आधार छन्द गीतिकामापनी -- २१२२ २१२२ २१२२ २१२ “मुक्तक”हे जगत के अन्नदाता भूख को भर दीजिये। हों सभी के शिर सु-छाया संग यह वर दीजिये। उन्नति के पथ डगर पिछड़े शहर का भी नाम हो- टप टपकती छत जहाँ उस गाँव को दर दीजिये॥-१ भूल कर शायद गए होगें सिपाही आप के। बेटियों की हो रहीं कैसी