नवरात्र में नवग्रह शांति की विधि
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प्रतिपदा के दिन मंगल ग्रह की शांति करानी चाहिए।
द्वितीय के दिन राहु ग्रह की शान्ति करने संबन्धी कार्य करने चाहिए।
तृतीया के दिन बृहस्पति ग्रह की शान्ति कार्य करना चाहिए।
चतुर्थी के दिन व्यक्ति शनि शान्ति के उपाय कर स्वयं को शनि के अशुभ प्रभाव से बचा सकता है।
पंचमी के दिन बुध ग्रह।
षष्ठी के दिन केतु।
सप्तमी के दिन शुक्र।
अष्टमी के दिन सूर्य।
नवमी के दिन चन्द्रमा की शांति कार्य किए जाते है।
किसी भी ग्रह शांति की प्रक्रिया शुरू करने से पहले कलश स्थापना और दुर्गा मां की पूजा करनी चाहिए। पूजा के बाद लाल वस्त्र पर नव ग्रह यंत्र बनावाया जाता है। इसके बाद नवग्रह बीज मंत्र से इसकी पूजा करें फिर नवग्रह शांति का संकल्प करें।
प्रतिपदा के दिन मंगल ग्रह की शांति होती है इसलिए मंगल ग्रह की फिर से पूजा करनी चाहिए. पूजा के बाद पंचमुखी रूद्राक्ष, मूंगा अथवा लाल अकीक की माला से 108 मंगल बीज मंत्र का जप करना चाहिए. जप के बाद मंगल कवच एवं अष्टोत्तरशतनाम का पाठ करना चाहिए. राहू की शांति के लिए द्वितीया को राहु की पूजा के बाद राहू के बीज मंत्र का 108 बार जप करना, राहू के शुभ फलों में वृ्द्धि करता है।
नवरात्रों में सुख शांति के लिये किस देव की पूजा करें
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नवरात्र में मां दुर्गा के साथ-साथ भगवान श्रीराम व हनुमान की अराधना भी फलदायी बताई गई है. सुंदरकाण्ड, रामचरित मानस और अखण्ड रामायण से साधक को लाभ होता है. शत्रु बाधा दूर होती है. मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. नवरात्र में विघि विधान से मां का पूजन करने से कार्य सिद्ध होते हैं और चित्त को शांति मिलती है।
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