जीवन उपवन, उपवन,
मधुबन कान्हा का वृन्दावन,
यदि ऐसा नहीं हुआ तो क्यों ?
जीवन चिंतन, मंथन, कविता, लेखन,
मन का धन,
यदि नहीं मिला तो क्यों ?
जीवन, चन्दन-चन्दन,
महका दे जो तन-मन,
यदि नहीं महक पाया तो क्यों ?
जीवन कंचन-कंचन,
कर्मों की रन-झुन,
यदि नहीं सुनाई दी तो क्यों ?
जीवन गुंजन-गुंजन,
भौरों की मस्ती का संगीत सृजन,
'गर नहीं हुआ तो क्यों ?
जीवन संगम-संगम,
गंगा-यमुना का संग,
यदि नहीं मिला तो क्यों ?
मोहन-मोहन
राधा के प्रियतम,
यदि नहीं हुए तो क्यों ?
उत्तर सीधा,
राधा का बंधन ढीला था,
सो छूट गए मोहन I
गंगा गोरी, यमुना काली,
गंगा न दे सकी अपना रंग,
तो नहीं हुआ संगम I
वृन्दावन, उपवन, गुंजन,
चन्दन, कंचन या मोहन,
यदि नहीं बने तो क्यों ?
हमने ही नहीं कहीं देखा,
कान्हा बनने का स्वप्न,
कुछ तो कारण होगा,
पिछले में या अगले में,
अपना 'निश्चय' डगमग होगा I
-उषा
मैं एक मनोवैज्ञानिक जिसका झुकाव दर्शन शास्त्र की ओर अधिक है पेशे से शिक्षिका प्रधानाचार्या और शौक के लिहाज़ से एक लेखिका ,कवियित्री, चित्रकार व गायिका . D