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तीसरी कड़ी का वर्चस्व

4 मई 2017

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तीसरी कड़ी का वर्चस्व


वर्तमान समय में अख़बार भी लोगो की रोजमर्रा की दिनचर्या में शामिल है, अधिकांश लोग सुबह-सुबह अख़बार पढ़ना पसंद करते है. कई लोग पूरी दिलचस्पी के साथ हर खबर को गंभीरता से पढ़ते है, तो कुछ लोग हेड लाईन पढ़कर ही संतुष्ट रहते है. चूँकि अखबारों में देश-विदेश से लेकर गली-मुहल्लों तक की खबरे रहती है, जिसे पढ़कर यह जानकारी हो जाती है कि बीते कल में क्या हुआ या आने वाले कल के दौरान अपने आसपास क्या होने वाला है. वैसे तो सोशल मिडिया के आने से बहुत सी खबरे मिनटों में ही मिल जाती है, लेकिन सोशल मिडिया के खबरों की सच्चाई पर हमेशा संदेह रहता है. समाचार पत्रिकाओ में जो आसपास और गली-मोहल्ले की जो खबरे आप तक पहुंचती है, उसे संलग्न करने के लिए पत्रकारों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है, पत्रकार वो है जो सिर्फ अपने भरोसे ही टिका होता है. खबर भेजी तो कम्पनी खुश नहीं तो जनता की नाराजगी भी झेलनी पड़ती है. एक पत्रकार की आम जनता, नेता, पुलिस-प्रशासन से लेकर अपने कर्यालय तक की जवाबदेहि बनती है, जिसके एवज में उसे वाजिब मेहनताना भी नहीं मिलता. वो अव्यवस्थित संसधानो के साथ हमेशा बेहतर करने को तत्पर रहता है और करता भी है. इन सभी के बिच एक ऐसा शख्स भी होता है, जो मालिक ना होते हुए भी मालिक जितना प्रभाव पत्रकारिता जगत में रखता है. उसका प्रभाव इस कदर का होता है कि प्रकाशक-संपादक भी उस भय खाते है, इसका प्रभाव ज्यादातर बड़े व नामी पत्रिकाओ में अधिक होता है. वही पत्रकारों को भी इनका खास ख्याल रखना पड़ता है, नहीं तो पता नहीं कब ये प्रकाशक-संपादक को धमका दे और पत्रकारों को अपनी नौकरी गवानी पड़ जाए. पत्रकार और प्रकाशक के बिच की कड़ी होते है एजेंट और इन्हें इतना गुमान होता है कि ये किसी भी पत्रिका को उठा या गिरा सकते है. जिसके दम पर ये प्रकाशक और पत्रकार दोनों में अपनी धमक बनाए रहते है. रेलवे स्टेशन भी इनकी पैतृक सम्पत्ति होती है. अहले सुबह से लेकर घंटो तक कोई भी स्टेशन हो इनका ही अधिकार क्षेत्र में रहता है. जबकि ये रेलवे का भरपूर फायदा उठाते है और रलवे को एक रूपए भी नहीं देते. लेकिन इनका एक पैसा भी रखना मालिको के लिए बहुत बड़ी गुनाह हो जाती है. गौरतलब है कि आसनसोल रेल मंडल के सीतारामपुर स्टेशन के एक नंबर प्लेटफार्म में ऐसे ही एक पेपर एजेंट अपना धंधा फैलाए रहते है और सोचते है कि ये उनकी पैतृक सम्पत्ति है. बात बुधवार की सुबह की है, जब एक राष्ट्रिय पत्रिका के एक पत्रकार अपना अखबार उतारने गया था, जो की वो काफी लम्बे समय से अख़बार उतार रहा है. उसे स्थानीय पेपर एजेंट नारायण सिंह ने कहा कि यहाँ से अख़बार उतारना है तो पांच सौ रूपए महीने देना होगा. पत्रकार ने पूछा रूपए क्यों देना होगा. तो एजेंट ने कहा जीआरपी को रूपए देने पड़ते है, इसलिए रूपए दो नहीं तो अखबार उतारने नहीं देंगे और तुम्हारे प्रकाशन कम्पनी भी कुछ नहीं बिगाड़ सकती है. इस माहौल भी पत्रकारों को चुप रह कर काम करना पड़ता है, क्योकि वो जनता है कि एजेंट की भूमिका क्या होती है.

