का पाठ आप मंगलवार दिन आरंभ करें साथ ही भगवान शिव का पंचाक्षरी का एक माला जप करने से अधिक लाभ मिल

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नवरात्र में नवग्रह शांति की विधि

18 अक्टूबर 2023
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नवरात्र में नवग्रह शांति की विधि 〰️〰️🌼〰️🌼🌼〰️🌼〰️〰️ प्रतिपदा के दिन मंगल ग्रह की शांति करानी चाहिए। द्वितीय के दिन राहु ग्रह की शान्ति करने संबन्धी कार्य करने चाहिए। तृतीया के दिन बृहस्पति ग

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51 शक्तिपीठ पौराणिक कथा एवं विवरण

18 अक्टूबर 2023
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51 शक्तिपीठ पौराणिक कथा एवं विवरण 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️            हालांकि देवी भागवत में जहां 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का ज़िक्र मिलता है, वहीं तन्त्रचूडामणि में 52 शक्तिपीठ बताए ग

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दुर्गाष्टमी पूजा एवं कन्या पूजन विधान विशेष

22 अक्टूबर 2023
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दुर्गाष्टमी पूजा एवं कन्या पूजन विधान विशेष 〰〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️ आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन माँ दुर्गा के भवानी स्वरूप का व्रत करने का विधान है। इस वर्ष 2023 में यह व्रत 22 अक्टूबर को क

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मनसा देवी की कथा एवं स्तोत्र

23 अक्टूबर 2023
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मनसा देवी की कथा एवं स्तोत्र  इनके नाम-स्मरण से सर्पभय और सर्पविष से मिलती है मुक्ति प्राचीनकाल में जब सृष्टि में नागों का भय हो गया तो उस समय नागों से रक्षा करने के लिए ब्रह्माजी ने अपने मन से

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