10 जून 2015
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मैं एक मनोवैज्ञानिक जिसका झुकाव दर्शन शास्त्र की ओर अधिक है पेशे से शिक्षिका प्रधानाचार्या और शौक के लिहाज़ से एक लेखिका ,कवियित्री, चित्रकार व गायिका . D
उषा जी आपकी रचना की शब्दमाला इतनी सुसंगठित है कि पाठक का चित्त कविता के केंद्र बिंदु पर केंद्रित होकर रह जाये और बार बार पढ़ने का मन करे ......बहुत सुन्दर रचना बधाई हो ....
11 जून 2015
सुन्दर शब्दों की माला आपकी ये कविता ........बधाई .
10 जून 2015
bahut sundar v sashakt rachna .badhai
10 जून 2015
कविता की ताकत का बहुत ही अच्छा बखान- भविष्य के लेखन के लिए भी शुभकामनाएं
10 जून 2015
कविता ही सबकुछ है बहुत सुंदर रचना!!बधाई।
10 जून 2015
कविता तुम मत खो जाना, लेखन तुम बंद नहीं होना, ऐ शब्दकला, ऐ चित्रकला पहचान बनी रहना, मेरे इन हाथों की...अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति...बधाई !
10 जून 2015