•मीन, वृश्चिक, कर्क ब्राह्मण वर्ण, मेष, सिंह, धनु क्षत्रिय वर्ण, मिथुन, तुला, कुंभ शुद्र वर्ण, कन्या, मकर और वृष वैश्य वर्ण है.
नोत्तमामुद्धहेतु कन्यां ब्राह्मणीं च विशेषतः ।
म्रियते हीनवर्णश्च ब्रह्मणा रक्षितो यदि ।।
•उत्तम वर्ण की कन्या के साथ हीन वर्ण का पुरूष विवाह न करें. अन्यथा यदि ब्रह्मा जी रक्षा करें तो भी वर की मृत्यु हो जाती है.
विप्रवर्णे च या नारी शुद्रवर्णे च यः पतिः ।
ध्रुवं भवति वैधव्यं शुक्रस्व दुहिता यदि ।।
•ब्राह्मण वर्ण की कन्या के साथ यदि शुद्र वर्ण के पुरूष का विवाह किया जाए तो वह चाहे इन्द्र की कन्या हो निश्चय ही विधवा हो जाती है.
• विवाह में ब्राह्मणों के लिए नाड़ी दोष, क्षत्रियों को वर्ण दोष, वैश्यों को गणदोष और शुद्रों को योनिदोष विशेष रूप से विचार करके मिलान करना चाहिए. यदि यह अनुकूल न हो तो मिलान शुभ नहीं होता ऐसे विवाह की अनुमति नहीं देनी चाहिए.
•यदि वर और कन्या एक ही नक्षत्र में उत्पन्न हुए हों तो नाड़ीदोष नहीं माना जाता है. अन्य नक्षत्र हो तो विवाह वर्जित है. वर और कन्या की जन्म राशि एक हो तथा जन्म नक्षत्र भिन्न-भिन्न हो अथवा जन्म नक्षत्र एक हो जन्म राशि भिन्न हो अथवा एक नक्षत्र में भी चरण भेद हो तो नाड़ी और गणदोष नहीं माना जाता है.
•वर-कन्या की एक नाड़ी हो तो आयु की हानि, सेवा में हानि होता है. आदि नाड़ी वर के लिए, मध्य नाड़ी कन्या के लिए और अन्त्य नाड़ी वर-कन्या दोनों के लिए हानि कारक होती है. अतः इसका त्याग करना चाहिए.
याद रखे ~नाडी दोष परिहार हो जाता यदि एक नक्षत्र हो तो