आसनसोल (जहांगीर आलम) :- केंद्र सरकार ने हाल ही में तीन तालाक का मुद्दा उठाते हुए यह दलील दी थी की शरियत के इस फैसले से मुस्लिम समुदाय की महिलाये पीड़ित है, उनका वैवाहिक अधीकारो का हनन हो रहा है. मुस्लिम पुरुष तीन तालक का फायदा उठाते हुए कभी भी किसी वक्त अपनी पत्नी को छोड़ने का अधिकार रखता है. जिससे मुस्लिम महिलाओ की जिंदगी नरक बन जाती है. लेकिन इसके विपरीत यानी की तीन तालाक का फायदा उठाते हुए मुस्लिम समुदाय की एक महिला और उसके परिजनों ने लडके पक्ष वालो को मुकदमा का भय दिखाते हुए रूपए ऐठने का मामला प्रकाश में आया है. उल् लेख नीय है कि झारखण्ड के धनबाद जिले के कतरास गढ़ थानान्तर्गत छाताबाद के कजुबगान निवासी माजिद खान की पुत्री रुकसाना खातून का विवाह पश्चिम बंगाल के बर्दवान जिले के कुल्टी थाना क्षेत्र के सितलपुर निवासी सहाबुद्दीन खान के पुत्र गयासुद्दीन खान के साथ वर्ष 2006 में हुयी थी. दोनों के दो बच्चे भी है. बताया जाता है अन्य घरो की तरह उनके घर में भी प्राय: पति-पत्नी में तीखी नोक-झोक होती रहती थी. लेकिन बीते वर्ष आठ नवम्बर 2016 को यह झगडा कुछ अधिक बढ़ गया. जिसके बाद पति ने पत्नी से कहा कि बस अब चुप करो नहीं तो तालाक देने पर मजबूर हो जायेंगे. इसी बात का फायदा उठाते हुए पत्नी ने अपने मायके वालो को फोन द्वारा सूचित कर दिया कि उनके पति ने तीन तालाक दे दिया है. जिसके बाद लड़की के मायके वालो में उसके पिता माजिद खान, बड़े चाचा निजाम खान, चचेरा भाई गुलाम खान आदि समेत दर्जनभर लोग आये और तीन तालाक का हवाला देते हुए कहा कि वे लोग अपनी बेटी को अपने साथ ले जायेगे. उसके बाद पटना स्थित दारुल क़ज़ा में अर्जी देकर मशवरा किया जायेगा. वहां से जैसा फैसला आएगा वैसा ही आगे कदम उठाया जायेगा. जिसपर पति ने कहा कि उसने तालाक नहीं दिया है इसलिए वे अपनी पत्नी को जाने नहीं देंगे. लेकिन उसकी एक बात नहीं सुनी और लड़की को अपने घर छाताबाद ले गए. लेकिन मजे की बात यह हुई की दुसरे ही दिन लडके वालो के यहाँ फोन करके लड़की के पिता और बड़े चाचा ने कहा कि झरिया के किसी मुफ़्ती से बात हुयी और उसने कहा है कि तालाक हो गया है. इसलिय आप लोग मुआवजे के तौर पर दो लाख रूपए और लड़की को शादी के समय जो सामान दिया गया था वह सभी सामान नए खरीद कर दे दिजिये. नहीं तो दहेज प्रथा, प्रताड़ना, बलात्कार, जान से मारने की कोशिश जैसे संगीन मामलों में पति, ससुर,सास,देवर आदि सभी को जेल की चक्की पिसवा दूंगा. जिसपर पति गयासुद्दीन ने कहा कि वे अपनी पत्नी को तालाक नहीं दिया है और वे उसे अपने पास रखना चाहता है. लेकिन लड़की के पिता और चाचा ने उसकी एक नहीं सुनी और जल्द से जल्द रूपए व सामान देने का दबाव बनाने लगे.जिसके बाद पति ने अपनी पत्नी व एक बच्चे को वापस पाने के लिए आसनसोल कोर्ट के काजी द्वारा लड़की को घर वापस आने का आवेदन भेजवाया. जिसके बाद तय हुआ कि 15 जनवरी को सीतलपुर में दोनों पक्ष बैठक कर मामले को सुल्झायेगे. लेकिन 13 जनवरी 2017 को लड़की के पिता मजिद खान ने फोन कर कहा कि वे लोग तभी आएंगे जब लड़का पक्ष यह स्वीकार करे कि दो लाख रूपए और नये सामान के साथ ही आने-जाने का किराया देंगे. नहीं तो तुमसब पर झूठा मुकदमा दर्ज करके जेल भेजवा देंगे.जिसके बाद से लडके के घर वाले खौफ के साये में है, उनका जीवन दूभर होने लगा है. पति गयासुद्दीन खान ने बताया कि वे अपना घर बसाना चाहते है, लेकिन लड़की के माता-पिता, चाचा व भाई पैसे की लालच में अपनी बेटी का घर बर्बाद करने को तुले हुए है. अब यहाँ सवाल यह खड़ा होता है कि तीन तालाक से किसका फायदा व किसका नुकसान हो रहा है. महिलाओ के अधिकार की बाते तो सभी करते है, कानून भी महिलाओ को अधिक तवज्जो देता है, तो पुरुष कहाँ जाए किससे इंसाफ की गुहार लगाए.