फटेहाल से किसको कहते
तुम अपनी करुण कहानी;
भीगी आँखों के मोती से
किसे सुनाते अन्तः वाणी।
सूखे अधरों की तृष्णा से
अंतर्ज्वाला किसे दिखाते;
अपलक नेत्रों की भाषा के
मौन निमन्त्रण किसे बुलाते।।1।।
रुक रुक कर ये तृषित आँखें
देख रही है किसकी राहें;
बिंधे मन के दुःख से निकली
किसे सुनाते दारुण आहें।
सतृष्ण नेत्रों का यह प्याला
क्यों घुमा घुमा चहुँ ओर प्रसारा;
मस्तक की टेढ़ी रेखाओं को
दिखा दिखा किस किस को पूकारा।।2।।
देख रही है मग की सारी
आँखें इस अस्थि पिंजर को;
पर आगे वे बढ़ जाती है
लख अनाथ इस जर्जर को।
करुण भाव से हो निमज्जित
एक ओर ये लोचन है;
उपेक्ष्य भाव से लिप्त उधर
स्वार्थ के मदमाते नयन हैं।।3।।
देख रहे हैं वे इसको
पर पूछ रही उनकी आँखें;
किस पंक के पंकज की
इधर खिली ये पंकिल पाँखें।
तीखी निगाहें घूर घूर के
इस मन्दभाग से पूछ रही;
क्यों मलिनता से तुम करते
कुत्सित यह पावन मही।।4।।
क्यों निकल पड़े हे मन्दभाग
तुम इन कपटी राहों में;
उस को ही जब स्वीकार नहीं
तब क्यों डूब रहे इन आहों में।
यह स्वार्थ की दुनिया है
यह आगार नहीं तेरा मन्दभाग;
'नमन' करो निज क्षुद्र जगत को
और स्वार्थ के जग में न जाग।।5।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
बासुदेव अग्रवाल 'नमन' की अन्य किताबें
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परिचय -बासुदेव अग्रवाल 'नमन' नाम- बासुदेव अग्रवाल; शिक्षा - B. Com. जन्म दिन - 28 अगस्त, 1952; निवास स्थान - तिनसुकिया (असम) रुचि - काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि। हिंदी साहित्य की पारंपरिक छंदों में विशेष रुचि है और मात्रिक एवं वार्णिक लगभग सभी प्रचलित छंदों में काव्य सृजन में सतत संलग्न हूँ। परिचय - वर्तमान में मैँ असम प्रदेश के तिनसुकिया नगर में हूँ। whatsapp के कई ग्रुप से जुड़ा हुआ हूँ जिससे साहित्यिक कृतियों एवम् विचारों का आदान प्रदान गणमान्य साहित्यकारों से होता रहता है। इसके अतिरिक्त हिंदी साहित्य की अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में मेरी रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं। सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्रों में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती है। हिंदी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं। Blog - https://www. nayekavi.blogspot.com
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) "मात्रिक छंद प्रभा" जिसकी गुगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'मात्रिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) "वर्णिक छंद प्रभा" जिसकी गुगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'वर्णिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)D