जहाँगीर आलम की अन्य किताबें

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शहर बदल

5 अक्टूबर 2016
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जहाँगीर आलम:-शहर का अपना मिजाज होता है, यहाँ के लोगो की जीवन शैली भी अलग होती है. हर बात में दिखावा झलकता है, हर किसी को एक दुसरे से आगे निकलने की होड़ मची रहती है. ऐसा ही हो रहा है अपने शहर आसनसोल में. इसके फिजा, हवा में बदलाव आने लगे है. शहर आसनसोल शादियों पुराना शहर, विश्वभर के लोग जानते है इस शहर

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सूबा, सरकार और दरकार.....

8 नवम्बर 2016
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आसनसोल (जहाँगीर नेमतपुरी) :- कहा जाता है, जो दिखता है वहीआकडा होता है. हुक्मरान तो कुछ भी कह देते है और उसे आज़ादी भी है. मगर सच्चाई कीलकीर सिर्फ कह देना ही नहीं होता है. क्योकि आकडे, स्थिति,तस्वीर और वर्तमान भी बोलती रहती है. जी हाँ कुछ ऐसी ही स्थितितस्वीर और आकड़ो से हमारा देश गुजर रहा है. मगर अफ़सोस

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नाकाम सरकार को युवा देशभक्ति की दरकार

8 नवम्बर 2016
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वर्तमान परिपेक्ष में देशभक्ति का सही परिभाषा बदलने की कोशिश की जा रही है. परिभाषा से छेड़छाड़ कही देश में उन्माद न पैदा कर दे...आसनसोल (जहाँगीर नेमतपुरी) :- किसी ने कहा है कि हर मर्ज की दवा होती है, मगर इस बात से सहमत नहीं हुआ जा सकता है. हमारा मुल्क कुछ ऐसी ही बिमारियों मे

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सियासत, समाजवाद और सत्ता

26 नवम्बर 2016
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आसनसोल (जहाँगीर आलम) :- जिस प्रधानमंत्री का मुद्दा शुरूआती दौर से ही गरीबी और विकास की रही हो, उस प्रधानमंत्री के ऐसे फैसले पर आश्चर्य कैसा? लेकिन सवाल तो उठते थे और उठते रहेंगे. ये बात और है की सरकारे अपने कार्यकाल के दौरान गरीबो और ग्रामी

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कालाधन, कैशलेश समाज और सरकार के वो पचास दिन

7 दिसम्बर 2016
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(जहाँगीर आलम) आसनसोल :- जब पूर्व प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी तब वर्तमान गंभीर हुए और मुस्कुरा कर भोजन करने चले गये. एक ने कहा एक ने सुना और सदन रुक गया. 60 फीसदी ग्रामीण और 40 फीसदी शहर के झोपड़पट्टी में गुजर-बसर करने वालो पर कब किसी पीएम ने बात की है.भारत का सत्य यही है की कष्ट और नाजायज पैसो पर न्य

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राजनीति, भ्रष्टाचार का पालनहार

19 दिसम्बर 2016
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आसनसोल (जहाँगीर आलम) :- सवाल तो देश में आज भी वही है जो आजादी के बाद रहे थे. शिक्षा, स्वास्थ, रोजगार आदि जैसे अहम् विषयो से देश आज तक आगे नहीं बढ़ पाया है. हाँ इन बीते दशको में देश की जनसंख्या जरुर बढ़ी है. लेकिन समस्या जस की तस ही रही. यानी कह सकते है की सात दशक पहले जिस त

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पचास दिनों के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं

31 दिसम्बर 2016
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आसनसोल ( जहाँगीर आलम) ) :- दुकाने सजी है और उनमे जरुरत के सामान भी उपलब्ध है, पर्यटकों की संख्या में भी कोई खासा कमी नहीं है. लेकिन इन सबो के बावजूद ग्राहक नहीं दिख रहे. ये हालात है, झारखण्ड-बंगाल की सीमा पर स्थित एक मात्र पर्यटक स्थल मैथन डैम की. जहाँ लोगो की भीड़ तो है

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...तो यह सिलसिला जारी रहेगा और मरने वाले मजदुर ही होंगे

10 जनवरी 2017
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आसनसोल (जहाँगीर आलम) :- ईसीएल की राजमहल परियोजना की त्रासदी ने कई जिंदगियां निगल ली. लेकिन एक सवाल सबके जेहन में छोड़ गयी की आखिर इसका जिम्मेवार कौन है? आखिर इतनी मौतों का सौदागर कौन है? किसने चंद रुपयों की लालच में लाशो का सौदा कर दिया? ईसीएल में सक्रीय सभी श्रमिक संग

