डायरी दिनांक २४/११/२०२२
रात के आठ बजकर तीस मिनट हो रहे हैं ।
सच बोलने बाले को हमेशा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जबकि चिकनी चुपड़ी सुनाने बालों को बड़ा आराम मिलता है। यह कोई आज की स्थिति नहीं है। अपितु शायद युगों से चापलूसों की महिमा रही है। ऐसे कितने ही उदाहरण हैं जबकि महान लोग भी चापलूसों के षड्यंत्र का शिकार हुए।
श्री राम चरित मानस में राजा भानुप्रताप की कथा है। परम प्रतापी राजा भानुप्रताप एक चापलूस और छद्मी सन्यासी के कारण पतन को प्राप्त हुआ था।
आज का दिन कुछ थकान और कठिनाइयों के साथ साथ पुराने मित्रों से मिलन का रहा जबकि मेरे कार्यक्षेत्र के कितने ही पुराने मित्रों से मिलना हुआ। उन मित्रों के साथ मेरी बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं।
बचपन में हमारे मौहल्ले के पास एक स्वपच जाति की स्त्री रहती थी जो कि सरकारी अस्पताल में दाई थी।उनका नाम बिटोला था। शायद बिटोला उनका सही नाम न था। उन दिनों दाई और नर्सें बहुत बड़ी अहमियत रखती थीं। अधिकांश महिलाओं के जापे उनके घरों में दाइयों द्वारा ही होते थे। अनुभव के आधार पर दाइयां अपने काम में बड़ी कुशल भी होती थीं। उस समय के छूआछूत बाले समाज में भी दाइयों का काफी सम्मान था।
निर्धनों का धन के लोभ में बहक जाना कोई बड़ी बात नहीं है जबकि धन के लोभ में कितने ही धनी बहकते देखे गये हैं। बिटोला की धनोपार्जन के काम में पूरी धर्म बुद्धि की आशा नहीं रख सकते। फिर उसके द्वारा मना करने का भी परिणाम कोई अच्छा होने की संभावना न थी।
बिटोला के जीवन के कुछ सुने अनसुने रहस्य कल की डायरी में बताऊंगा।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम ।