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रिश्तों का सच ( कहानी अंतिम क़िश्त)

1 अप्रैल 2022

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( रिश्तों का सच)   कहानी अंतिम क़िश्त 

( अब तक -- शंकर अग्रवाल के नेहरु नगर वाले घर में  कुछ दिनों पहले डकैती पड़ी  थी। जिसका पता नहीं  चल पाया था। पर शंकर जी को लगता था चार डकैतों ने जब डकैती डाली थी तब उनके बीच  कुछ संवाद भी हुआ था । उनमें से एक आवाज उसके भतीजे की गणेश की आवाज जैसी हुबहू थी।) आगे

कुछ दिनों बाद  शंकर अग्रवाल ने भिलाई में काम करने वाली एक संस्था “ स्पाय सर्विस “ वालों को फोनकर उनकी सेवाएं लेने की इच्छा जताई । उन्हें अपने भतीजे के बारे में कुछ जानकारियां एकत्रित करने की ज़िम्मेदारी सौंपी ।
दस दिनों में स्पाय- सर्विस वालों ने अपनी रिपोर्ट शंकर जी को सौंप दी । जिसमें लिखा था कि गणेश का काम ठीक ठाक चल रहा है । गुन्डे, मवालियों से उसका दूर दूर से वास्ता नहीं है । वह अपने काम से काम रखता है । अपने व्यापारिक दायरे में उसे एक अच्छा इंसान माना जाता है । वह अपने वादों पर खरा उतरनेवाला एक सच्चा व्यापारी माना जाता है । उसके सर पर दो पैसों का भी कोई आर्थिक संकट नहीं है । हां एक बात विशेष हमारे संग्यान में आया कि वह शाम को रिसाली सेक्टर स्थित कृष्णा टाकिज के पस एक घर में नियमित रुप से जाता है । जहां वह लगभग आधा घंटा बैठकर वापस लौटता है । उस घर में जो परिवार रहता है , उसमें एक महिला है जिसकी उम्र लगभग 40 से 45 साल के बीच की होगी और एक लड़का है जिसकी उम्र 20/22 की होगी । रिश्ते में वे दोनों मां बेटे हैं। रिपोर्ट पढकर शंकर जी आश्वस्त हुए कि चलो मेरा यह सोचना गलत निकला कि मेरा भतीजा किसी उल्टे सीधे कामों में सलंग्न तो नहीं है । शंकर जी ने ‘ स्पाय” वालों को अपने भतीजे गणेश पर 15 दिनों तक और नज़र रखने हेतु कान्ट्रेक्ट दिया ।  15 दिनों बाद शंकर जी के पास फिर “ स्पाय” वालों की रिपोर्ट आयी । जिसमें लिखा था कि आजकल गणेश रोज़ रात्री 8 बजे पावरहाउस स्थित सांई नर्सिंग होम जाता है । वहां लगभग 1 घंटा रुकने के बाद वापस लौटता है । वहां किसी लेडी का कुछ आपरेशन हुआ है । उन्हीं के सेवा में लगा रहता है । उनकी दिनचर्या में और कुछ खास बताने लायक कुछ भी नया नहीं है । हालाकि स्पाय संस्था की रिपोर्ट में कुछ खास बातों का उल्लेख नहीं था पर शंकर जी को गणेश की यह बात पच नहीं रही थी कि आखिर वह सांई नर्सिंग होम में आखिर किस महीला की सेवा  हेतु जाता है । गणेश आज 26 बरस का हो चुका है पर अभी वह कुंवारा है। उसमें एक अच्छाई ज़रूर है कि वह अग्रवाल समाज के विभिन्न कार्यक्रमों में बढ चढकर हिस्सा लेता है । अग्रसेन जयंती के समय वह अपना पूरा समय समाज को देता था । इसी कारण समाज में उसकी एक शाख भी है साथ ही सामाज के लोग उसकी सामाजिक प्रतिबद्धता को देखकर उसकी तारीफ़ करते अघाते नहीं थे ।

समय के साथ नंदनी और शंकर ने सोचना प्रारंभ किया कि जब उन्हें पुत्र या पुत्री धन की प्राप्ति सामान्य तरीके से हो ही नहीं सकती तो क्यूं न कोई बच्चा गोद ले लिया जाय । दोनों ने मन बना लिया था कि बच्चे को जल्द से जल्द गोद लिया जाय ।
रविवार की सुहानी सुबह थी नंदनी और शंकर जी घर के लान में बैठे थे और इधर उधर की बातें कर रहे थे ।
 इतने में एक सुन्दर सा जवान लड़का घर के गेट के पास आया और शंकर जी से मिलने की इच्छा ज़ाहिर किया । उस लड़के ने अपना नाम बताया गजेन्द्र और बताया कि वह रिसाली में रहता है । तब दरबान ने शंकर से पूछ कर उसे घर के अंदर आने को कहा । वह शंकर जी के पास आकर उन्हें प्रणाम किया और उनके कहने से सामने की कुर्सी पर बैठ गया । शंकर जी से उसकी बहुत सारी बातें हुईं  । अंत में गजेन्द्र ने शंकर जी को एक थैला देते हुए कहा कि इसे आपके भतीजे गणेश जी ने आप तक पहुंचाने कहा है । इसके बाद गजेन्द्र, शंकर जी से आज्ञा लेकर  वहां से चला गया । 
गजेन्द्र के जाने के बाद जब शंकर जी ने थैला खोला तो पाया उस थैले के अंदर नोटों का बंदल हैं । साथ ही उसके अंदर एक चिट्ठी भी थी । नोटों की उन्होंने गिनती की तो पाया कि पूरे पांच लाख रुपिए हैं । उन्हें आश्चर्य हुआ आखिर गणेश ने मुझे ये पैसा क्यूं भिजवाया है । इसके बाद वे चिट्ठी निकालकर पढने लगे । चिट्ठी में लिखा था ।

प्रिय शंकर चाचा जी, 
सबसे पहले मैं आपसे माफ़ी मांगता हूं । कुछ महीने पूर्व आपके घर से पांच लाख रुपिए जबरन ले जाने के लिए । मैं आज आपका वही पैसा आपको लौटा रहा हूं । वास्तव में यह पैसा आपकी पहली पत्नी गंगा देवी के इलाज के लिए लिया गया था । वही गंगा देवी जिनसे आपने आज से 22/ 23 वर्ष पूर्व एक मंदिर में शादी किया था फिर उन्हें साल भर के अंदर उनपर कुछ आरोप लगाकर छोड़ दिया था । और उसके बाद उनकी तरफ़ पलट कर भी नहीं देखा कि आखिर वे किस हालात में हैं । इसके अलावा गंगा देवी और आपके रिश्ते से उनका एक पुत्र भी है । जिसकी इंजिन्यरिंग की पढाई में भी अच्छा खासा पैसा लगना था । मैं उनसे बहुत दिनों से जुड़ा हूं। मैंने अपने दायरे में कुछ पैसों का इंतजाम किया पर उसके बाद भी लगभग पांच लाख रुपिए कम पड़ रहे थे । अत: मैंने यह फ़ैसला किया इतना पैसा आपके घर से ही लाया जाय । अत: अपने तीन साथियों के साथ आपके घर में हमने डकैती डाली थी । जिसमें हम सफ़ल भी हुए । इसके साथ ही मैंने सोच लिया था कि जब भी मेरे पास इतना पैसा आयेगा तो आपको आपका पैसा लौटा दूंगा । आज भगवान की कृपा से मेरा काम बहुत अच्छा चल रहा है । अत: गजेन्द्र के हाथों से आपका पैसा लौटा रहा हूं । मेरी इतनी हिम्मत नहीं है कि आपके सामने खड़ा होकर यह सब आपको बता सकूं । अत: चिट्ठी का सहारा ले रहा हूं । 
पत्र पढकर शंकर जी की आखों में आंसू आ गये । उन्होंने तुरंत ही अपने दरबान को बुलाकर कहा कि देखो वह लड़का अभी भी इधर ही है क्या ? दरबान ने कुछ देर तक रस्ते में इधर उधर देखा और उसे जब वह लड़का नहीं दिखा तो उसने शंकर जी को वापस आकर बताया कि वह लड़का तो नज़रों से दूर चला गया है ।  तब शंकर जी नंदनी को अपने साथ लेकर रिसाली पहुंचकर उस घर को ढूंढ्ने लगे जहां के बारे में उनके भतीजे गणेश ने बताया था । आधे घंटे के मश्क्कत के बाद उन्हें वह घर मिल पाया जहां गजेन्द्र और उसकी माता यानी शंकर जी की पहली पत्नी गंगा जी रहती थी । संयोग से घर का दरवाज़ा खुला था । शंकर जी अपनी पत्नी के साथ घर के अंदर गये तो उन्होंने देखा कि हाल में गजेन्द्र पूजा कर रहा था । उसके सामने दो तैल चित्र रखे थे । जिनमें वह फूल माला चढा रहा था और उनसे आशीष ले रहा था । दोनों तैलचित्रों को देखकर शंकर जी दहाड़ मार कर रोने लगे । उन दोनों तैलचित्रों में एक चित्र उनकी पहली पत्नी गंगा जी का था व दूसरा उसके भतीजे गणेश का था । दोनों तैलचित्रों के नीचे मृत्यु की तारीख आज की ही लिखी हुई थी । 
गजेन्द्र ने बताया कि मैं और मेरी माता जी यहां पिछले 15/16 सालों से रह रहे हैं । मेरी माताजी 25/30 बच्चों को ट्युशन पढाती थी । ट्यूशन के आवक से हमारा घर चलता था । मैंने 6 महीने पहले ही इंजिनयरिंग की पढाई पूरी की है । अभी मैं जाब सर्च कर ही रहा था कि कुछ दिनों पूर्व पता चला कि माताजी को पेट का कैन्सर है । तो मैं उनके इलाज में व्यस्त हो गया । गणेश भैया से हमारा संबंध लगभग 5 सालों से है । वे अक्सर ही हमारे घर आते रहते थे । वे गाहे बगाहे हमारी आर्थिक मदद भी किया करते थे । उन्हें मालूम था कि आपसे हमारा क्या रिश्ता है ? माता जी के इलाज में लगभग 4 लाख से 5 लाख रुपिए लगने वाले थे । इतना पैसा हमारे पास था ही नहीं अत: पैसों के प्रबंध की ज़िम्मेदारी गणेश भाई ने ली थी । 
मुंबई में 1 महीने पूर्व माता जी का सफ़लता पूर्वक आपरेशन हुआ । उसके बाद कुछ दिनों  तक माताजी को भिलाई के नर्सिंग होम में भी कुछ कारणों से भर्ती कराना पड़ा था। बंबई में हमें बताया गया कि आपरेशन के साथ ही इन्हें ब्रेकी थिरेपी भी देनी पड़ेगी तभी वे बीमारी से 100 प्रतिशत मुक्ति पा सकते हैं । साथ ही उन्होंने बताया था कि आज की तारीख में “ ब्रेकी थिरेपी “ सिर्फ़ जापान में उपलब्ध है । अत: आज ही मम्मी और गणेश भाई मुंबई में फ़्लाइट पकड़कर जापान जा रहे थे । वे सुबह 4 बेजे मुंबई से एयर इंडिया की फ़्लाइट से जापान जा रहे थे कि सुबह 6 बजे यह खबर आई कि उनका प्लेन क्रेश हो गया है और प्लेन के क्रू मेम्बर के साथ ही सारे यात्री मारे गये । अब मैं इस संसार में पूरी तरह से अकेला हूं । लेकिन मुझे किसी प्रकार का डर नहीं है क्यूंकि मुझे मेरी माता जी और मेरे चचेरे भाई गणेश जी ने सिखाया है कि मुश्किलों से कैसे लड़ा जाता है । उन्होंने यह भी सिखाया है कि इस दुनिया से लड़ने के लिए आत्मबल से बड़ा कोई भी बल नहीं होता । मेरे चचेरे भाई गणेश जी ने यह भी दिखा दिया कि इस दुनिया में अच्छे लोगों की भी कोई कमी नहीं है । मुश्किल वक़्त में कोई न कोई हाथ मदद के लिए आगे आ ही जाता है ।