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तीन तालाक का फायदा अब तो महिलाये भी उठाने लगी

16 जनवरी 2017
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आसनसोल (जहांगीर आलम) :- केंद्र सरकार ने हाल ही में तीन तालाक का मुद्दा उठाते हुए यह दलील दी थी की शरियत के इस फैसले से मुस्लिम समुदाय की महिलाये पीड़ित है, उनका वैवाहिक अधीकारो का हनन हो रहा है. मुस्लिम पुरुष तीन तालक का फायदा उठाते हुए कभ

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खोखले सिस्टम की भेट चढ़ गयी कई मासूम जिन्दगियां

21 जनवरी 2017
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आसनसोल (जहाँगीर आलम) :- सुबह का अलार्म बजते ही माएं झट से उठ जाती है, क्योकि रात में ही उसने अलार्म सेट किये होती है कि सुबह कही देर ना हो जाए, उठने में और उसके लाडले को स्कुल जाने में. जब सुबह उठकर माएं अपने बच्चो के लिए टिफिन का इन्तेजाम

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विदया की मंडी में तब्दील होता विदया का मंदिर

2 फरवरी 2017
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आसनसोल (जहाँगीर आलम) :- बच्चो का इम्तेहान ख़त्म और अभिभावकों की अग्नि परीक्षा शुरू हो गयी. तक़रीबन सभी अभिभावक इसी जद्दोजहद में लगे दिख रहे कि उनके बच्चे का एडमिशन भी एक अच्छे स्कुल में हो जाए. इनमे से कई नए नव

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देश की भविष्य के साथ खिलवाड़, पड़ेगा मंहगा

8 फरवरी 2017
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आसनसोल (जहाँगीर आलम) :- ये बच्चे ही हमारे देश की भविष्य हैं और इन्ही पर भविष्य में देश की उन्नति निर्भर है. लेकिन आज देश के इन भविष्यो के साथ खिलवाड़ कर हम अपने देश को ही कमजोर करने की भरपूर चेष्टा में लगे है. जिसका परिणाम भी हमें ही भुगतना होगा. इन्हें सम्पूर्ण रूप से शिक्षित बनाना सिर्फ अभिभावकों क

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स्कुल-कॉलेज के विधार्थी है इनके सॉफ्ट टार्गेट

14 फरवरी 2017
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आसनसोल (जहाँगीर आलम) :- नशा हमारे परिवार, समाज और देश के लिए दीमक की तरह है, इसकी जद में ज्यादातर युवा पीढ़ी रहते है. इसके कारोबारी भी स्कुल-कालेजो को सबसे आसान जरिया मानते है. इसके लिय वे लोग अपने दलालों को इन जगहों पर सक्रीय कर देते है. लेकिन उन्हें नहीं मालूम की वे

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जिला अस्पताल के समुचित लाभ में सड़क जाम बना रोड़ा

19 फरवरी 2017
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आसनसोल (जहांगीर आलम ) :- वर्ष 2011 में 34 वर्षो की वाम सरकार को पछाड़ते हुए तृणमूल कांग्रेस ने राज्य की सत्ता में अपना कब्ज़ा ज़माया. जिसके बाद जनता के अनुरूप ही तृणमूल ने राज्य समेत आसनसोल में कई विकासमूलक कार्य किये और अबतक जारी है. तृणमूल की ममता सरकार ने सर्वाधिक

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सिर्फ एक दिन, एक दिवस, नहीं बल्कि हर पल, हर समय महिलाओ को दे सम्मान

10 मार्च 2017
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सिर्फ एक दिन, एक दिवस नहीं बल्कि हर पल, हर समय महिलाओं को दे सम्मान आसनसोल (जहांगीर आलम) :- आज विश्व भर में महिलाओ को सम्मान देने के मकसद से महिला दिवस का पालन किया जा रहा है. इसी क्रम में आसनसोल शहर के विभिन्न स्थानों व संस्थानों में भी महिला दिवस मनाया गया. लेकिन क्या

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होली के रंग में रची-बसी भारतीय राजनीति

