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नवरात्र में नवग्रह शांति की विधि

18 अक्टूबर 2023

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नवरात्र में नवग्रह शांति की विधि

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प्रतिपदा के दिन मंगल ग्रह की शांति करानी चाहिए।


द्वितीय के दिन राहु ग्रह की शान्ति करने संबन्धी कार्य करने चाहिए।


तृतीया के दिन बृहस्पति ग्रह की शान्ति कार्य करना चाहिए।


चतुर्थी के दिन व्यक्ति शनि शान्ति के उपाय कर स्वयं को शनि के अशुभ प्रभाव से बचा सकता है।


पंचमी के दिन बुध ग्रह।


षष्ठी के दिन केतु।


सप्तमी के दिन शुक्र।


अष्टमी के दिन सूर्य।


नवमी के दिन चन्द्रमा की शांति कार्य किए जाते है।


किसी भी ग्रह शांति की प्रक्रिया शुरू करने से पहले कलश स्थापना और दुर्गा मां की पूजा करनी चाहिए। पूजा के बाद लाल वस्त्र पर नव ग्रह यंत्र बनावाया जाता है। इसके बाद नवग्रह बीज मंत्र से इसकी पूजा करें फिर नवग्रह शांति का संकल्प करें।


प्रतिपदा के दिन मंगल ग्रह की शांति होती है इसलिए मंगल ग्रह की फिर से पूजा करनी चाहिए. पूजा के बाद पंचमुखी रूद्राक्ष, मूंगा अथवा लाल अकीक की माला से 108 मंगल बीज मंत्र का जप करना चाहिए. जप के बाद मंगल कवच एवं अष्टोत्तरशतनाम का पाठ करना चाहिए. राहू की शांति के लिए द्वितीया को राहु की पूजा के बाद राहू के बीज मंत्र का 108 बार जप करना, राहू के शुभ फलों में वृ्द्धि करता है।


नवरात्रों में सुख शांति के लिये किस देव की पूजा करें

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नवरात्र में मां दुर्गा के साथ-साथ भगवान श्रीराम व हनुमान की अराधना भी फलदायी बताई गई है. सुंदरकाण्ड, रामचरित मानस और अखण्ड रामायण से साधक को लाभ होता है. शत्रु बाधा दूर होती है. मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. नवरात्र में विघि विधान से मां का पूजन करने से कार्य सिद्ध होते हैं और चित्त को शांति मिलती है।


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रचनाएँ
शास्त्रों के झरोखों से
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नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय यह पुस्तक एक छोटा सा प्रयास है हमारे शास्त्रों में वर्णित तथा हमारे मनीषियों के द्वारा रचित प्रसंगों को संकलित करने का|अगर किसी को कोई त्रुटि नजर आती है तो सुझाव सादर आमंत्रित हैं|
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पितरों को भोजन कैसे मिलता है?

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18 वास्तुशास्त्र के प्रवर्तक आचार्य

10 अक्टूबर 2023
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18 वास्तुशास्त्र के प्रवर्तक आचार्य 18 वास्तुशास्त्र के प्रवर्तक आचार्य  *भृगुरत्रिवसिष्ठश्च विश्वकर्मा मयस्तथा।* *नारदो नग्नजिच्चैव विशालाक्षः पुरन्दर:।।* *ब्रह्माकुमारो नंदीश: शौनको गर्ग एव च।*

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अयोनिज पुत्र देने में कौन से देव समर्थ हैं ?

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🌀अयोनिज पुत्र देने में कौन से देव समर्थ हैं ?🌀 " किन्तु  देवेश्वरो  रूद्रः  प्रसीदति  यदिश्वरः।  न दुर्लभो  मृत्युहीनस्तव  पुत्रो ह्ययोनिजः।।  मया च विष्णुना चैव ब्रह्मणा च महात्मना ।  अयो

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12 अक्टूबर 2023
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!!अति महत्वपूर्ण बातें पूजा से जुड़ी हुई!! 1= जप करते समय जीभ या होंठ को नहीं हिलाना चाहिए। मन में चलना चाहिए। इसे उपांशु जप कहते हैं। इसका फल सौगुणा फलदायक होता हैं। 2=  जप करते समय दाहिने हाथ

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शनैश्चरी सर्वपितृ अमावस्या विशेष 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ शनिवार, 14 अक्टूबर को आश्विम मास की अमावस्या तिथि है। इस दिन पितृ पक्ष समाप्त हो जाएगा। इसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहा जाता है। अगले दिन यानी

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श्राद्ध_में_किस_किस_को_निमन्त्रित_करें

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नवरात्री के नौ दिन माँ के अलग-अलग भोग

15 अक्टूबर 2023
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नारी महिमा

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श्रीमंगल चंडिका स्त्रोत

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श्रीमंगल चंडिका स्त्रोत 〰️〰️🌼〰️🌼〰️〰️ श्रीमंगल चंडिका स्त्रोत के लाभ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ इस स्तोत्र का पाठ आप मंगलवार दिन आरंभ करें साथ ही भगवान शिव का पंचाक्षरी का एक माला जप करने से अधिक लाभ मिल

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नवरात्र में नवग्रह शांति की विधि 〰️〰️🌼〰️🌼🌼〰️🌼〰️〰️ प्रतिपदा के दिन मंगल ग्रह की शांति करानी चाहिए। द्वितीय के दिन राहु ग्रह की शान्ति करने संबन्धी कार्य करने चाहिए। तृतीया के दिन बृहस्पति ग

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51 शक्तिपीठ पौराणिक कथा एवं विवरण

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51 शक्तिपीठ पौराणिक कथा एवं विवरण 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️            हालांकि देवी भागवत में जहां 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का ज़िक्र मिलता है, वहीं तन्त्रचूडामणि में 52 शक्तिपीठ बताए ग

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दुर्गाष्टमी पूजा एवं कन्या पूजन विधान विशेष

22 अक्टूबर 2023
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दुर्गाष्टमी पूजा एवं कन्या पूजन विधान विशेष 〰〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️ आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन माँ दुर्गा के भवानी स्वरूप का व्रत करने का विधान है। इस वर्ष 2023 में यह व्रत 22 अक्टूबर को क

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मनसा देवी की कथा एवं स्तोत्र  इनके नाम-स्मरण से सर्पभय और सर्पविष से मिलती है मुक्ति प्राचीनकाल में जब सृष्टि में नागों का भय हो गया तो उस समय नागों से रक्षा करने के लिए ब्रह्माजी ने अपने मन से

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