सेठ हर्षवर्धन सिंह राठौर की कोठी जहां बर्थडे की शानदार पार्टी चल रही थी ।दूसरी तरफ सेठ हर्षवर्धन सिंह भले ही 50 पार कर चुके थे, परंतु मजे की बात यह थी कि इस उम्र में भी कनपटीयों के चंद वालों को छोड़कर उनके सिर का अन्य एक भी बाल सफेद नहीं था ।और कनपटीयों के वे चंद बाल भी उनके व्यक्तित्व को और आकर्षक एवं प्रभावशाली बना रहे थे ।
सुर्ख - सफेद चेहरा उनकी चौड़ी पेशानी पर एक अनोखा तेज झलकता था । ऐसा तेज कि सामने मौजूद इंसान का सिर बरबस ही उनके सामने श्रद्धा से झुक जाए । करोड़ों की संपत्ति के मालिक सेठ हर्षवर्धन में अहंकार का नामो -निशान तक नहीं था ।

उस पूरे हॉल को किसी नई नवेली दुल्हन की तरह सजाया गया था ।वहां गेस्ट के रुप में शहर के ढेरों गणमान्य व्यक्तियों के अलावा सेठ हर्षवर्धन सिंह के मित्र तथा सगे संबंधी भी मौजूद थे ।
हर तरफ खुशी बिखरी हुई थी ।
पूरा हॉल हंसी ठहाको से गुज रहा था ।
जाम पर जाम टकराए जा रहे थे ।
ड्रेस पहने वेटर हाथों में ट्रे संभाले गेस्ट को ड्रिंक्स सर्व कर रहे थे ।
और यह पार्टी सेठ हर्षवर्धन सिंह राठौर की बेटी यानी सान्वी की 22वीं बर्थडे की चल रही थी ।
" इनसे मिलो अमर । "हर्षवर्धन अपने एक दोस्त से अपने बेटे का परिचय कराते हुए कह रहे थे यह है हमारा बड़ा बेटा "क्षितिज सिंह राठौर " और क्षितिज , यह है हमारे सबसे अच्छे दोस्त और बिजनेस पार्टनर " अमर सिंह कौशिक " इतना सुनते ही क्षितिज ने झुककर मिस्टर कौशिक का पैर छूकर प्रणाम किया ।तो वही मिस्टर अमर भी बड़े प्यार से क्षितिज के सर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देते है और मुस्कुराते हुए कहते है खुश रहो बेटा जल्दी से मेरी एक बहु लाओ ।
एक्चुअली हर्षवर्धन के फैमिली में कुल 4 मेंबर्स थे । वो खुद और उनका बड़ा बेटा क्षितिज , छोटा बेटा भविष्य सिंह राठौर 'और सबसे छोटी बेटी सानवी सिंह राठौर ।
एक्चुअलीउनकी पत्नी अनन्या तकरीबन 10 साल पहले स्वर्ग सिधार चुकी थी ।
क्षितिज ने आज गोल्डन कलर का सूट पहन रखा था और उसमें काफी डैशिंग दिख रहा था ।तभी वहां सान्वी आती है और बोलती है ।
" ओह ! "
" केक काटने का वक्त हो गया भाई और तुम यहां खड़े हो ? "दिस इज नॉट फेयर ..
हवा के झोका बनी सनी क्षितिज के करीब पहुंचकर शिकायत भरे लहजे में बोली ।
बट गोरे - चिट्ठे एवं चमकीले आंखों वाले । क्षितिज ने तो सान्वी की आवाज सुने ही नहीं थे ।
वह तो कहीं और ही खोया हुआ था । इस समय वह किसी स्टैचू की तरह खड़ा थोड़े फैसले पर खड़ी उस लड़की को देख रहा था ।

एकटक ! अपलक !