10 मार्च 2017
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होली के रंगों में रची-बसी भारतीय राजनीति आसनसोल (जहाँगीर आलम) :- भारत विविधताओं का देश है, जो इन्द्रधनुष की भाँती कई धर्मो, अनेक सभ्यता-संस्कृति का बेजोड़ नमूना पेश करता है. अनेको धर्म, सैकड़ो त्यौहार, अनगिनत जातियों से लैस हमारा देश पूरी दुनियां में अपना मिशाल कायम करता है

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एक दूसरे पर लगाते रहेंगे आरोप-प्रत्यारोप

22 मार्च 2017
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जहाँगीर आलम (आसनसोल) :- गोवा में 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को दुबारा मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालने का मौका मिला है. जबकि चुनाव में सबसे अधिक सीटें जीतने वाली कांग्रेस पार्टी को यहां विपक्ष में बैठना पड़ रहा है. वही पूर्वोत्तर के राज्य मण

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पानी के लिए बह रहे पानी की तरह पैसे

22 मार्च 2017
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जल समस्या से निजात, आवंटित हुए 225 करोड़ रूपए . 20 मार्च 2017 सोमवार का दिन कुल्टी वासियों के लिए खुशियों भरा शौगात लेकर आया. दशको से पीने की पानी का दंश झेल रहे इस इलाके के लाखो लोगो को अब पानी मयस्सर हो पायेगी. इसकी घोषणा कुल्टी बोरो कार्य

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डीवीसी-नागरानी या राजकुमार

23 मार्च 2017
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जहाँगीर आलम (आसनसोल) :- पश्चिम बंगाल के कल्यानेश्वरी मंदिर के निकट मार्किट कॉम्प्लेक्स डीवीसी की जमीन पर आसनसोल नगर निगम द्वरा अवैध कब्जा कर शोचालय निर्माण का मामला शांत भी नहीं हुवा था कि उक्त जमींन पर एक और दावेदार सामने आकर सबको अचंभित कर दिया. ऐसे में आसनसोल नगर निग

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अस्तित्व में आया राज्य का 23 वां जिला "पश्चिम बर्दवान"

9 अप्रैल 2017
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आसनसोल :- दशको से शहरवासियो की मनोकामना व मांग शुक्रवार को पूर्ण हो गई. आसनसोल के पुलिस लाइन मैदान से शुक्रवार की दोपहर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आसनसोल एवं दुर्गापुर को मिलाकर व बर्धमान जिला के दो भाग करके पश्चिम बर्दवान नाम से नए जिले की घोषणा की. जिससे राज्य

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क्या पहचान हो हमारी

9 अप्रैल 2017
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“मेरा खजूर-बताशा तुम्हारा पहचान बन गया || चाँद मेरा और सूरज तुम्हारा पहचान बन गया || चले थे कहकर सबका साथ-सबका विकास करेंगे, मगर हरा और गेडुआ हमारा पहचान बन गया” || --------------------------------------- “एक दुसरे को जलील करना हमारा शान बन गया || जानवर के वास्ते इं

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सुंदर स्त्री की पारदर्शिता ही समाज की आदर्शता

4 मई 2017
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सुंदर स्त्री की पारदर्शिता ही समाज की आदर्शता हैजहाँगीर आलम :- स्वच्छ-सुन्दर और उत्तम समाज की कल्पना की चाह बगैर स्त्री के मुमकिन नहीं, स्त्रियों की बलिदान-योगदान को परिभाषित करना संभव भी नहीं है.सुंदर स्त्री हर माईने में समाज के लिए आदर्श स्वरूप है, जिसे आसानी के साथ देख

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तीसरी कड़ी का वर्चस्व

4 मई 2017
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तीसरी कड़ी का वर्चस्व वर्तमान समय में अख़बार भी लोगो की रोजमर्रा की दिनचर्या में शामिल है, अधिकांश लोग सुबह-सुबह अख़बार पढ़ना पसंद करते है. कई लोग पूरी दिलचस्पी के साथ हर खबर को गंभीरता से पढ़ते है, तो कुछ लोग हेड लाईन पढ़कर ही संतुष्ट रहते है. चूँकि अखबारों में देश-विदेश से ले

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कौन होगा अगला पीएम

22 जून 2018
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इन चार वर्षो के दौरान कई राज्यों में विभिन्न चुनाव हो गये. कही भाजपा ने बहुमत पाई तो कही बिना बहुमत के ही जोड़तोड़ कर सरकार बनाई. लेकिन सबसे अहम् वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव होगा और सभी की निगाहे अबकी बनने वाली सरकार और प्रधानमंत्री पर टिकी है. शायद इसबार भाजपा की सरकार और मो

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