shabd-logo

डायरी दिनांक २२/११/२०२२

22 नवम्बर 2022

5 बार देखा गया 5

डायरी दिनांक २२/११/२०२२

  सुबह के छह बजकर तीस मिनट हो रहे हैं ।

  मनुष्य किस क्षण कैसे निर्णय ले लेता है और उन निर्णयों को क्रियान्वित भी कर देता है, यह सोचकर ही आश्चर्य होता है। कभी मनुष्य अपनी दयालुता से संसार को चकित कर देता है। वह खुद भूखा रहकर भी किसी दूसरे भूखे को भोजन देता है। अपने शरीर को ढकने बाले एकमात्र वस्त्र किसी अन्य की लज्जा निवारण के लिये दे देता है। तो कभी कभी ऐसे स्वार्थी लोग दिखाई दे जाते हैं जो भरे पेट होने के उपरांत भी किसी दूसरे की थाली का भोजन भी चुराने में परहेज नहीं करते।

  मनुष्य को ईश्वर ने विशेष क्षमताओं से नबाजा है। उन्हीं विशेष क्षमताओं के कारण मनुष्य ने पूरे संसार के सभी जीवों पर अपना बर्चस्व बनाने में सफल रहा है। इसके बाद भी जब मनुष्य निराश होता है, उस समय वह ऐसी हरकतें करने लगता है कि उसे सोचकर ही मन खिन्न होने लगता है।

  मुझे याद है कि उन दिनों लोटरी का कारोबार जमकर चल रहा था। सिरसागंज में हर रोज सुबह सुबह चौराहे पर लोटरी बेची जाती थीं। मजदूर वर्ग के लोग जल्दी धनी बनने की आशा में बड़ी मात्रा में लोटरी खरीदते थे। इससे उन्हें कई बार लाभ होता था तो कई बार हानि भी। वैसे यह नितांत सत्य है कि इस व्यापार में सभी को लाभ नहीं हो सकता है। अनेक लोगों से एकत्रित धन का कुछ भाग कुछ को बांटने के सिद्धांत पर बना कारोबार ज्यादातर को हानि ही देता था। पर इस बार नहीं तो अगली बार का मोह लोगों को लगातार लोटरी खरीदने के लिये प्रेरित करता था।

   ऐसे ही लोटरी खरीदकर शीघ्र धनी बनने की लालसा रखा एक परिवार अति तंगहाली की स्थिति में आ गया। कितनों से उन्होंने ऋण ले लिया था। उधारी देने बाले लोग उन्हें अक्सर धमकी भी देने लगे। फिर एक दिन पूरे परिवार ने आग से जलकर अपनी जान दे दी। बताया जाता है कि सर्वप्रथम उन्होंने भोजन में कुछ नशीली दवा मिलाकर बच्चों को खाना खिला दिया। फिर पति पत्नी ने वह खाना खाया। कमरे में भीतर से सांकड़ लगाकर ताला लगाया तथा चाबी खिड़की से बाहर फेंक दी। कमरे में सभी जगहों पर मिट्टी का तेल डालकर खुद को अग्नि को समर्पित कर दिया। पता तब चला जबकि उनके घर से अपार धूंआ उठने लगा तथा पड़ोसी दरबाजा तोड़ घर के भीतर घुसे।

  कहा जाता है कि जिस समाज में कोई परिवार क्षुधा के कारण आत्महत्या के लिये मजबूर होता है, वह समाज उस हत्या का दोषी माना जाता है। इसके उपरांत भी यदि कोई व्यसनों के कारण तंगहाली में आत्महत्या करने को उद्यत हो, तब समाज किस प्रकार दोषी होगा। क्योंकि कोई भी समाज या उदार हृदय पड़ोसी किसी की क्षुधा ही शांत कर सकता है न कि उसके व्यसन पूरे करने का साधन जुटा सकता है। दिन भर मेहनत करने बालों को दाल रोटी मिल ही जाती है जबकि परिश्रम को तिलांजलि देकर दुर्व्यसनों के माध्यम से धनी बनने की चाह रखने बालों का अंत हमेशा दुखदायी होता है। द्यूतम् छलयतामस्मि। जूए के सभी प्रकार मनुष्य को अकिंचन ही बनाते हैं। राजसूर्य यज्ञ विजेता महाराज युधिष्ठिर हों अथवा चक्रवर्ती नरेश नल, जूए में दोनों ने ही अपार कष्ट भोगे थे। बिना कुछ किये बहुत अधिक लाभ का लोभ ही जूए का आरंभ है। वर्तमान युग में जूए के भेद बहुत ज्यादा हो चुके हैं। जिसमें अनेक अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भी सम्मिलित हैं। अपने नीचे तीन सदस्य बनाओ। हर सदस्य अपने नीचे तीन सदस्य बनाए। आपको हर महीने इतनी राशि मिलने लगेगी, क्या इस तरह की नीतियां जूए का प्रारूप नहीं हैं। निश्चित ही हैं।

अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम ।

16
रचनाएँ
दैनंदिनी नबंबर २०२२
0.0
नबंबर २०२२ की डायरियों का संग्रह
1

डायरी दिनांक १४/११/२०२२

14 नवम्बर 2022
1
0
1

डायरी दिनांक १४/११/२०२२ शाम के छह बजकर तीस मिनट हो रहे हैं । यदि यादों की बातों को लिपिबद्ध करना हो तब क्या सभी बातों को सही सही लिखा जा सकता है। समय के साथ बहुत सी बातें दिमाग से

2

डायरी दिनांक १५/११/२०२२

15 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक १५/११/२०२२ रात के आठ बज रहे हैं। आज का दिन कुछ परेशानियों से भरा रहा। हालांकि जब गहराई से विचार करता हूं तब पाता हूँ कि सारे दिन ही कुछ इसी तरह के रहते हैं। जब मन की ब

3

डायरी दिनांक १६/११/२०२२

16 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक १६/११/२०२२ सुबह के सात बजकर पचास मिनट हो रहे हैं । कल दिनांक १५/११/२०२२ की मेरी डायरी पढकर मेरे बहुत से सहलेखक मित्रों और बहनों ने चिंता व्यक्त की। सभी को लग रहा था कि मैं ब

4

डायरी दिनांक १७/११/२०२२

17 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक १७/११/२०२२ सुबह के सात बज रहे हैं। मुझे ध्यान है कि जब बाबूजी ने सिरसागंज में मकान बनबाना आरंभ किया था, उस समय वहां की गली कच्ची थी। आस पास ज्यादातर घर या तो कच्चे थे अथवा आ

5

डायरी दिनांक १८/११/२०२२

18 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक १८/११/२०२२ दोपहर के तीन बज रहे हैं। पुराने संस्मरणों के विवरण में मैंने कल अपने उन पड़ोसियों के विषय में बताया था जिनसे मेरा परिचय ठीक उस समय हुआ था जबकि बाबूजी मकान बनबा रह

6

डायरी दिनांक १९/११/२०२२

19 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक १९/११/२०२२ सुबह के सात बजकर पांच मिनट हो रहे हैं । कल मैंने बताया था कि रूपा का विवाह होने के उपरांत घर में साफ सफाई और खाना आदि घरेलू काम करने की जिम्मेदारी उसके पिता को उठ

7

डायरी दिनांक २१/११/२०२२

21 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक २१/११/२०२२ दोपहर के तीन बजकर तीस मिनट हो रहे हैं । रूपा की कथा को सुनकर किसी का भी विचलित हो जाना सामान्य ही है। साथ ही साथ इस कथानक में एक ममतारहित माता पिता के चरित्र की अ

8

डायरी दिनांक २२/११/२०२२

22 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक २२/११/२०२२ सुबह के छह बजकर तीस मिनट हो रहे हैं । मनुष्य किस क्षण कैसे निर्णय ले लेता है और उन निर्णयों को क्रियान्वित भी कर देता है, यह सोचकर ही आश्चर्य होता है। कभी मनुष्य

9

डायरी दिनांक २३/११/२०२२

23 नवम्बर 2022
0
1
0

डायरी दिनांक २३/११/२०२२ शाम के छह बजकर तीस मिनट हो रहे हैं । आज दिन भर व्यस्तता रही तथा कल के निर्धारित के अनुसार भी कल भी व्यस्तता रहेगी। पुरानी कथाओं में ऐसी पतिव्रता स्त्रियों

10

डायरी दिनांक २४/११/२०२२

24 नवम्बर 2022
0
1
0

डायरी दिनांक २४/११/२०२२ रात के आठ बजकर तीस मिनट हो रहे हैं । सच बोलने बाले को हमेशा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जबकि चिकनी चुपड़ी सुनाने बालों को बड़ा आराम मिलता है। यह कोई आज की स

11

डायरी दिनांक २५/११/२०२२

25 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक २५/११/२०२२ शाम के छह बजकर बीस मिनट हो रहे हैं । कल की डायरी में बिटोला दाई के विषय में बताया था। भारतीय समाज में आज कल ऊंच नीच की बातें बहुत कम रह गयी हैं। पर मेरे बचपन के समय

12

डायरी दिनांक २६/११/२०२२

26 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक २६/११/२०२२ रात के आठ बज रहे हैं। महाभारत की कथा में जिस पात्र की सबसे अधिक चर्चा होती रही है, वह कुंती का ज्येष्ठ पुत्र कर्ण है। कर्ण जो स्वयं एक देव पिता और क्षत्रिय माता क

13

डायरी दिनांक २७/११/२०२२

27 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक २७/११/२०२२ शाम के तीन बजकर पचपन मिनट हो रहे हैं । आज अल्ट्रासाउंड कराया तो पाया कि किडनी में फिर से पथरी बन रही है। शायद यह एक बड़ी प्रक्रिया है। अथवा एक बार पथरी बनने लगे त

14

डायरी दिनांक २८/११/२०२२

28 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक २८/११/२०२२ शाम के छह बजकर पच्चीस मिनट हो रहे हैं । कल बेसाब ताऊजी के बारे में लिखना आरंभ किया था। आरंभ में तो ताऊजी कितने ही साल सिरसागंज के मकान में रहे। इस बीच उन्हो

15

डायरी दिनांक २९/११/२०२२

29 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक २९/११/२०२२ शाम के पांच बजकर पैंतीस मिनट हो रहे हैं । कल बेसाब ताऊ जी की जिन बातों से डायरी का समापन किया था, उसके आगे की बातें आज लिख रहा हूँ। उस समय तक मेरी आयु इतनी हो

16

डायरी दिनांक ३०/११/२०२२

30 नवम्बर 2022
0
1
0

डायरी दिनांक ३०/११/२०२२ शाम के सात बजकर पैंतीस मिनट हो रहे हैं । कुछ दिनों से मैं पुराने संस्मरणों को लिख रहा हूँ। जिस क्रम में मैं अपने अड़ोसी पड़ोसियों की गाथा लिख रहा हूँ। इस क्रम में

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए