जीत हमारी निश्चित है।
बलिदानों की किमत पर,
जीत हमारी निश्चित है।
किस सोच मे बैठा है तू,
राष्ट्र हो गया खंडित है।
बहन-बेटियों की लाज रही,
किताबों तक ही सीमित है।
लड़कर ही बच सकता है,
बन रहा क्युँ कश्मीरी पंडित है ?
भाई-चारा तेरे काम न आया,
कुरान मे लिखा तू काफिर है।
राजनीती का छोड दे दामन,
धर्मनिरपेक्षता अब वर्जित है।
रासलीला से ह्रदय लगाकर,
क्यों गीता ज्ञान उपेक्षित है ?
पार्थ ऊठ खडा हो अब,
योगेश्वर श्री कृष्ण प्रतिक्षित है।
आवाज ऊठा ले लोकतंत्र में,
अब कायरता तो घृणित है।
अहिंसापरमोधर्म: धर्महिंसातथैव:च,
यही गीता मे भी वर्णित है।
बलिदानों की किमत पर अब,
जीत हमारी निश्चित है।
विकास बौठियाल
!! सत्य सनातन की जय हो !!
!! विधर्मीयों नाश हो !!
!! भगवान श्री कृष्ण की जय !!
!! हर हर महादेव !!