आज गंगा अग्रवाल और गणेश अग्रवाल जी की तेरवीं का कार्यक्रम है । अग्रवाल समाज के बहुर सारे लोग और उनके बहुत सारे पड़ोसी गण उन्हें श्रद्धान्जलि देने कार्यक्रम में शिरकत कर रहे हैं । श्रद्धान्जलि का कार्यक्रम जैसे ही पूरा होता है । शंकर अग्रवाल जी अपनी जगह खड़े होकर कहने लगते हैं कि मैंने जीवन भर क्या क्या पाप किया है इसकी गिनती करना तो बहुत ही कठिन है पर मेरे भतीजे गणेश जी ने जो पुनीत का काम किया है । उससे मेरी आंखें खुल गई हैं कि ज़िन्दगी सिर्फ़ अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए नहीं है । दुनिया में हमारी ज़िम्मेदारी अपनों के लिए तो है ही साथ ही ग़ैरों के लिए भी हमारी कुछ न कुछ ज़िम्मेदारी है । आज मैं घोषणा करता हूं कि मैं अपने भतीजे गणेश की स्मृति में एक धर्मशाला बनवाउंगा । और हर वर्ष उनकी बरसी के दिन एक बड़ा सामाजिक कार्यक्रम आयोजित करूंगा । जिसमें समाज के ऐसे लोगों को सम्मानित किया जायेगा जिन्होंने बिना रिश्तेदारी व पहचान देखे किसी अन्जान व्यक्ति की मदद करने में अपनी कोई भूमिका अदा की है । 
 साथ ही मैं अपनी पुरानी भूल को भी सुधारना चाहता हूं । अगर गजेन्द्र जी अपनी सहमति प्रदान करें तो मैं और मेरी पत्नी उन्हें गोद लेना चाहते हैं । और उन्हें कानूनी रुप से अपन पुत्र बनाना चाहता हूं । साथ ही गजेन्द्र को अपने व्यापार की सारी ज़िम्मेदारी सौंपकर सिर्फ़ सामाजिक कार्यों में खुद को व्यस्त रखना चाह्ता हूं । 
शंकर जी के इस उद्बोधन के बाद पूरा हाल तालियों से गूंज उठा । तालियां लगातार बहुत देर तक बजतीं रहीं । सारे लोग शंकर जी के सम्मान में खड़े हो गये। उधर गजेन्द्र की आंखों से आंसू बहने लगे , पता नहीं ये आंसू ख़ुशी के थे या कुछ और ?

( समाप्त )
Sanjay Dani

Sanjay Dani

Thanks..

2 अप्रैल 2022

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रिश्तों का सच
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शंकर लाल अग्रवाल भिलाई के एक बड़े व्यापारी है। उनके घर में एक बार डकैती पड़ जाती है । चार डकैतों ने एक ठंड की रात उनके घर डकैती डालकर उनके घर से 5 लाख रुपये ले जाते हैं । डकैती के बाद जब शंकर अग्रवाल घटना का विशलेषण करते हैं तो उन्हें लगता है कि उन चार डकैतों में एक की आवाज खुद के भतीजे शिव से पूरी तरह मिलती जुलती थी।

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