वह लगभग सान्वी कि हम उम्र की एक निहायत ही खूबसूरत लड़की थी ।गोरा रंग ,बड़ी बड़ी आंखें ,गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठ और कमर तक फैले घटाओ जैसे काले और लंबे बाल ।एक बार उसे कोई देख ले तो उसका दीवाना हो जाए ।उसने साधारण सी फ्रॉक सूट पहन रखी थी और वह अपने गोरे - गोरे पैरों में सस्ती सी सैंडल पहने हुए थी । और बैकग्राउंड में यह सॉन्ग चल रहा था ।

तेरी यादों में मैं तो सो रहा
तेरे ख्वाबों के सपने बुन रहा
तस्वीर पे मै तेरी
हद से ज्यादा फिदा हूँ ..
आईने में हर घड़ी ,
बस तू ही दिख रही है ,
जान ए क्या हो गया
ना मुझको अब खबर है
जान है तु मेरी ना तुझको ये पता है
प्यार हो ही गया इश्क कर ही लिया
मै तो तेरे बिना एक पल ना जिया
मोहब्बत मेरी तू मगर क्यों जाने ही नहीं
प्यार है तू मेरा मगर जाने ही नहीं
इश्क है तू मेरा पहचाने क्यों नहीं
वह मेहमानों से अलग एक तरफ कोने में सिमटी हुई थी खड़ी थी ।बीच-बीच में वह अपनी बड़ी-बड़ी पलके उठा कर सहमी नजरों से अपने आसपास देख लेती थी ।
परंतु उसे इस बात की भनक तक नहीं थी कि क्षितिज उसे काफी देर से देख रहा है ।
इधर क्षितिज को कोई जवाब ना दे देते देख सान्वी ने उसका कंधा पकड़ कर रखते हुए बोलती है -
"ए जनाब ! कहां खो गए हो ? "
" अ .... अ ....! "क्षितिज इस तरह से चौका मानो अभी अभी सो कर जगा हो ।फिर खुद को संभालने की कोशिश करते हुए उसने सान्वी से पूछा - " क्या बात है सान्वी ? "
सान्वी मुस्कुराते हुए " मैं अर्ज कर रही हूं हुजूर की के काटने का वक्त हो गया है मगर आप जाने का खोए हुए हैं ? "
क्षितिज घबराते हुए - क ... कहीं नहीं ! कहीं नहीं ! बस ऐसे ही कुछ सोच रहा था ।
ओ ....अच्छा फिर ठीक है नहीं बताना मत बताओ , कोई बात नहीं ,पर अभी जल्दी से चलो उसने क्षितिज का हाथ पकड़ते हुए कहा ।और यह महान काम बाद में कर लेना । पहले मेरे साथ आओ , गेस्ट हमारा वेट कर रहे हैं ।
ना चाहते हुए भी क्षितिज उसके साथ चल पड़ा ,लेकिन इस समय भी उसके दिलो-दिमाग पर वही लड़की कब्जा जमाए हुए थी , वह बीच-बीच में कनखियों से उसे देख लेता था ।
फिर जब उससे नहीं रहा गया तो वह सान्वी से पूछ बैठा - "यह लड़की कौन है सान्वी ? "
"आप किस लड़की के बारे में पूछ रहे हो भाई ? "
"यहां तो मेरी बहुत सी फ्रेंड्स है ?"
" वो जो सामने सिमटी सी सिकुड़ी सी खड़ी है ?"
क्षितिज ने उस लड़की की तरफ इंडिकेट करते हुए कहा।
"अच्छा .. तो तुम उसकी बात कर रहे हो सान्वी बोली - " कमाल है !अगर वह तुम्हारी फ्रेंड है तो तुमने उसे इस तरह सबसे अलग क्यों खड़ा कर रखा है ? "
"एक्चुअली भाई वह बहुत शर्मीली किस्म की लड़की है "
सान्वी ने क्षितिज को बताया - "बेचारी एक गरीब परिवार से बिलॉन्ग करती है ,आज तक कभी इतनी बड़ी पार्टी में नहीं गई तो यहां की चमक दमक देखकर घबरा रही है । यह तो पार्टी में आने से भी झिझक रही थी बड़ी मुश्किल से इसे आने के लिए तैयार कर सकी हूं ।वैसे समृद्धि गरीब जरूर है भाई लेकिन दिल की बहुत अमीर है बड़ी प्यारी प्यारी बातें करती है ।
क्षितिज - मुझे अपनी फ्रेंड से नहीं मिलोगी ?सान्वी की गुलाबी होंठ पर एक रहस्यमई मुस्कान दौड़ गई । उसने कहा - "इरादे तो नेक है भाई ?"
"मतलब ! "क्षितिज ने जानबूझकर अनजान बनते हुए पूछा । "तुम कोई बच्चे नहीं हो ,जो तुम्हें मतलब भी समझाना पड़े । "सान्वी की मुस्कान गहरी हो गई -क्या यह झूठ है कि अभी -अभी जनाब जो स्टेचू बनने की प्रैक्टिस कर रहे थे उसकी वजह समृद्धि थी ।ये क्यों नहीं कहते कि तुम उसे देखते ही उस पर लट्टू हो गए हो ।
"लगता है कि तुम मेरी बात का गलत अर्थ लगा बैठी हो सान्वी " ।क्षितिज सीरियस होने की एक्टिंग करता हुआ बोला - "सुनो ,कोई भी लड़की तुम्हारे भैया को इतनी जल्दी इंप्रेस नहीं कर सकती ।खैर , अब मुझे उससे नहीं मिलना । वह तुम्हारी सहेली है । भला मुझे उससे क्या लेना ?चलो ,केक काटो । "
" अच्छा बाबा , मैं तुम्हारा दिल नहीं तोडूंगी चलो , पहले मैं तुम्हें उस से मिलवा देती हूं । " सान्वी उसका हाथ थामे मैं समृद्धि की तरफ बढ़ी ।
" रहने दो सान्वी । तुम्हें केक काटने के लिए लेट हो रही है । "क्षितिज ने झूठा प्रतिरोध किया ।
"अब लड़कियों की तरह नखरे दिखाना छोड़ो और चुपचाप मेरे साथ चलो । "
फिर क्षितिज कुछ नहीं बोला ।चुपचाप सान्वी के साथ खींचता चला गया परंतु उसका दिल अजीब सी गुड़गुड़ाहट से भर उठा था ।
एक पल बाद ,सान्वी समृद्धि के करीब पहुंचकर बोली - "समृद्धि ।"
समृद्धि चौकी ।फिर क्षितिज पर एक सरसरी नजर डालते हुए उसने धीमे स्वर में कहा - " तुम कहां चली गई थी सान्वी ? मैं काफी देर से तुम्हें ढूंढ रही हूं । "
क्षितिज को ऐसा प्रतीत हुआ मानो उसके कानों के करीब किसी मंदिर की नन्ही नन्ही घंटियां टन टना उठी हो ।
समृद्धि का स्वर इतना ही मधुर था ।
उधर सान्वी कह रही थी - "तुम्हारी शिकायत तो मैं बाद में सुनूंगी ।पहले इनसे मिलो ।यह मेरे भैया क्षितिज हैं । "
" न ... नमस्ते । "समृद्धि ने दोनों हाथ जोड़ दिए ।
" बट क्षितिज की बोलने की ताकत ना जाने कहां चली गई थी ।वह मुक सा समृद्धि को देखे जा रहा था ।तभी सानवी उसे कोहनी मारी क्यों भाई ?अभी तो तुम समृद्धि से मिलने के लिए बहुत बेचैन थे ,और अब जब सामने पहुंचे तो अपने होठ सील लिए ?अरे वाह दिस इज नॉट फेयर अरे भाई अब तो कुछ बोलो या यूं ही खड़े-खड़े स्टैचू बने मेरी फ्रेंड को देखते रहोगे ?
क्षितिज ने हड़बड़ा कर समृद्धि के चेहरे से अपनी नजरें हटा ली ।
लेकिन सानवी की बात सुनकर समृद्धि के चेहरा शर्म से लाल हो गया था । पूरे जिस्म में एक अजीब सी सिहरन दौड़ती चली गई थी ।
उसी वक्त क्षितिज ने खुद को नार्मल करते हुए समृद्धि से कहा - "अ ...आप यहां अकेली क्यों खड़ी हैं ? यहां आइए , केक कटने वाला है । "
"ज .. जी .. ,मैं यही ठीक हूं । "
"अरे यार ! ,जब भाई कह रहे हैं तो चलो ना
समृद्धि । "
"न ... नहीं ! इट्स ओके ! वैसे भी हमें देर हो रही है सान्वी ,अब मुझे जाने दो । "
"नॉट अट ऑल , हम आपको ऐसे नहीं जाने देंगे समृद्धि ।आप सान्वी का बर्थडे केक और डिनर करके ही यहां से जाएंगी ।इससे पहले यहां से जाने का बात भी मत करिएगा ।यू गोट माय पॉइंट ।
समृद्धि ने कुछ बोलना चाहा ।
बट उससे पहले सान्वी ने बोला - "भाई ठीक कह रहे हैं समृद्धि । तुम हमारे साथ डिनर करके ही जाओगी ।नो ...स्क्यूज "
समृद्धि सर झुका कर बोली - "मेरी बात समझने की कोशिश करो सान्वी। अगर मैं यहां डिनर के लिए रुक गई ।तो घर पहुंचने में बहुत लेट हो जाउंगी और मम्मी का तो टेंशनके मारे बुरा हाल हो जाएगा । "सो आई वांट टू गो "
" नो यू वांट हैव एनी स्क्यूज दिस टाइम समृद्धि ! "
क्षितिज ने कहा - " रही बात आपके घर पहुंचने कि so leave that worry on us . I will see . "
और आप इसे अपना ही घर समझे किसी गैर का नही और अपने घर में तो लोग बिंदास होकर रहते हैं , तो आप ही बिंदास होकर रहो ।यू स्टेचू बन के खड़ी है तब से थोड़ा स्माइल स्माइल करिए चेहरे की रौनक और भी बढ़ जाएगी आपकी ।क्षितिज ने इस बात से थोड़ा जोर देकर कहा था ।
समृधि ने झटके से चेहरा उठाया फिर क्षितिज पर नजर पड़ते ही उसे अपने अंदर कुछ पिघलता हुआ महसूस हुआ ।दिल की धड़कने पहले से तेज चलने लगी । वह चाह कर भी कुछ पलों तक उसके चेहरे से अपनी नजर नहीं हटा सकी थी । क्षितिज की आंखों में कुछ ऐसी कशिश थी ।
"कुछ यूं हुआ समृद्धि के साथ "
आपकी नजरों ने मेरी नजर से नजरे जो मिलाई ।
तो मै नजरें झपकाना भूल गई ॥
आपके दिल ने मेरे दिल की बातें सुनी ।
तो मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गई ॥
आपके इश्क ने मुझे बहकाया ।
और मैं बहकती चली गई ॥
ये नादान दिल नादानियां करता चला गया ।
और इस दिल को पता तक ना चला ॥
गजब की कशिश है इन आंखों में ।
इसने मुझे डूबाया और मैं डूबती चली गई ॥
तभी सनी की नजर समृद्धि के हाथ पर पड़ी ,जो उसने पीछे किए हुए खड़ी थी ।उसने इस बात को गेस करने में 1 सेकेंड भी नहीं लगाया कि वह जरूर अपने हाथ में कुछ उपाये खड़ी है ।
फिर सामने मैंने पूछा - " तुमने अपने हाथ में पीछे क्या छुपा रखा है समृधि ? "
" क ... कुछ नहीं क ... कुछ भी तो नहीं । " समृधि बुरी तरह हड़बड़ाकर बोली ।
"तुम्हारी यह घबराहट बता रही है कि तुम पीछे जरूर कुछ छुपाई हो । दिखाओ , क्या है ? "
क्रमशः ...........✍🏻