shabd-logo

डायरी दिनांक ३०/११/२०२२

30 नवम्बर 2022

6 बार देखा गया 6

डायरी दिनांक ३०/११/२०२२

  शाम के सात बजकर पैंतीस मिनट हो रहे हैं ।

  कुछ दिनों से मैं पुराने संस्मरणों को लिख रहा हूँ। जिस क्रम में मैं अपने अड़ोसी पड़ोसियों की गाथा लिख रहा हूँ। इस क्रम में मैं बेसाब ताऊजी के बारे में लिख रहा था। इसी संदर्भ में मेरी एक साहित्यिक बहन ने सलाह दी कि ऐसी सच्ची कहानियों को इस तरह संस्मरण के रूप में लिखना उचित नहीं है। अपितु बेसाब ताऊजी की गाथा को कुछ कल्पना से सजाकर कहानी रूप में लिखना उचित रहेगा।

  कहानी और संस्मरण विधा में बहुत अंतर होता है। कहानी के लिये भी कहानीकार अपने आसपास की घटनाओं से प्रेरणा ले सकता है। पर कहानी लिखते समय कितने ही कथन, दृश्य, संवाद आदि अपनी कल्पना से लिखता है। जबकि संस्मरण विधा में अपनी पुरानी यादों को अपने मन के विश्वास के आधार पर निष्पक्ष भाव से लिखा जाता है।

  वास्तव में बेसाब ताऊजी की कहानी संस्मरण विधा के रूप में लिखने की तुलना में अधिक व्यापक सामग्री है। इसलिये बेसाब ताऊजी के विषय में जितना लिख दिया, उतना ही पर्याप्त है। भविष्य में काल्पनिक नाम, काल्पनिक स्थान, काल्पनिक परिवेश का आश्रय लेकर तथा अपनी कल्पना से भी कुछ न कुछ जोड़कर इस कथानक पर एक उपन्यास लिखने का प्रयास करूँगा।

  संस्मरणों के फेर में एक अंटी जी की तस्वीर दिखाई दे रही है। उनकी प्रमुख विशेषता अति थी। वह अति की मोटी थीं। अति की बोलने बालीं थी। अति की लड़ाक थीं। अति का स्नेह करने बाली थीं। अति की भ्रमणशील थीं।

  अंटी जी का जिस महिला से झगड़ा हो जाता, दो दिन बाद उसी महिला को खुद मनाने जातीं थीं। उनका पेट संवाद था - अब बहना। रह यहां रहे हैं तो लड़ने कहीं बाहर तो नहीं जायेंगें।

  कमान से निकला तीर कभी वापस नहीं आता। उसी तरह मुख से निकला शव्द भी वापस नहीं आता। पर वह अंटी जी यही समझती थीं कि मुंह से निकला शव्द भी वापस आ जाता है।

  एक बार नगरपालिका के चुनाव में उनके पूरे परिवार ने एक महिला प्रत्याशी का पूरा सपोर्ट किया। उनके परिवार के सभी सदस्यों ने उनके प्रचार प्रसार में ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया। अंटी जी ने तो महिला प्रत्याशी के संकट निवारण के लिये संकटिया नाम से प्रसिद्ध व्रत भी रखा। कुल मिलाकर उन महिला प्रत्याशी को विजय प्राप्त हुई।

  अक्सर जीतने के बाद नेता अपने जीत के कारण को भूल जाते हैं। वह नेती भी इस बात से अपवाद नहीं थीं। जीतने के बाद वह प्रभावशाली लोगों से तो मिलने आयीं पर उनसे मिलने नहीं गयीं। गुस्से में अंटी जी ने बहुत से लोगों के मध्य उन नेती को बहुत सुनाया।

अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम ।

16
रचनाएँ
दैनंदिनी नबंबर २०२२
0.0
नबंबर २०२२ की डायरियों का संग्रह
1

डायरी दिनांक १४/११/२०२२

14 नवम्बर 2022
1
0
1

डायरी दिनांक १४/११/२०२२ शाम के छह बजकर तीस मिनट हो रहे हैं । यदि यादों की बातों को लिपिबद्ध करना हो तब क्या सभी बातों को सही सही लिखा जा सकता है। समय के साथ बहुत सी बातें दिमाग से

2

डायरी दिनांक १५/११/२०२२

15 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक १५/११/२०२२ रात के आठ बज रहे हैं। आज का दिन कुछ परेशानियों से भरा रहा। हालांकि जब गहराई से विचार करता हूं तब पाता हूँ कि सारे दिन ही कुछ इसी तरह के रहते हैं। जब मन की ब

3

डायरी दिनांक १६/११/२०२२

16 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक १६/११/२०२२ सुबह के सात बजकर पचास मिनट हो रहे हैं । कल दिनांक १५/११/२०२२ की मेरी डायरी पढकर मेरे बहुत से सहलेखक मित्रों और बहनों ने चिंता व्यक्त की। सभी को लग रहा था कि मैं ब

4

डायरी दिनांक १७/११/२०२२

17 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक १७/११/२०२२ सुबह के सात बज रहे हैं। मुझे ध्यान है कि जब बाबूजी ने सिरसागंज में मकान बनबाना आरंभ किया था, उस समय वहां की गली कच्ची थी। आस पास ज्यादातर घर या तो कच्चे थे अथवा आ

5

डायरी दिनांक १८/११/२०२२

18 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक १८/११/२०२२ दोपहर के तीन बज रहे हैं। पुराने संस्मरणों के विवरण में मैंने कल अपने उन पड़ोसियों के विषय में बताया था जिनसे मेरा परिचय ठीक उस समय हुआ था जबकि बाबूजी मकान बनबा रह

6

डायरी दिनांक १९/११/२०२२

19 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक १९/११/२०२२ सुबह के सात बजकर पांच मिनट हो रहे हैं । कल मैंने बताया था कि रूपा का विवाह होने के उपरांत घर में साफ सफाई और खाना आदि घरेलू काम करने की जिम्मेदारी उसके पिता को उठ

7

डायरी दिनांक २१/११/२०२२

21 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक २१/११/२०२२ दोपहर के तीन बजकर तीस मिनट हो रहे हैं । रूपा की कथा को सुनकर किसी का भी विचलित हो जाना सामान्य ही है। साथ ही साथ इस कथानक में एक ममतारहित माता पिता के चरित्र की अ

8

डायरी दिनांक २२/११/२०२२

22 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक २२/११/२०२२ सुबह के छह बजकर तीस मिनट हो रहे हैं । मनुष्य किस क्षण कैसे निर्णय ले लेता है और उन निर्णयों को क्रियान्वित भी कर देता है, यह सोचकर ही आश्चर्य होता है। कभी मनुष्य

9

डायरी दिनांक २३/११/२०२२

23 नवम्बर 2022
0
1
0

डायरी दिनांक २३/११/२०२२ शाम के छह बजकर तीस मिनट हो रहे हैं । आज दिन भर व्यस्तता रही तथा कल के निर्धारित के अनुसार भी कल भी व्यस्तता रहेगी। पुरानी कथाओं में ऐसी पतिव्रता स्त्रियों

10

डायरी दिनांक २४/११/२०२२

24 नवम्बर 2022
0
1
0

डायरी दिनांक २४/११/२०२२ रात के आठ बजकर तीस मिनट हो रहे हैं । सच बोलने बाले को हमेशा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जबकि चिकनी चुपड़ी सुनाने बालों को बड़ा आराम मिलता है। यह कोई आज की स

11

डायरी दिनांक २५/११/२०२२

25 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक २५/११/२०२२ शाम के छह बजकर बीस मिनट हो रहे हैं । कल की डायरी में बिटोला दाई के विषय में बताया था। भारतीय समाज में आज कल ऊंच नीच की बातें बहुत कम रह गयी हैं। पर मेरे बचपन के समय

12

डायरी दिनांक २६/११/२०२२

26 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक २६/११/२०२२ रात के आठ बज रहे हैं। महाभारत की कथा में जिस पात्र की सबसे अधिक चर्चा होती रही है, वह कुंती का ज्येष्ठ पुत्र कर्ण है। कर्ण जो स्वयं एक देव पिता और क्षत्रिय माता क

13

डायरी दिनांक २७/११/२०२२

27 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक २७/११/२०२२ शाम के तीन बजकर पचपन मिनट हो रहे हैं । आज अल्ट्रासाउंड कराया तो पाया कि किडनी में फिर से पथरी बन रही है। शायद यह एक बड़ी प्रक्रिया है। अथवा एक बार पथरी बनने लगे त

14

डायरी दिनांक २८/११/२०२२

28 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक २८/११/२०२२ शाम के छह बजकर पच्चीस मिनट हो रहे हैं । कल बेसाब ताऊजी के बारे में लिखना आरंभ किया था। आरंभ में तो ताऊजी कितने ही साल सिरसागंज के मकान में रहे। इस बीच उन्हो

15

डायरी दिनांक २९/११/२०२२

29 नवम्बर 2022
0
0
0

डायरी दिनांक २९/११/२०२२ शाम के पांच बजकर पैंतीस मिनट हो रहे हैं । कल बेसाब ताऊ जी की जिन बातों से डायरी का समापन किया था, उसके आगे की बातें आज लिख रहा हूँ। उस समय तक मेरी आयु इतनी हो

16

डायरी दिनांक ३०/११/२०२२

30 नवम्बर 2022
0
1
0

डायरी दिनांक ३०/११/२०२२ शाम के सात बजकर पैंतीस मिनट हो रहे हैं । कुछ दिनों से मैं पुराने संस्मरणों को लिख रहा हूँ। जिस क्रम में मैं अपने अड़ोसी पड़ोसियों की गाथा लिख रहा हूँ। इस क्रम में

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए