होली के रंगों में रची-बसी भारतीय राजनीति
आसनसोल (जहाँगीर आलम) :- भारत विविधताओं का देश है, जो इन्द्रधनुष की भाँती कई धर्मो, अनेक सभ्यता-संस्कृति का बेजोड़ नमूना पेश करता है. अनेको धर्म, सैकड़ो त्यौहार, अनगिनत जातियों से लैस हमारा देश पूरी दुनियां में अपना मिशाल कायम करता है. मुल्क सबसे अधिक आबादी वाले देश के साथ-साथ दुनियां की सबसे बड़ी लोकतंत्र का भी ख्याति रखता है. कई सारी राजनितिक पार्टियां, हर पार्टियों के सैकड़ो नेता, हर नेता के अपने जनाधार, हमारे देश में ज्यादा देखने को मिलती है. राजनितिक पार्टियाँ उथल-पुथल, तोड़-जोड़ की राजनीति हमारे लोकतंत्र के अटूट हिस्सा बन गई है. भारत की राजनीति या तो समझ में है या इसे समझना सब के बस की बात भी नहीं है. चूँकि माहौल होली का है, तो थोड़ी गुस्ताखी माफ़ होनी चाहिए... वैसे भी होली में एक बड़ी कहावत बहुत मशहूर है “बुरा ना मानो होली है”, मगर बुरा को बुरा कहने में क्या बुराई है. फिर एक बार कहूँगा बुरा ना मानो होली है. भारतीय राजनीति के निति में निति पर राज करना सबके बस की निति कहाँ हो सकती है. भारत एक राजनितिक अखाड़े का देश है और इस अखाड़े में कई सारे दिग्गज पहलवान है. फिलहाल यूपी चुनाव देश का सबसे बड़ा राजनितिक अखाड़े का केंद्र बना है. कई सारे राजनितिक पार्टियों के पहलवानों ने बाखूबी दांव-पेंच लगाए. मोदी जी देश के पीएम व सबसे बड़े नेता, साथ ही साथ भाजपा के स्तम्भ भी है. मगर मोदी जी यूपी चुनाव में इस कदर प्रचार करते नजर आये की मानो ऐसा लगा वो अभी भी राजनीतिकी जमीन तलाश कर रहे है. शायद वो भूल गए कि वो देश के पीएम है और सबसे बड़े पद पर आसीन है. क्या एक पीएम को यूपी के सडको पर ऐसे उतरना कितना शोभा देता है सवाल जनता पे छोड़ता हूँ. अपनी गरिमा और ओहदे को बरकरार रखना भी चुनौती वाली बात होती है. यह सही बात है कि मोदी भाजपा के स्टार प्रचारक है, लेकिन उससे भी पहले वे देश के पीएम है. कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि मोदी जी के स्टेमिना पॉवर और कार्यक्षमता को देखकर स्पाईडर मेन, सुपर मेन जैसे सुपर हीरो भी फीके दिखाई देते है. सिख लेने की जरुरत है. इस उम्र में भी काफी गतिशीलता है हमारे पीएम में. राहुल गांधी की अगर बात ना हो तो भारतीय राजनीति की पूर्ण व्याख्या हो ही नहीं सकती है, ख़ुशी की बात यह है कि इन दिनों इन्हें काफी निक नेम भी दिए गए है, वो भी संसद के अन्दर. राजनितिक मंच पर भी राहुल के पहुंचते ही हंसी के पंच आने लगते है. पप्पू और चिंटू नाम से फेमस कांग्रेस युवराज को समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है, क्योकि ये खुद अपने आप को समझने की पुरजोर कोशिश में लगे हुए है. बहरहाल राजनितिक दिशा और अवस्था को तय करने वाली यूपी में हर राजनितिक चेहरा खुदना चाहता है. बात हैदराबाद में बैठे अवैसी साहब की. जो हैदराबादी बिरयानी छोड़ लखनऊ का टुंडी कवाब का जयका लेने के लिए यूपी में आने को बेताब दिखे. बहुत लोगो का मानना है कि यदि भारत और पकिस्तान एक होता तो दुनिया की सबसे मजबूत और कभी ना हारने वाली क्रिकेट टीम हमारी होती. क्योकि दुनिया के सबसे खतरनाक बल्लेबाज भारत में और दुनिया के सबसे खतरनाक गेंदबाज पकिस्तान में रहते है. इसी तरह अगर अवैसी साहब और मोदी जी एक साथ मिल जाए तो क्या बात है. अवैसी साहब मुस्लमानो को खिंच लाते और मोदी जी हिन्दुओं को. फिर इनकी राजनीति क़यामत तक के लिए फिक्स हो जाती. “बुरा ना मानो होली है”. अब बात यूपी के राजकुमार अखिलेश यादव की - नेता जी ने अपनी पूरी कमाई, पूरी सल्तनत अपने बेटे को दे दिया. बेटा साईकल पर सवार होकर पूरी सल्तनत पर हुकूमत कर सुल्तान भी बन गया. लेकिन कुछ गुप्त कारणों की वजह से नेता जी थोड़े नाराज हुए और बोले की बेटा साइकल से उतरो. बेटे ने कहा नहीं उतरूंगा दूसरी खरीद लो. हुकूमत को लेकर बाप-बेटे की जंग काफी रोमांचक और इमोशनल भी रहा. अब बात तमिलनाडु की - जयललिता के दुनिया छोड़ते ही पूरा राज्य आंसुओ के सैलाब