जाग उठो हे वीर जवानों,
आज देश पूकार रहा है।
त्यज दो इस चिर निंद्रा को,
हिमालय पूकार रहा है।।1।।
छोड़ आलस्य का आँचल,
दुश्मन का कर दो मर्दन।
टूटो मृग झुंडों के ऊपर,
गर्जन करते केहरि बन।।2।।
मंडरा रहे हैं संकट के घन,
इस देश के गगन में।
शोषणता व्याप्त हुयी है,
जग के जन के मन में।।3।।
घिरा हुवा है आज देश,
चहुँ दिशि से अरि सेना से।
शोषण नीति टपक रही,
पर देशों के नैना से।।4।।
भूल गयी है उन्नति का पथ,
इधर इसी की सन्तानें।
भटक गयी है सच्चे पथ से,
स्वार्थ के पहने बाने।।5।।
दीवारों में है छेद कर रही,
वो अपने ही घर की।
धर्म कर्म अपना बिसरा,
ठोकर खाती दर दर की।।6।।
चला जा रहा आज देश,
गर्त में अवनति के गहरे।
आज इसी के विस्तृत नभ में,
पतन पताका है फहरे।।7।।
त्राहि त्राहि है मची हुयी,
देश के हर कोने में।
पड़ी हुयी सारी जनता है,
आज देश की रोने में।।8।।
अब तो जाग उठो जवानों,
जी में साहस ले कर।
काली बन अरि के सीने का,
दिखलाओ शोणित पी कर।।9।।
जग को अब तुम दिखलादो,
वीर भगत सिंघ बन कर।
वीरों की यह पावन भूमि,
वीर यहां के सहचर।।10।।
गांधी सुभाष बन कर के तुम,
भारत का मान बढ़ाओ।
जाति धर्म देश सेवा हित,
प्राणों की बलि चढ़ाओ।।11।।
मोहन बन कर के तुम जन को,
गीता का पाठ पढ़ाओ।
भूले भटके राही को तुम,
सच्ची राह दिखाओ।।12।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
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परिचय -बासुदेव अग्रवाल 'नमन' नाम- बासुदेव अग्रवाल; शिक्षा - B. Com. जन्म दिन - 28 अगस्त, 1952; निवास स्थान - तिनसुकिया (असम) रुचि - काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि। हिंदी साहित्य की पारंपरिक छंदों में विशेष रुचि है और मात्रिक एवं वार्णिक लगभग सभी प्रचलित छंदों में काव्य सृजन में सतत संलग्न हूँ। परिचय - वर्तमान में मैँ असम प्रदेश के तिनसुकिया नगर में हूँ। whatsapp के कई ग्रुप से जुड़ा हुआ हूँ जिससे साहित्यिक कृतियों एवम् विचारों का आदान प्रदान गणमान्य साहित्यकारों से होता रहता है। इसके अतिरिक्त हिंदी साहित्य की अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में मेरी रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं। सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्रों में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती है। हिंदी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं। Blog - https://www. nayekavi.blogspot.com
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) "मात्रिक छंद प्रभा" जिसकी गुगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'मात्रिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) "वर्णिक छंद प्रभा" जिसकी गुगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'वर्णिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)D