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शुभ लाभ ( कहानी दूसरी क़िश्त )

15 मार्च 2022

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शुभ लाभ  ( कहानी  दूसरी क़िश्त)

( अब तक- अब विभूति छुट्टी लेकर भारत आने की सोचने लगा)

 अब वह कुछ दीनों की छुट्टी लेकर भारत जाने की सोचने लगा । उसने अपने घर में अपने पिता से बात किया कि मैं 12 अगस्त को यहां से प्रस्थान करने की सोच रहा हूं । तब उसके पिता ने कहा बेटे 12 अगस्त गुरुवार है । हमारे शास्त्र के अनुसार गुरुवार के दिन घर वापसी वाली यात्रा नहीं की जाती है । हमारी परंपरा के अनुसार उस यात्रा करने से नुकसान होने की संभावना बहुत होती है । तुम ऐसा करो तुम अपनी यात्रा की तारीख को एक दिन प्रिपोन्ड कर लो यानि 11 अगस्त का दिन शुभ है । अमेरिका से भारत की ओर यात्रा करना । विभूति ने वैसा ही किया । 11 अगस्त को विभूति की फ्लाइट रात्रि 9 बजे थी । वह शाम 6 बजे टेक्सी पकड़कर एयरपोर्ट की ओर रवाना हुआ । विभूति के घर से एयरपोर्ट का रास्ता लगभग 1 घंटे का था । लेकिन लगभग आधा रास्ता तय होने के बाद उसकी टेक्सी का अगला टायर बर्सट हो गया और कार सड़क किनारे स्थित पेड़ से टकरा गई । ड्राइवर और विभूति दोनों घायल हो गये । विभूति के माथे से खून निकलने लगा । उसके माथे पर एक बड़ा सा कट हो गया था । जैसे तैसे लिफ्ट लेकर वह न्यूयार्क के एक हास्पिटल पहुंचा । वहां उसके माथे पर 7 टांके लगे व सलाह दी गई कि सात दिनों तक आपको पूरा आराम करना है । अगले दिन विभूति ने अख़बार में पढ़ा कि जिस फ्लाइट से वह जाने वाला था वह क्रेश हो गई है और सारे यात्री काल कलवित हो गये । विभूति ने ईश्वर को धन्यवाद दिया कि आपकी कृपा से मेरी फ्लाइट मिस हुई है । उसने अपने घर वालों को फोन करके तुरंत बता दिया कि मैं सही सलामत हूं । किसी कारण से मैनें उस फ्लाइट को छोड़ दिया था । अब मैं एक सप्ताह बाद आऊंगा । आप लोग चिंता न करें । उधर से उनके पिता जी ने कहा ये भगवान का प्रताप है कि तुम उस प्लेन में बैठ नहीं पाये । वास्तव में वहां का समय यहां से एक दिन आगे है । वहां के अनुसार वहां 11 अगस्त से ही बदरा लग गया है । मेरे द्वारा ही गणना में कोई गलती हो गई थी । तुम्हें 11 तारीख से एक दिन पूर्व वाली फ्लाईट लेनी थी । बहरहाल तुम सही सलामत हो इसके लिए ईश्वर को धन्यवाद । विभूती 15 दिनों बाद भारत पहुंचा । वहां अपने परिवार वालों से मिलकर बहुत खुश हुआ । उसने लगभग सारे रिश्तेदारों के लिए कुछ न कुछ उपहार ले गया था । वहां एक महीना परिवार के साथ बिताकर अमेरिका वापस लौट आया और अपनी ड्यूटी मे व्यस्त हो गया। कुछ महीने बाद उसे कंपनी का उपाध्यक्ष बना दिया गया । उसकी कंपनी डाटा -  ग्रो अब तेजी से ग्रो  करने लगी।ओस बीच उसी कंपनी में सीनियर मैनेजर के पद पर काम करने वाली रेहाना दानिश से उसकी दोस्ती हो गई । धीरे धीरे उनकी दोस्ती प्यार में बदल गई। दोनों  को समय के साथ लगने लगा कि दोनों एक दूजे के लिए ही बने हैं । दोनों ने विवाह  करने का फैसला कर लिया की हो गई । पर दोनों के मन में एक खटका था कि हम अलग अलग धर्म के हैं जिसके कारण अमेरिका में तो कोई समस्या नहीं होगी पर भारत में रहने वाले दोनों के रिश्तेदार इस विवाह को स्वीकार करेंगे या नहीं ? कभी कभी ये सोच कर उन्हें डर भी लगता था । सारी नकारात्मक  बातॉ  को दरकिनार कर दोनों ने एक दिन अमेरिका में ही शादी कर ली । उनको शादी के एक महीने बाद अमेरिका की साफ्टवेयर कंपनियों में मंदी का दौर आने लगा और धीरे धीरे कई कंपनियां बंद होने लगी । विभूति और रेहाना को कंपनी भी भी दिवालिया हो गई । उन दोनों ने अपनी सारी जमा पूजीं को समेट कर भारत लौटने का मन बना लिया । दोनों को सामूहिक पूंजी लगभग 5 करोड़ रुपए थी । उन्होंने अपनी शादी की बात अपने अपने परिवारवालों को नहीं बतायी थी । उचित समय आने पर ही अपनी शादी की बात परिवार वालों को डिस्क्लोस करेंगे ऐसा उन्होंने सोच रखा था । 15 दिनों बाद दोनों मुंबई की धरती पर उतरे और एक दिन मुंबई में रहकर रेहाना अपने घर कानपुर चली गई और विभूति अपने घर बनारस चला गया । भारत आकर विभूती ने अपने पिता को बताया अब मैं भारत में हो अपनी एक साफ्टवेयर कंपनी खोलना चाहता है । पूना में कंपनी का हेड आफिस होगा । भगवान ने चाहा तो हमारी कंपनी देश की सबसे बड़ी सफ्टवेयर कंपनी बन जायेगी । विभूती के पिता ने उसे आशीर्वाद देते हुए । कहा ये तो बहुत अच्छी बात है । तुम अपने देश में ही अपने काम को स्थापित करना चाहते हो । इससे तुमको जो सफलता मिलेगी वह अपनी जगह पर साथ ही साथ तुम्हारे देश को भी इससे फायदा होग ज्योतिष ज्ञान कहता है कि आने वाले दस दिनों के बाद तुम्हारी राशि में शनि का प्रवेश होने वाला है जो अगले 40 दिनों तक रहेगा । अतः कोई भी नया काम तुम 40 वें दिनों के बाद प्रारंभ करना वरना भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है । लेकिन विभूती इस काम में पहले से लग चुका था । उसने 49 साफ्टवेयर इंजिनियर्स को आज से 15 वें दिन पूना में इकट्ठा होने कहा था । वह इस काम को पोस्टपौंड  नहीं कर सकता था । सभी 49 लोगों को खर्च विभूति को ही उठाना था । अतः 25 दिनों तक बिना काम के उन सबका खर्च उठाना न उचित था न ही मुनासिब था । अत : दसवें दिन वो पूना को रवाना हो गया । हालांकि उसके पिता ने उसे अपना वास्ता देकर बहुत रोका पर वह माना नहीं । वहां जाकर उसने तिलक चौक में एक 6 हजार स्क्वे . फीट का हाल किराये पर ले लिया और कम्प्यूटर , माडम , प्रिंटर्स सहित अनेक आवश्यक उपकरण खरीद कर पांच दिनों में वहां इंस्टाल करवा लिया । 15 वें दिन सारे बुलाये इंजिनियर्स वहां पहुंच गये । उन्हें सारी बातें समझाकर उनकी सहमति लेकर विभूति ने एक कंपनी बना ली । जिसका चेयरमेन विभूति बने । पैसा सारे लोगों को लगाने को कहा । जिसके लिए सारे लोग तैयार हो गये । कंपनी का नाम पावर आफ फिफ्टी रखा गया । वहां के सभी इंजिनयर्स जो खुद कंपनी के शेयर होल्डर्स भी थे अपने अपने पुराने संपर्कों  के माध्यम से बिजनेस का विस्तार करने लगे । 6 महीने में ही कंपनी स्टैंड कर गई । कंपनी की आमदनी अच्छी खासी होने लगी अंतः कंपनी के अन्य आफिस , बंगलौर व हैदराबाद में भी खोलने की तैयारी होने लगी । इस बीच विभूति के पिता कुछ दिनों के लिए पूना आये । बातों बातों में ही विभूति के पिता वे विभूति से कहा अब तुम्हारी उम्र भी हो गई है और तुम स्टेबलीश भी हो गये हो । अत : तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए । विभूति कुछ नहीं बोल पाया वह अभी और किसी समय के इंतजार में था जब वह रेहाना दानिश के संग अपनी शादी की बात बता सके । विभूति के पिता ने कहा मैंने तुम्हारी कुंडली देखी है । तुम्हारा विवाह किसी साफ्ट इंजिनयर लड़की के साथ ही होगी । उसके नाम का पहला अक्षर अगर र से हो और सरनेम का पहला अक्षर द से है तो तुम दोनों की जिंदगी बहुत अच्छे से गुजरेगी । शर्त यह है कि शादी अक्षय  तृतिया के दिन हिंदू रीति से हो । इधर तुम भी समाचार माध्यम या इटरनेट के  माध्यम से सर्च कर सकते है । तुम कहो तो मैं अपनी तरफ से ढूंढने का  प्रयास करूं। उधर रेहाना अपने माता पिता को बता चुकी थी कि उसने अमेरिका ही एक हिंदू लड़के से शादी कर चुकी है । वे भी साफ्ट इंजिनयर हैं और अब हम अपनी कंपनी चालू करने जा रहे हैं । शुरुवात में रेहाना की शादी की बात सुनकर उसके घर वाले नाराज हुए और रेहाना को भला बुरा कहा पर कुछ दिनों बाद हालात और रेहाना के भविष्य को देखते रेहाना को सहमति देते हुए कहने लगे कि बेटी तुम अपना भला बुरा खुद समझती हो । जहाँ हो खुश रहो हमें कोई आपत्ति नहीं है । बस एक सलाह है कि अपने पति व उनके परिवार के साथ रहते हुए हमें भुला न देना । साथ ही अपने संस्कृति , संस्कार , रीति रिवाज़ व पारंपरिक त्यौहारों को भुला न देना । उधर अक्षय तृतीया का दिन आ गया विभूति और रेहाना दानिश एक बार फिर वैवाहिक रस्म की तैयारी में लगे थे । विभूति चाहता था कि उसके पिताजी की बात को रखा जाय ताकि उन्हें ये न लगे कि मेरी बातों को नज़र अंदाज किया जा रहा है । वे दोनों पूना के आर्य समाज के मंदिर जाकर वैदिक रीति से विवाह ( दुबारा ) किया तथा एक महीने पूर्व उन्होंने पूना कलेक्टरेट में भी विवाह का आवेदन दिया था । अत : कलेक्टरेट जाकर भी उन्होंने कुछ फार्मिलीटीस करके विवाह का आफिसियल सर्टीफिकेट प्राप्त कर लिया । फिर वे वापस घर की ओर लौटे तो पता चला । विभूति के पिता अचानक ही पूना आ गये वो भी बिना बताये । दोनों ने हरिनारायण जी से आशीर्वाद लिया । हरिनारायण जी ने कहा जुग जुग जीयो, तुम दोनों की जोड़ी सलामत रहे बच्चों । फिर हरिनारायण जी ने विभूती से बहू का नाम पूछा तो विभूति ने बताया आर डी मिश्रा । यह सुनकर हरि जी ने डांटते हुए कहा पूरा नाम बताओ पता नहीं तुम लोग कहाँ से शार्ट नेम का चलन सीख कर आये हो । तब डरते हुए विभूति ने अपनी पत्नी का पूरा नाम बताइये रेहाना दानिश ये सुनते ही हरिनारायण जी का क्रोध सातवें आसमां पर चढ़ते दिखा। वे गुस्से से कांपने लगे सारा थरथराने लगा फिर 2 मिनटों  बाद वे बेहोश हो गए। उन्हें तुरंत ही पास स्थित पूना हास्पितल में  भर्ती  कराया गया।

( क्रमशः)
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शुभ लाभ ( कहानी )
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हरिनारायण मिश्रा एक पंडित थे। बनारस के रहने वाले थे । उनका छोटा बेटा पढाई करके अमेरिका चला जाता है । वह अपने पिता के कहे अनुसार कब क्या करना है और कब क्या नही करना है को मानते थे । उनके पिता अपने ज्योतिष ज्ञान के अनुसार ही अपने बेटे को निर्देश देते थे। जिसके कारण उनके बेटे के साथ क्या क्या होता है? यह आगे पढने मिलेगा।

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