में डूब गया. इन आंसुओ में शशिकला ने अपनी कस्ती चलाकर बस्ती बसाना चाहा. दुर्भाग्य शशिकला अपनी कला से खुद का भला नहीं कर पाई और सीएम कोई और बन बैठा. देश की राजिनिक पार्टियों और नेताओं पर होली का रंग तो चढ़ा दिया. अब बात अपने राज्य बंगाल और शहर आसनसोल का - सीएम ममता बनर्जी ने बंगाल को बाखूबी संवारा है, इसमें कोई दो राय नहीं, दुबारा की पूर्ण बहुमत से सारे लोग सहमत है. मगर ममता की ममता का इन्तेजार कर रही पार्टी सीपीएम पर दया की एक बूंद भी देखने को नहीं मिली. कभी टीएमसी कार्यकर्ता इनकी ऑफिस तोड़ देते, तो कभी जमकर कुटाई कर देते है. चौंतीस साल की अत्याचार का बदला लेने का वक्त आ गया है, कही इनको ऐसा तो नहीं लगता. “बुरा ना मानो होली है”. आसनसोल के भाजपा सांसद बाबुल शुप्रियो “कहो ना प्यार है” जैसे सुपरहिट गीत को गाने वाले बाबुल अब प्यार का बर्ताव ही नहीं करते है, दुर्भाग्य की बात है कि फ़िल्मी दुनियां और ग्लैमर से ताल्लुक रखने वाले इस नेता को राजनीत भी फ़िल्मी दिखाई देती है. मोदी लहर में बने शहर के सांसद बाबुल, फिल्म और राजनीति समझ से अबतक परे है. ये आज भी अपने संसदीय क्षेत्र में बतौर सांसद नहीं बल्कि सेलिब्रेटी के अंदाज में नजर आते है. इसपर एक छोटी कविता सूझी है. “इसे नेता कहूँ या अभिनेता, शहर आसनसोल को ना कुछ देता. अंदाज है इनके निराले, काम की जगह गानों पर वाहवाही लेता”.... अब बात शहर के मेयर जीतेन्द्र भैया जी का. गैर बंगाली चेहरा होकर भी शहर के मेयर हो गए. ये बड़ी बात है, ये उनकी काबिलियत है इसमे दो राय नहीं. लेकिन तिवारी जी को कोई हिटलर तो कोई मिथुन भी कह देता है. शहरवासियो के अनुसार तिवारी जी को जमीनी और धरातल का काम दिखाई ही नहीं देते है इनकी नज़ारे हमेशा ऊपर ही रहती है. शहर के छतो पे लगे होर्डिंग-बोर्डिंग मेयर साहेब के निशाने पर है. मेयर साहेब के टेक्स बढाने की बात पर व्यावसायी हक्के-बक्के रह गए. आसनसोल उत्तर के विधायक सह राज्य के कानून व श्रम मंत्री मलय घटक (दादा) देखने में बड़े ही भोलेभाले और सुलझे हुए नेता है. घटक जी घटाओ की तरह किसी भी कार्यक्रम में बेहिचक चले जाते है. दादा के इतने बड़े ओहदे पर होने के बाद भी शहर में होने वाले कार्यक्रम में लोग आसानी से कह देते है की मलय घटक को बुला लेंगे. यानी शहर का हर आदमी इन पर इतना हक़ रखता है. आसनसोल दक्षिण से विधायक सह एडीडीए चेयरमेन तापस बनर्जी साहब को जनता तो दूर मिडिया जैसी ताकत भी इन्हें अपने कैमरे में लेने के लिए जद्दोजेहद करती नजर आती है, इनके बारे में जानकारी मुहैया कराना सबके बस की बात नहीं. बात बड़े नेताओं के साथ ही कुछ छोटे नेताओं की भी हो जाए. मीर हाशिम साहब, ये आसनसोल नगरनिगम के अल्पसंख्यक प्रकोष्ट से एमआईसी है. मगर ये खुद अनजान है कि ये एमआईसी किस प्रकोष्ट से बने है. हाशिम साहब के कामो को खुद काम की जरुरत है. हीरो जैसे छबि वाले इस एमआईसी पर पुरे एएमसी को फक्र है. शहर की उपमेयर तबस्सुम आरा जी - शहर के हर आदमी इनसे रूबरू है, इनकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि हर कार्यक्रम में शरीक हो जाती है और कार्यक्रम ख़त्म होने के बाद पूछती है की ये तामझाम किस लिए था. चलो ये भी अच्छी बात है, पूछा तो सही. उपमेयर जी आज भी फुर्सत के दिनों में अध्ययन करती है की ज्यादा पॉवर मेयर के पास होता है या उपमेयर के पास. कृष्णा के नाम से मशहूर कुल्टी विधायक उज्जवल चटर्जी की बात ही निराला है, लोक तंत्र के प्रतिनिधि की परिभाषा, इनको देखने के बाद परिभाषित हो जाती है, मुसाफिर इन्ही से कभी-कभी पूछ लेते है “उज्जवल दार बाड़ी कोथाए”. होली का त्यौहार हमारे देश में धूम-धाम से मनाया जाता है. आप सभी को होली मुबारक. इस त्यौहार में थोड़ी हंसी-मजाक तो बनती ही है और आशा करता हूँ की किसी को बुरा ना लगे और फिर कहता हूँ “बुरा ना मानो होली है” जाते-जाते यह भी कहाँ चाहूँगा सुरक्षित होली मनाये और कौमी एकता एवं सौहार्द को बरकरार रखे और अपने मुल्क का नाम रौशन करे...