इतनी ईश दया दिखला,
जीवन का कर दो सुप्रभात।
दूर गगन में भटका दो,
अंधकारमय जीवन रात।।1।।
मेरे कष्टों के पथ अनेक,
भटका रहता जिनमें यह मन।
ज्ञान ज्योति दर्शाओ प्रभो,
सफल बने मेरा यह जीवन।।2।।
मेरी बुद्धि की राहों में,
ये दुर्बुद्धि रूप पाषाण पड़े।
विकशित ज्ञान की सरिता में,
ये अचल खड़े भूधर अड़े।।3।।
मेरे जीवन की सुख निंद्रा,
मोह निंद्रा में बदल गई।
जीवन की वे सुखकर रातें,
है घन अंधकार से सन गई।।4।।
मेरी वाणी वीणा का,
है बिखर गया हर तार तार।
वीणा रहित गुंजित मन का,
कैसे प्रगटे वह भाव सार।।5।।
स्वच्छ हृदय के भावों पर,
है पसर गया कालिम अम्बर।
घनघोर जल्द की चादर में,
जैसे छिपता विस्तृत अम्बर।।6।।
परमेश्वर तेरे मन में,
है दया नदीश लहराता।
तेरे मन की ध्वज पर,
है करुणा केतु फहराता।।7।।
मेरे हर कार्यों को तुम,
समझो अपनी ही क्रीड़ाएँ।
मन की मेरी पीड़ा को,
समझो अपनी ही पीड़ाएँ।।8।।
इन नेत्रों के अश्रु कण ही,
है अर्ध्य तेरा पूजित पावन।
दुःख भरी ये लम्बी आहें,
है विमल स्तोत्र मन के भावन।।9।।
रात्रि में जब सोता हूँ,
तेरी वह चिर समाधि है।
आधि व्याधि के कष्टों से,
साकार साधना साधी है।।10।।
टूटी फूटी जो वाणी है,
मानस भाव व्यक्त हेतु।
स्तुति की भाषा में वह,
है तेरी प्राप्ति का सेतु।।11।।
जीवन की जितनी क्रियाएँ,
है एक एक रहस्य उनमें।
मेरी क्रियाएँ है तेरी,
मुझमें तु, मैं हूँ तुझमें।।12।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
बासुदेव अग्रवाल 'नमन' की अन्य किताबें
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परिचय -बासुदेव अग्रवाल 'नमन' नाम- बासुदेव अग्रवाल; शिक्षा - B. Com. जन्म दिन - 28 अगस्त, 1952; निवास स्थान - तिनसुकिया (असम) रुचि - काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि। हिंदी साहित्य की पारंपरिक छंदों में विशेष रुचि है और मात्रिक एवं वार्णिक लगभग सभी प्रचलित छंदों में काव्य सृजन में सतत संलग्न हूँ। परिचय - वर्तमान में मैँ असम प्रदेश के तिनसुकिया नगर में हूँ। whatsapp के कई ग्रुप से जुड़ा हुआ हूँ जिससे साहित्यिक कृतियों एवम् विचारों का आदान प्रदान गणमान्य साहित्यकारों से होता रहता है। इसके अतिरिक्त हिंदी साहित्य की अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में मेरी रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं। सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्रों में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती है। हिंदी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं। Blog - https://www. nayekavi.blogspot.com
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) "मात्रिक छंद प्रभा" जिसकी गुगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'मात्रिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) "वर्णिक छंद प्रभा" जिसकी गुगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'वर्णिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)D